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भैया मुझे चोद रहे थे छत पर जब सबलोग पटाखे जला रहे थे

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दिवाली का दिन कभी कभी और भी ज्यादा खास हो जाता है जब कुछ ऐसी बातें हो जाती है जो भूलने लायक नहीं होती है। मेरे लिए भी वो हसीन पल था जब सब लोग दिवाली के दिन बाहर पटाखे जला रहे थे फुलझड़ियां जला रहे थे। उसी समय मेरे भैया मुझे बजा रहे थे छत पर। वो मेरी पहली चुदाई थी। इसके पहले मैं कभी भी सेक्स नहीं की थी। ये दिन ऐसा था जब मुझे ज़िंदगी भर याद रहेगा। आज मैं आपको नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर अपनी ये कहानी आपके सामने सुनाने जा रही हूँ। आशा करती हूँ कहानी आपको बहुत अच्छी लगेगी।

मेरा नाम दीपिका है और मेरे भैया का नाम अजय है। भैया पुणे में पढाई करते हैं और मैं कानपूर में पढ़ती हूँ। वो दीपावली में घर आये था। माँ और पापा दोनों भी अध्यापक है। दिवाली के दिन पूजा पाठ कर के हम दोनों भाई बहन पहले घर के बाहर दीपक जलाये लड़ियाँ लगाई पूरा घर जगमग कर रहा था। माँ खाना बना रही थी और पापा मामा जी के साथ बैठ कर बात कर रहे थे। माँ बोली दोनों जाओ छत पर भी दीपक जला दो एक भी कोना ऐसा नहीं रहने चाहिए जहाँ प्रकाश नहीं हो।

उसके बाद हम लोग खाना खाएंगे। तभी चाचा के लकड़ी और उनकी तीनो बेटियां भी आ गई। और कहने लगी चलो बाहर पटाखे चलाते हैं। तो हम दोनों बोले अभी पहले छत पर लाइट जला लेते हैं उसके बाद हम लोग पटाखे चलाएंगे। तो वो लोग बोले ठीक है तुम दोनों बाद में आ जाना और हम दोनों छत पर चले गए। माँ बोली छत पर जा रहे हो दरवाजा लगा देना बिल्ली आ जाती हैं घर में तो हम दोनों छत पर जाकर छत का दरवाजा लगा दिए। यानी की अब निचे से कोई नहीं आ सकता था छत पर। उस समय हम दोनों के मन में कुछ भी नहीं था।

दिये में तेल डालते डालते मैं बोली भइया आपको पुणे में मेरी याद नहीं आती है इस बार आप रक्षाबंधन में भी नहीं आये। और आज भी आपने कोई गिफ्ट नहीं दिया। ऐसा लगता है आप मुझे वहां जाकर भूल रहे हो। वो बोली नहीं पगली ऐसा हो सकता है क्या तू तो मेरी प्यारी बहन हो मैं कैसे भूल सकता तुमको। हां आज मैं गिफ्ट नहीं ला पाया पर भाईदूज के दिन तुमको तुम्हारे पसंद का जीन्स टॉप ख़रीदवाऊँगा ये मेरा वादा है। रही बात आज दिवाली की तो मैं तुम्हे गले लगा सकता हूँ अगर तुम्हारी इजाजत हो तो। तो मैं बोली प्यार में और वो भी भाई बहन की बिच में इजाजत की क्या जरुरत। मैं कड़ी हो गई और वो भी खड़े हो गए।

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वो मुझे गले लगा लिए और मेरी पीठ को सहलाने लगे. फिर उन्होंने मेरे गाल पर किस कर लिए। पता नहीं दोस्तों मुझे क्या हुआ आज तक समझ नहीं आया मैं भी उनके गाल पर किश करने लगी और पीठ सहलाने लगी। वो भी मेरी पीठ सहला रहे थे और मैं भी पीठ सहला रही थी और गाल पर किश कर रही थी। अचानक वो मेरे होठ पर किश करने लगी और मैं अपने आप को रोक नहीं सकी और साथ देने लगी। दोनों की साँसे तेज चलने लगी। एक दूसरे को बाहो में डाले हुए थे। बाहर पटाखे की शोर थी।

वो बोले दीपिका आज लग रहा है मेरे ज़िंदगी की सबसे अच्छी दिवाली है। मैं बोली हां मेरे लिए भी दोनों के होठ बात करते काँप रहे थे। मेरे शरीर में करंट सी दौड़ गई और मैं पलट गई और अलग खड़ी हो गई। वो तुरंत ही मुझे पीछे से पकड़ लिए। इस बार और जोर से मेरी चूतड़ की उभर उनके लौड़े में सट रही थी। गोल गोल गांड में अपना लौड़ा रगड़ने लगे थे। और फिर पीछे से हाथ आगे कर के वो मेरी दोनों बूब्स को पकड़ लिए। मेरी चूचियां 34 साइज की है और गोल गोल और तनी हुई है। आप क्रिकेट का बाल समझ सकते हैं। वो धीरे धीरे दबाने लगी। और जैसे कुत्ते कुतिया को चोदते हैं तो कैसे करता है वैसा ही वो पीछे से करने लगा.

मैं पागल होने लगी पुरे शरीर में आग लग रही थी। गला सूखने लगा था साँसे तेज चलने लगी थी। मैं रोक नहीं पा रही थी ना तो अपने आप को ना तो भैया को। जैसे दो नदी जब एक जगह पर मिलती हैं और वहां जाकर एक हो जाती है वैसा ही हुआ था दोनों एक जगह एक हो गए थे। जो मैं चाह रही थी वही भैया चाह रहे थे। एक नेगेटिव और एक पॉजिटिव एनर्जी एक दूसरे से मिलने को आतुर थी।

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तभी भैया बोला दीपिका परमिशन दो। तो मैं बोली परमिशन है।

और वो तुरंत ही छत पर एक दिवार है जहा कोई नहीं देख सकता। वही चले गए और वो मुझे घोड़ी बना दिए। मेरी पेंट निचे कर दी पेंटी भी निचे कर दिए। और पीछे से ही अपना लौड़ा घुसाने लगे मेरी चूत काफी टाइट थी और अँधेरा था कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। कई बार कोशिश करने के बाद भी मेरी चूत में लंड नहीं घुसा वो बार बार थूक लगा कर लौड़ा सेट कर रहे थे पर हरेक बार लौड़ा मूड जाता था और वो फिर से कोशिश करते थे।

शायद दोनों ही अनाड़ी थे। मैं कड़ी हो गई और अपना निचे का पेंट अपने पैरों से बाहर कर दिया। और निचे लेट गई और दोनों पैरों को ऊपर कर के फैला दी। वो तुरंत ही घुटने पर बैठ गए। उसके बाद उन्होंने मोबाइल का जलाकर मेरी चूत को देखा चुत गीली थी उन्होंने मोबाइल की लाइट में ही अपने लौड़े के चुत पर सेट किया और जोर से धक्का दिया मैं कराह उठी। भैया का लौड़ा मेरी चूत में करीब ४ इंच घुस गया था पर दर्द बहुत हो रहा था। मैंने उनको रोका बोला बहुत दर्द कर रहा है। आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

दोस्तों उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाया और मेरे होठ पर किश करने लगी और और लौड़ा उतना हो घुसा था बस वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे और और होठ चूस रहे थे। वो बोले अब दर्द तो नहीं कर रहा है। मैं बोली हां अभी थोड़ा थोड़ा। और उन्होंने थोड़ा निकाला करीब दो इंच उसके बाद उन्होंने फिर से डाला अब उनका लौड़ा ५ इंच के करीब अंदर चला गया मुझे फिर से दर्द हुया। वो फिर रुक गए वो चूमने लगे होठों को और चूचियों को मसलने लगे।

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मेरे मुँह से दर्द भरी सिसकारियां निकल रही थी अच्छा भी लग रहा था दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने लौड़ा थोड़ा बाहर किया और फिर से जोर दिया अब उनका लौड़ा पूरी तरह मेरी चूत में समा गया अब मुझे अच्छा लगने लगा हौले हौले से गांड हिलाने लगी फिर गोल गोल घुमाने लगी। उसके बाद उन्होंने भी अंदर बाहर करने लगे।

अब दोनों ही आह आह कर रहे थे होठ मेरे सुख रहे थे। पर वासना की प्यास के आगे अपने होठ को जीभ से चाट लेती और गांड उठा उठा कर धक्के दे रही थी। दोस्तों वो अब मुझे जोर जोर से पेलने लगे। हम दोनों ही एक दूसरे को मदद कर रहे थे किश कर रहे थे। करीब वो मुझे 15 मिनट तक अंधरे में चोदते रहे और अचानक वो जोर से अअअअअ आए आए की आवाज निकली और पूरा वीर्य मेरे चूत में गिरा दिया और शांत हो गए।

हम दोनों तुरंत ही उठा गए अपने कपडे पहने और उन्होने मोबाइल की लाइट जलाकर देखा वो निचे फर्श पर वीर्य भी गिरा था जो शायद मेरी चूत से निकला था और उसके साथ खून भी था शायद मेरी सील टूटी थी इस वजह से खून थे।

उन्होंने मुझे गले लगाया और फिर हैप्पी दिवाली बोला और कहा आज की रात हम दोनों लिए सबसे हसीन रात थी। हमेशा ना भूलने वाली रात थी। और दोनों एक दूसरे को दिवाली की बधाई दिए और फिर दीपक जलाने लगे।

दोस्तों दुबारा भी मैं अपनी सेक्स कहानी नॉनवेज स्टोरी पर पोस्ट करने वाली हूँ। तब तक के लिए आपको मेरा प्यार भरा प्यार।