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बहन की पेंटी सूंघ सूंघ कर बड़ा हुआ फिर अपने बर्थडे में चोदने का सपना पूरा हुआ

दोस्तों मेरा नाम अजय है, मैं पानीपत में रहता हु, मेरी बहन जो की मेरे से एक साथ बड़ी है, बहूत ही मस्त है, आप को मैं बताना चाह रहा हु, की जब से मेरे लण्ड से पानी निकलना शुरू हुआ था तब से ही मैं अपनी बहन के मदमस्त जिस्मों को निहारता रहता था, जब वो कभी हाथ ऊपर करती, मैं हमेशा उनके अंदर आर्म के बालों को देखता था, जब वो झुकती थी तब से ही मैं चूचियों को निहारते रहता था, मुझे एक आदत सी हो गई थी, मैं अपने बहन के जिस्मो को जब तक झांक कर देख नहीं लेता था तब तक चैन नहीं आता था, उसके बाद मेरी एक आदत हो गई थी. पेंटी सूंघने की.

मेरे घर में मैं मेरी बहन मम्मी और पापा है, मम्मी पापा दोनों जॉब पर चले जाते है, और हम दोनों भाई बहन कॉलेज से २ बजे तक वापस आ जाते है, हम दोनों निकलते भी घर से लेट है, तो पहले दीदी नहाने जाती है फिर मैं जाता हु, दीदी अपना ब्रा और पेंटी नल के ऊपर रख देती थी, मैं बाथरूम का दरवाजा बंद कर के, उनकी पेंटी को खूब मस्ती में सूंघता, और ब्रा को खूब चूमता और दीदी के चूत की खुसबू को उनके पेंटी से ही एहसास करता, गजब लगता था. लगता था इसलिए बोल रहा हु की ये बहूत दिन तक चला था, अब तो मैं चुदाई के बारे में बताऊंगा, तो दोस्तों उनकी ब्रा की साइज चौतीस है, और कमर की साइज बत्तीस, मैं उनके पेंटी को सूंघ सूंघ कर मदमस्त हो जाता था, और फिर बाद में मूठ मार कर उनके पेंटी में ही पोछ देता था,

समय ऐसे ही बीतते गए, मैं एक नंबर का कमीना हो गया था बहन की जिस्म को देखते देखते पर अब सिर्फ देखने से और पेंटी को सूंघने से काम चलने बाला नहीं था अब मुझे अपने बहन की चूत चोदने के लिए चाहिए थी इसवजह से अब मैं प्लान करने लगा की कैसे अपने बहन की चूत तक अपनी पहुच बनाऊं, रात में कभी कभी जब वो सोई रहती थी तब मैं उनकी चूचियों को छू देता था और फिर वापस आकर मूठ मार कर सो जाता. यानी की अब दिन में दो बार मूठ मारने लगा था एक बार तो तब जब मैं उनकी पेंटी और ब्रा को बाथरूम में सूंघता और लण्ड में रगड़ता था, और दूसरी बार जब वो सो जाती थी उस समय मैं उनके हॉट बूब को और होठ को छूता था,

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एक दिन मैंने यानी की होली के दिन, रंग लगाते हए मैंने अपने बहन की चूचियों को मसल दिया था, पर शायद मेरी बहन को अच्छा नहीं लगा उन्होंने खा की देख भाई ऐसा फिर मेरे साथ कभी दुबारा नहीं होनी चाहिए, होली के दिन से मैं अपने बहन से कभी सीधी मुँह बात नहीं करता था, पंद्रह मार्च को मेरा बर्थ डे थे, उन्होंने पूछा की बोल भाई तुम्हे क्या गिफ्ट चाहिए, मैंने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे आपसे कोई भी गिफ्ट नहीं लेना है. वो मुझे मनाने लगी. हम दोनों उस दिन कॉलेज नहीं गए थे, माँ पापा दोनों जॉब पर गए थे. वो मुझे मनाने लगी. मैं मान नहीं रहा था, फिर उन्होंने मुझे कसम दिया, को बोल तुझे क्या हुआ, मैंने कहा कुछ भी नहीं, वो मुझे बार बार पूछने लगी. बता तू क्या गिफ्ट लेगा. मैंने कहा कुछ नहीं तो वो फिर मुझे बोली तुम्हे मेरी कसम बताना पड़ेगा. मैंने कहा जो मांगूंगा देना पड़ेगा. वो बोली ठीक है पर वो मेरे बस के बाहर ना हो. मेरे पास देख जो होगा वो तू लेना, मैंने कहा ठीक है पर तुम मना नहीं करना उन्होंने कहा नहीं करुँगी.

मैंने उसको अपनी कसम दें दी. और बोला की देखना अगर तुमने मना किया तो तुम मेरा इस जन्म दिन पर मेरा मरा मुह देखोगी. मैंने ब्लाक मेल करने लगा. वो मान गई. और बोली बता की तुम्हे क्या चाहिए, मैं बोल नहीं पा रहा था, मुझे काफी डर लग रहा था, की कही ये माँ पापा को बोल दी तो मेरा क्या हाल होगा. मैं हड़बड़ा रहा था, पर उन्होंने मुझे ढाढस बंधाया और बोली बोल, मैंने कहा मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हु. आप मुझे बहूत पसंद हो. वो खड़ी हो गई. वो बोली ये नहीं होगा. ये नहीं हो सकता है, भाई बहन में ये बातें नहीं होगी है. ये पति पत्नी के रिश्ते में ये होता है. मैंने कहा ठीक है. अब मेरी जो मर्जी होगी करूँगा.

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वो रूम के बाहर चली गई. मैंने दरवाजा अंदर से लगा दिया, वो तुरंत वापस आकर दरवाजा पीटने लगी. मैं चुपचाप हो गया वो काफी डर गई थी. उसे लगा कई मैं कुछ कर ना लू. वो रोने लगी. पर मैं कुछ नहीं बोल रह रहा था, और फिर आवाज आई ठीक है तू जो चाहता है कर ले. मैंने दरवाजा खोल दिया. वो अंदर आ गई और पलंग पर बैठ गई.

मैंने नजदीक गया और बोला की आई लव यू, वो बोली चुप हो जा कमीने, मैंने कहा निकल जा बाहर, वो बोली आई लव यू, और फिर मैंने उसके होठ के अपने होठ से चूसने लगा. फिर धीरे धीरे चूचियों को दबाने लगा. और फिर देखते ही देखते मैंने उसके सारे कपडे उतार दिए और मैंने अपना भी उतार दिए. मैंने उनकी चूची को चूसने लगा. गुलाबी निप्पल गजब का लग रहा था. फिर मैंने उनकी चूत को चाटने लगा.वो पहले दस मिनट तक चुपचाप रही फिर वो धीरे धीरे वो रिस्पांस देने लगी. और वो भी मेरे जिस्म को सहलाने लगी और मेरे होठ को चूसने लगी. फिर वो बोली लण्ड नहीं चखायेगा मैंने कहा क्यों नहीं दीदी ये लण्ड तो अब आपकी है मैं कौन होता हु मना करने बाला, और मैंने अपना लण्ड अपने बहन के मुह में दें दिया और वो फिर चूसने लगी. मुझे बहूत गुदगुदी होने लगी. और वो अपने चूचियों को दबाते हुए मेरे लण्ड को चूसने लगी.

फिर क्या था, वो बहूत ही मजे ले रही थी कहने लगी. भाई तू मुझे पहले क्यों नहीं बोला, तू पहले ही जिद करता, कितना मजा आ रहा है. मैंने कहा मैं तो तुम्हे आज से नहीं करीब चार साल से ताड़ रहा हु, तुम्हारी याद में दो बार मूठ मारता हु, वो बोली तू पहले कहता, तो मैंने कहा क्या हुआ पहले नहीं कहा तो, अब तो बन जाओ मेरी रानी, वो बोली मैं हु ही तुम्हारी रानी. पर अब रानी को मत तड़पाओ. मैं चुदने के लिए बेताब हु. और मैंने अपना लण्ड बहन के चूत के ऊपर रखा और जोर से पेल दिया. दोस्तों बहन की चूत काफी टाइट थी क्यों की वो पहले कभी नहीं चुदी थी. पर फिर से मैंने कोशिश की थोड़ा थूक लगा कर और इस बार अपना लण्ड बहन के चूत में पेल दिया.

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अब वो गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. और मैंने जोर जोर से उसके चूत में अपना लण्ड ठोकने लगा. वो आह आह कर रही थी मैं हाय ह्या हाय हाय कर रहा था. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. उसके बाद तो कभी वो ऊपर कभी मैं ऊपर कभी वो घोड़ी बनती कभी कुतिया, करीब दो घंटे तक चोद चोद कर चूत सूजा दिया था. और फिर दोनों झड़ गए और एक दूसरे को पकड़ कर सो गए.

दोस्तों अब मुझे उनकी पेंटी सूंघने की जरुरत नहीं पड़ती है. अब तो मैंने चूत की चाट लेता हु. और ब्रा की भी जरुरत नहीं है अब चूचियां जब मर्जी तब मसल देता हु. अब तो मैं अपनी बहन को गर्ल फ्रेंड बना लिया. अब खूब मजे कर रहा हु. आपको मेरी ये कहानी जरूर अच्छी लगी होगी. मैं अपनी दूसरी कहानी भी नॉनवेज स्टोरी पर लेके आऊंगा.