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बरसात की रात दोस्त की माँ के साथ : सच्ची कहानी

मेरे प्यारे मित्र, आपको मेरा प्यार भरा नमस्कार, आज मैं आपके लिए एक बड़ी ही मजेदार कहानी लेके आया हु, दोस्तों मुझे बड़ी उम्र की महिला मुझे बहुत अच्छी लगती है. सच पूछिए तो मैं लड़कियों से ज्यादा इंटरेस्ट मैं औरतों में लेता हु, चाहे ऑन्टी हो, भाभी हो, दादी हो, या काम बाली बाई हो, मुझे बहुत अच्छा लगता है. उनका भरा पूरा शारीर मुझे अपनी और आकर्षित करती है. मुझे गोल गोल चूचियाँ, मस्त मस्त चूतड़, साडी बंधी हुई, लम्बे बाल, ब्लाउज की उभार, ये सब देख कर मेरा लंड हमेशा ही खड़ा हो जाता है. कल ये कहानी दो दिन पहले की ही है. जो आज मैं लिख रहा हु. ये चुदाई की कहानी मेरे दोस्त कैलाश की माँ की है. आज मैं आपको बताऊंगा की कैसे मैंने रेखा ऑन्टी को चोदा. बहुत ही मस्त कहानी है.

दोस्तों मैं भोपाल में रहता हु, आज कल आप न्यूज़ में सुन रहे होंगे की भोपाल में काफी बारिश हो रही है, उसकी बारिश की देन है मेरी ये कहानी, मेरा नाम आर्यन है, मैं 21 साल का हु, कैलाश मेरा सबसे अच्छा दोस्त है. एक दिन की बात है, मैं और कैलाश दोनों दिल्ली गए हुए थे, क्यों की कैलाश को दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना था, तो मैं भी गया था, वह से दो दिन बाद लौटा, वापस आते ही देखा बहुत बारिश हो रही थी, पूरा शहर पानी पानी हो गया था. मेरा घर वह से थोड़ा दूर पड़ता था, तो कैलाश बोला की तुम यही आराम कर लो, बाद में घर चले जाना, आज रात को यही रूक जाओ. दिन के करीब २ बज रहे था, कहना खाकर मैं सो गया था, और जब मैं ६ बजे के करीब उठा तो घर में कोई नहीं था, सिर्फ आंटी थी, रेखा ऑन्टी, मैंने पूछा आंटी कैलाश कहा है, तो वो बोली बेटा, वो मासी के यहाँ गया है, इंदौर एक जरूरी फ़ोन आ गया था वो बुला रही थी. इस वजह से तुम सोये थे इसलिए नहीं जगाया वो अब कल शाम तक आएगा.

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तो मैंने कहा ऑन्टी फिर मैं चलता हु, तो ऑन्टी कहने लगी. कैसे जाओगे, देखो कितनी जोर से बारिश हो रही है, लोगो का यहाँ से वह जाना कितना मुश्किल है. मैं जाने नहीं दूंगी, रात को रूक जाओ. तुम जंगल में नहीं हो. मैं भी अकेली हु मन लग जायेगा, ऑन्टी दो तिन बार प्लीज प्लीज बोली, तो मैंने भी हां कर दिया, अब मैं आपको रेखा ऑन्टी के बारे में बता दू. रेखा ऑन्टी को एक ही बेटा है, अंकल तो दिल्ली में रहते है. क्यों की उनका सरकारी जॉब है, और रख ऑन्टी का भोपाल में सरकारी जॉब है, इसलिए वो एक दूसरे से अलग अलग रहते है, अंकल महीने में आते है, रेखा ऑन्टी 39 साल की है, लेकिन उनको देख कर कोई नहीं कह सकता है की वो 39 साल की होगी, वो बहुत ही ज्यादा हॉट लगती है, वो लम्बी है, और उनका ब्रा का साइज 34था, कमर पतली, गोरा बदन, होठ लाल लाल लिपस्टिक लगा के रखती है, साधना कट बाल, गजब की खूबसूरत औरत है. आपको तो पता है मुझे औरत बहुत ही ज्यादा पसंद है. और वो है भी ऐसी की मेरी निगाहे हट नहीं रही थी.

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शाम को मार्किट से कुछ सामान लाना था, जब थोड़ी बारिश हलकी हुए तो मैं और आंटी दोनों गए, और हम दोनों ने कहना एक होटल में खा लिआ, जब वापस आने लगे, तो काफी तेज की बारिश फिर होने लगी. रोड पर काफी पानी भरा था, और कोई छुपने का भी जगह नहीं मिल रहा था, तो मैं और आंटी ने भीगते हुए चलने का ही प्लान बया, अब बारिश तेज की हो रही थी और हम दोनों पैदल ही घर की और जा रहे थे, ऑन्टी साडी पहनी थी, तो उनकी साडी उनके शारीर में चिपक गई, उनका चूतड़ पे साडी चिपका था इस वजह से उनका गांड कितना बड़ा है पूरा साफ़ पता चल रहा था, उसके बाद, ऑन्टी अपना आँचल उत्तार कर पानी निचोड़ी, निचोड़ते समय उनका ब्लाउज पे दो बड़े बड़े बूब्स साफ़ पता चल रहा था, बिच में थोड़ा पोरशन नहीं दिख रहा था क्यों की ब्रा अड़ रहा था, बाकी चारों और से चूचियाँ गोरी गोरी पता चल रहा था. जब वो थोड़ा झुकी तो आधी चूची मेरे सामने हो गया, क्या बताऊँ दोस्तों वही से मेरा मन ख़राब हो गया क्यों की मेरा लंड फन फना रहा था, अब मैं किसी तरह से लंड को दबा के आगे बड़ा, ऑन्टी भी आगे मटकती हुई चल रही थी, मैंने उनके बदन को निहार रहा था. फिर हम लोग घर पहुंचे,

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मेरे कपडे गीले हो गए थे, तो मैंने कहा ऑन्टी आपके बैग कहा है, बैग तो मिल गया पर उसका चाभी कैलाश गलती से ले गया, अब मेरे पास पहनने के लिए कुछ भी नहीं था, अब मैं क्या करता, कैलाश का पेंट था पर रात में कैसे पहन कर सोता रात के करीब १० बज गए थे, ऑन्टी एक तौलिया दी, और मैंने अपना जांघिया खोल कर सूखने दे दिया, और मैं बिना जांघिया के ही तौलिया लपेट लिया, ऑन्टी अपना कपडा चेंज कर ली, वो बिना बाजू की मैक्सी पहनी थी, वो भी झरझरा सा, उनका बदन साफ़ दिखाई दे रहा था, उनके बड़े बड़े बूब्स पूरी तरह से दिख रहा था, अब तो मैं गया दोस्तों, उसपर से वो गुलाबी कलर की होठ रंग ली, लम्बे लम्बे काले बाल जो की कमर से निचे झूल रहे थे, वो गजब की लग रही थी, तभी जोर से बादल गरजा और बिजली चमकी ऐसा लगा था की छत पे ही बिजली गिरी, ऑन्टी चीख कर मेरे से लिपट गई, मैं भी डर गया था, करीब दस सेकंड बाद पता चला की मुझमे कोई औरत लिपटी है, मैं खड़ा था वो भी मेरे में लिपट कर कड़ी थी, जैसे मुझे उनकी चूचियों का एहसास हुआ मेरा लंड खड़ा हो गया, ऑन्टी को महसूस हुआ की मेरा लंड खड़ा हो रहा है वो अलग हो गई, जैसे वो अलग हुई जोर जोर से ताली मार मार कर हसने लगी, मैं हैरान था वो हस क्यों रही है, जब मैंने अपने आप को देखा तो मेरा तौलिया निचे गिर था और मैं नंगा खड़ा था उसपर से लंड खड़ा.

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मैंने तुरंत तौलिया उठने की कोशिश की तब तक ऑन्टी झपट ली तौलिया को, मैं भाग कर परदे के पीछे छुप गया, ऑन्टी आई और बोली क्या मसल है तेरा, और तेरा सेक्स पार्ट तो गजब का है. आज तक मैंने कभी नहीं देखा ऐसा, मैं समझ गया आज कुछ होने बाला है. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है. मैंने कहा ये ये क्या कह रहे हो ऑन्टी, ऑन्टी बोली, आज मैं ऑन्टी नहीं तुम्हारी रेखा हु, आज कोई रिश्ता नहीं कोई नाता नहीं, आज कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं, आज हम दोनों दोस्त है. तभी फिर जोर से बिजली चमकी और ऑन्टी फिर से लिपट गई. वो मुझे जकड़ ली और मैं भी धीरे धीरे उनको अपने आगोश में ले लिया, ऑन्टी मेरे होठ को अपने ऊँगली से छुई और फिर मेरे साइन पे फिराने लगी. और फिर वो मेरा बाल पकड़ के अपने होठ को मेरे होठ पे रख दी, उनकी गुलाबी लिपस्टिक की खुशबु मुझे और भी मदशोष कर दिया, और उनकी गरम गरम तेज चलती हुई साँसे, मुझे रोक नहीं पाया और मैं उनके बूब को पकड़ लिया, और फिर दोनों एक साथ बेड पे चले गए, मैं तो पहले से ही नंगा था, ऑन्टी अपनी मैक्सी खोल दी. उनका बदन देख कर मैं हैरान हो गया, क्या बूब्स था क्या कमर क्या चूत क्या गांड, मेरे से रहा नहीं गया और मैं ऑन्टी के ऊपर चढ़ गया और उनके पुरे बदन को अपने जीभ से सहलाने लगा. वो तकिए और बेडशीट को अपने मुट्ठी में दबाती और अपने होठ को दांत के अंदर पिसती, मैंने उनके चूच को मुंह में लेके पिने लगा, फिर ऑन्टी मेरे लंड को चूसने लगी, बारी बारी से एक दूसरे की जरूरत को पूरा कर रहा था, ऑन्टी तब तक काफी गरम हो चुकी थी उनकी चूत से गरम गरम लार के तरह निकल रहा था.

ऑन्टी बोली अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मुझे चोद दो. बाहर पानी बरश रही थी. बादल चमक रहे थे. और मैंने ऑन्टी के चूत में अपना लंड डाल दिया, ऑन्टी जोर जोर से आह आह आह करने लगी. और हाय हाय जोर जोर से करती, हरेक झटके पे वो चिलाती, और कहती फ़क में फ़क में फ़ास्ट, मैं जोर जोर से उनको चोदना स्टार्ट किया, वो गांड उठा उठा के मेरे साथ देने लगी. फिर वो मेरे ऊपर आ गई. ओर अपने चूत में मेरा लंड पकड़ का डाल ली, और जोर जोर से आगे पीछे होने लगी. पूरा रगड़ खा रही थी. और जोर जोर से यह यह उफ़ उफ़ आह आह, मजा आ गया, मजा आ गया, आह आह जवां लंड तो आज मेरी तक़दीर बदल दी. आह आह आह , फिर मेरा निकलने लगा. मैंने ऑन्टी को निचे किया और पैर उठा कर अपने कंधे पर रखा और लंड चूत में देके जोर जोर से ठोकने लगा. ऑन्टी अंगड़ाई लेती हुई जोर जोर से आह आह फ़क में फ़क में कह रही थी और मैं जोर से आवाज निकाला और मैं अपना लंड ऑन्टी के चूत में भर दिया, दोनों एक दूसरे को पकड़ के सो रहे थे, फिर ऑन्टी पेशाब करने जाने लगी. जब वो उठी तो उनके चूत से मेरा वीर्य निकल रहा था, निचे जमीन पे गिरता हुआ बाथरूम में गई. और फिर वापस आई.

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दोस्तों सुबह तक मैंने ऑन्टी को तिन बार चोदा, तभी कैलाश का फ़ोन आ गया उस समय हम दोनों नंगे ही सो रहे थे, ऑन्टी बोली हां बेटा बोलो, तो कैलाश बोल की माँ आज मैं नहीं आ पाउँगा, तुम आर्यन को जाने मत देना, मैं आऊंगा तभी वो जायेगा. ऑन्टी बोली ठीक है बेटा वो दूसरे कमरे में सो रहा था. बात कराऊँ, पर कैलाश बोल नहीं नहीं उसे सोने दो. और फ़ोन रखते ही बोली, बेटा पूछ रहा था तुम्हारे बारे में मैं क्या कहती की तुम्हारा दोस्त मुझे रंडी और रखैल बना लिया है. और वो फिर मेरे से चिपक गई. दोस्तों दूसरे दिन मैं मेडिकल गया और कुछ काम शक्ति बढ़ने की टेबलेट ले के आया, और दोपहर से ही चोदना सुरु कर दिया, उस दिन मैंने ६ बार आती को चोदा, क्या बताऊँ दोस्तों ये बरसात कभी नहीं भूल पाएंगे. पर हां एक रिश्ता बन गया है. अब तो ये चुदाई चलती ही रहेगी.

 

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