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पहले अपने कोच से फिर गेम्स हेड ने चुद्वाकर नेशनल खेलो में सेलेक्शन पाया

नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे आपका स्वागत है, दोंस्तों, मैं निहारिका आपको अपनी कहानी बता रही हूँ। मैं 19 साल की हूँ। मैं छरहरे बदन की हूँ, मेरा बदन बड़ा ही सुडौल है। एक खिलाड़ी होने के नाते मुझे 6 से 7 घण्टे रोज प्रैक्टिस करनी पड़ती है। मेरे पापा एक बॉक्सर थे। वो नेशनल खिलाड़ी थे। बड़ा नाम था उनका। हम दो बहनें है। बचपन से ही हम दोनों बहनें बॉक्सिंग की खिलाड़ी है। मेरी बड़ी बहन रजनी भी बॉक्सिंग की बेहतरीन खिलाडी है।  वो नेशनल लेवल बॉक्सिंग खेलकर ओलम्पिक्स की तैयारी कर रही है।

मैंने स्टेट लेवल में कई बार खेला था। मैंने शानदार खेल का प्रदर्शन किया था। लखनऊ, रांची, जयपुर, हर जगह मैंने अच्छा खेला था। 30 मिनट के मैच में 15 20 मिनट में ही मैं अपने प्रतिद्वंदी को हरा देती थी। मैं अपने पापा की तरह ही अच्छी बॉक्सर थी। मैंने बिना किसी सिफारिश के अंडर 17 में हिस्सा पाया था। वहां पर।अच्छा प्रदर्शन किया, फिर स्टेट लेवल।खेलने लगी।

स्टेट लेवल में रोहन सर को मेरा कोच बना दिया गये। वो भी जवान थे और मैं भी जवान थी। बॉक्सिंग रिंग में हम दोनों जब एक बार प्रैक्टिस करने लगते थे तो समय का पता ही नही चलता था। रात रात भर हम लोग बॉक्सिंग कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहते थे। एक बार मैंने अपने कोच रोहन सर को कुछ जोर से मुक्का मार दिया। उसका दांत टूट गया। मुँह फुट गया। डॉक्टर को तुरंत बुलाया गया। धीरे धीरे मुझे अपने कोच से प्यार हो गया।

एक बार रात के 10 बजे प्रैक्टिस खत्म हुई। मेरे कोच ने बताया कि किस तरह प्रतिद्वंदी का दाव पकड़ा जाता है। उसके सुरुवाती मुक्के और कदमों की स्थिति उसके दाव को बता देती है। मेरी अपने कोच से जदर्दस्त अंडरस्टैंडिंग हो गयी थी। प्रैक्टिस खत्म हुई तो मैं और कोच दोनों पसीना पसीना हो गए थे। बॉक्सिंग में वैसे ही बहुत पसीना निकलता है। हम दोनों नहाने चले गए। मैं अपने बाथरूम के चली है, कोच रोहन अपने कमरे में चले गए।

मेरा मन हुआ की कोच को नंगे होकर नहाते देखूं। मैंने किसी तरह जुगाड़ करके एक छेद से।देखा। कोच का बदन बड़ा गढ़ीला था। मैं उनकी ओर खींच से गयी। पता नही कोच कैसै जान गए और मेरे बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी। मैं उस समय टॉवल में थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए थे। बस जिस्म पर एक क्रीम कलर की।टॉवल ही थी। मैं अपने गोरे गोरे पैरों के बाल सेफ्टी रेजर से बना रही थी। मैंने दरवाजा खोला तो मेरी धड़कन बढ़ गयी। कोच रोहन अंदर आ गए।
झांककर क्यों देख रही थी निहारिका?? कोच ने पूछा।
वो मैं मैं …!  मैं हकलाने लगी। मैं आपसे प्यार करती हूँ! मैंने हिम्मत करके कहा
सायद कोच भी मुझे प्यार करते थे।

तुमको इसकी सजा मिलेगी  कोच बोले। वो गुस्से में लग रहे थे। मैं घबरा गई। वो मेरे बाथरूम में आ गए। दरवाजा बंद कर लिया। मुझे पकड़ लिया और अपना मुँह मेरे मुँह पर जोड़ दिया। यकीन नही हो रहा था मेरे कोच रोहन भी मुझसे प्यार करते थे। मैं भी उनको चूमने चाटने लगी। मैं 12 साल से ही रोहन सर से बॉक्सिंग सिख रही थी। एक खिलाडी पर उसके कोच का बड़ा असर होता है। सायद मैं बस बॉक्सिंग और रोहन सर के बारे में सोचती थी।

रोहन से मुझे पकड़ लिया और मेरी टॉवल में मेरी जांग के पास हाथ डालने लगे। मेरे गोरे चिकने पैर सहलाने लगे। हम दोनों जोश से एक दूसरे साँसे सूंघने लगे और गरम गरम चुम्बन लेने लगी। कोच से मुझे एक दीवाल से सटा दिया। मेरे दोनों हाथ  ऊपर दीवाल में चिपका दिए। और लगे मेरे गुलाबी ओंठों को पीने। इसी धक्का मुक्की में मेरी सफ़ेद खिलाड़ी वाली मोटी टॉवल खुल गयी और नीचे गिर गयी।

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कोच रोहन ने पहली बार मेरे मम्मे, मेरी सबसे बड़ी संपदा देख ली। जब 12 साल में मैं उनसे बॉक्सिंग सिखने आयी थी तो मेरे पास बस छोटी छोटी अमिया थी, पर अब 7 साल बाद ये छोटी छोटी अमिया पके पके आम बन चुके थे। रोहन सर से मेरे आमो को छूकर देखा
रोज पेड़ को देखता था, पर आम के दर्शन आज पहली बार हुए है!  रोहन बोले और बिना देर किये मेरे पके आमो को मुँह में ले लिया और तफरी से पिने लगे। मैं उत्तेज्जित होने लगी। कुछ आज इसी बाथरूम में मैं चुदवा लूँगी? क्या मैं चुदासी हूँ? क्या अब मेरा बिना चोदवाए काम नही चेलेगा? मैं सोचने लगी।

रोहन सर जोर जोर से मेरी सुडौल रस से भरी चिकनी छतियों को दाँत गड़ा गड़ाकर पीने लगा। मैं खुश थी। क्योंकि मैं अपने कोच से 12 साल से ही प्यार करती थी। हाँ ये सच है। मैं उसकी चाल ढाल, हँसी गुस्सा हर बात पर फ़िदा थी। और आज कोच भी मुझे प्यार करने लगी थी। रोहन सर ने मेरी बायीं छाती खूब तफरी से पी, फिर दायीं छाती भी जोश से दाँत गड़ा गड़ाकर पीने लगे। उफ्फ्फ्फ़! कितना मजा मिला था मूझे।
निहारिका! ई लव यू!!  कोच बोले।
ई लव यू टू सर! मैंने भी कहा
अब वो और जोश से मेरे मम्मे पिने लगे।

मैंने शावर खोल दिया। हम दोनों गर्म गुनगुने पानी में भीगने लगे। ऐसे में आज अपने कोच से चुदवा लेना, एक बड़ी बात थी। सर मेरी काली काली छाती की घुंडियों को चबा रहे थे। मैं सुख में डूब गई थी। वो फिर से मेरे ओंठ पिने लगे। और अपना हाथ वो मेरी चुट पर ले गए और मेरी चुट मलने लगे। मैं कुंवारी नही थी क्योंकि एक बार मैं 15 साल में अपने बुआ के लड़के से चोदवा लिया था। पर वो एक रात की बात थी, उसके बात मैंने सिर्फ और सिर्फ बॉक्सिंग पर ध्यान लगाया था और अपना बेस्ट परफार्मेन्स दिया था।

बाथरूम में यूँ इस तरह से भीगना और अपने कोच से ऊँगली करवाना मजेदार था। कोच से मुझे फर्श पर लिटा दिया और शावर चलने दिया। मेरे कमर पर वो बैठ गए और अपना बड़ा सा गोरा लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया। रोहन सर बहुत गोरे थे, इसलिए उनका लण्ड भी गोरा था। मैं मजे से चूसने लगी। मेरी बड़ी बहन जो मुझसे 5 साल बड़ी है, वो भी रोहन सर से बॉक्सिंग सीखती है। मेरी बहन भी रोहन सर से प्यार करती थी। एक बाद जब उसने रोहन सर को लव लेटर दिया था तो वो आग बबूला हो गए थे। उन्होंने मेरे पापा से शिकायत की थी।

पर सायद सर मुझसे खास लगाव करते थे, तभी तो उन्होंने कोई हंगामा नही किया था। सायद मैं अपनी दीदी से ज्यादा खूबसूरत थी। मैं एक सच्चे खिलाडी की तरह अपने कोच का कहा मानती गयी और उनके तंदुरुस्त लण्ड पर हाथ चला चलाके चूसने लगी। मैं गोल गोल आकार में अच्छी तरह हाथ मॉल रही थी रोहन सर के लण्ड पर। वो मेरी निपल्स को हाथ से मर्दन कर रहे थे, ऐंठ रहे थे। बीच बीच में मेरे मम्मो को झुक पर पी रहे थे।

मैं बहुत गर्म हो गयी थी। लगा मेरी चूत कहीं फट ना जाए। हम दोनों गीजर के गर्म पानी में नहा भी रहे थे। गर्म पानी ठंडक में बड़ा सुकून पंहुचा रहा था। जी भरके चुस्वाने के बाद सर से लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया। मेरे दोनों पैर आजू बाजू फैला दिये। और मुझे चोदने लगे। मेरी बुर बड़ी टाइट थी। क्योंकि आज से 4 साल पहले बस एक रात ही मैं अपने बुआ के लड़के से चुद गयी थी।

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मेरी बुर बड़ी टाइट थी, मेरे कोच रोहन सर का लण्ड धीरे अपना रास्ता बनाता जा रहा था। हम दोनों शावर के गरम गरम पानी में भीग भी रहे थे। सर के फटके अब बढ़ने लगे, वो जोर जोर से मेरी चुत का भोसड़ा बनाने लगे। चोद चोदकर मेरा भोसड़ा फाड़ने लगे। अपने कोच से मैं बेपनाह मुहब्बत करती थी। अपने अपने प्यार से चुदवाने का मजा ही हजार गुना होता है। अगर मैं किसी और से चुद्वाती तो शायद इतना मजा नही मिलता।

अब मुझे यकीन हो गया था कि मेरे कोच भी मुझसे इतना ही प्यार करते है। 1 घण्टे तक मुझे लेने के बाद उन्होंने लण्ड निकाल लिया। मेरी छूट को उँगलियों से फैलाया और अंदर की असली चूत चाटने लगे। मेरी बुर को खाने लगे इस इस तरह चाट रहे थे। मेरी बुर का स्वाद नमकीन था। थोड़ा कसैला स्वाद था जो सर को बड़ा पसंद आ रहा था। हम खिलाडियों को एनर्जी ड्रिंक्स भी मिलती है। सर से एनर्जी ड्रिंक की बोतल खोली और मेरी चूत पर डाल दी। एनर्जी ड्रिंक में बहुत से फलों के रस।थे। सन्तरा, अनार, आम, खुमानी, अंगूर, अनानास, सारे जूस मेरी चूत पर लग गए।

अब मेरी चूत मीठी मीठी हो गयी। मेरी चिड़िया सर को और भाने लगी। अब वो और मजे से मेरी बुर खाने लगे।
निहारिका! क्या तुमको पता है क्लाइटोरिस यानि चूत के लबो में 15 हाजर तंत्रिकाएं होती है?? चूत के अंदर गोल गोल छल्ले होते है जो 200% जरूरत होने पर बढ़ जाते है? सर मेरी।मेरी।चुट में ऊँगली करते करते ही पूछा।
नन हहहह ईईई  मैंने कहा। असल में मैं कोई नया ज्ञान लेने के मूड ने नही थी। मैं तो बस खामोश होकर चुदवाना चाहती थी। पहले रोहन सर मुझे बैठकर चोदते रहे, फिर मुझ पर लेट कर चोदने लगे।

उनका पेट मेरे पेट पर चोट करने लगा, उनका पेडू मेरे पेड़ू पर चट चट करके चोट करने लगा। हूँ हूँ हूँ करके उनकी आँखे लाल हो गयी। वासना का समुंदर मेरे कोच की आँखों में उमड़ पड़ा। वो निर्ममता से मेरी सुकुमार चिड़िया को अपनी ओखली से उड़ा रहे थे, कूट रहे थे। मैं भी जवानी के मजे ले रही थी। इस तरह मेरे कोच मुझे कई घण्टो तक कूटते रहे। अब तो एक सिलसिला सा बन गया था, मेरे कोच हँस शानिवार की शाम को मुझसे कई घण्टो तक चोदते, कूटते थे। मैं भी जमकर कुटवाती थी।

फिर मेरा सेलेक्शन नेशनल गेम्स के लिए होना था। इसके लिए प्रैक्टिस सेशन रांची में होना था। मैं रांची आ गयी। मैं 6 बार की स्टेट चैंपियन थी। इसलिए मुझे ac फर्स्ट क्लास का ट्रैन टिकट मिलता था। मैं रांची पहुँच गयी। मेरी आँखे बस रोहन सर को धुंध रही थी। पर वो वहां नही थे। चलते वक़्त उन्होंने मुझे शिक्षा दी थी की कभी हार मत मानना अपने विरोधी का डटकर सामना करना। मैं रांची आ तो गयी पर यहाँ पर तो बड़ी कॉम्पटीशन थी। 32 राज्यों के स्टेट बॉक्सिंग चैंपियन यहाँ आये थे। लड़कों का सेलेक्शन दूसरी ओर हो रहा था, हम लड़कियों का एक तरह। पहले फिसिकल टेस्ट होना था।

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कई महिला बॉक्सर्स को डोपिंग टेस्ट में निकाल दिया गया था। कुछ समय पहले मैंने सिर दर्द की कुछ दवाएं ली थी, राम जाने उन दवाओं में कौन सा केमिकल था, मैं भी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गयी। लगा मेरे सपने चूर चूर हो गए। कबसे आस लगायी थी की एक दिन नेशनल गेम्स खेलूँगी। पर आज ये डोपिंग टेस्ट में फेल हो जाने वाली मुसीबत कहाँ से आ गयी। मैं रोने लगी। किसी से कहा कि की गेम्स हेड सुरेंद्र कलमाडी से बात करुँ तो कुछ हो सकता है।

मैं उनके ऑफिस में गयी।
सर मैंने किसी तरह की प्रतिबंधित दवा नही ली, फिर भी पता नही कैसे डोप टेस्ट में फेल हो गयी। सर , प्लीज मुझे एक मौका दीजिये!!  मैंने मोटे मोटे आँशु लुढ़काते हुए कहा।
सुरेंद्र कलमाड़ी बड़ी पावर वाले आदमी थे मैं जानती थी। उन्होंने मुझे पैर से ऊपर तक घूर कर देखा। सायद मेरे बदन ताड रहे थे।
मैं जानता हूँ तुम्हारे अंदर टैलेंट है, पर टैलेंट दिखाना पड़ता है! छुपाने से काम नही बनता  सुरेंद्र कलमाड़ी बोले।

मेरे अंदर टैलेंट है। मैं आपको जरूर दिखाऊंगी!  मैंने कहा
…तो ठीक है शाम को 8 बजे घर आ जाना।  कलमाड़ी बोले।
मैं थोड़ा हिचकिचा गयी। पर कुछ नही बोला। बॉक्सिंग फेडरेशन लीग का इतना बड़ा अधिकारी आखिर मैं क्या कहती। मुझे जरा जरा अंदेशा हो गया था। सायद वो मुझसे अपना बिस्तर गर्म करना चाहते थे। पर मैं हर बात के लिए तैयार थी।

शाम को नीलें रंग के सलवार सूट में मैं क्रीम पावडर लगाके पहुची।
आओ आओ! कलमाड़ी बोले। मैं अंदर चली गयी। घर पर कोई नही। बिलकुल निल बटे सन्नाटा। अचानक से कलमाड़ी 2 ग्लास व्हिस्की लेकर सामने आये। आइस क्यूब भी डाल दिया था।
ये लो! पी लो!! इससे काम आसान हो जाएगा!! तुमको मेरा बिस्तर गर्म करना होगा!  अगर मंजूर नही तो जा सकती हो। मैं किसी खिलाड़ी से जोर जबरदस्ती नही करता! पर अगर तुम तैयार हो तो कल नेशनल गेम्स के लिए तुम्हारा सेलेक्शन पक्का समझो! कलमाड़ी बोले।

उन्होंने सफ़ेद रंग का पजामा कुर्ता पहन रखा था। बड़ी सी तोंद निकली थी। कलमाड़ी किसी से पैसे नही लेते थे, बस चूत ही मांगतेथे।
मुझे मंजूर है  मैंने कहा
बाद में मुझे कोई बवाल नही चाहिए! कलमाड़ी बोले
कोई दिक्कत नही सर! मैंने सर झुकाकर कहा

बस फिर क्या था। कलमाड़ी मुझे अंदर अंदर ले गया। ऊँगली से कपड़े उतारने का इशारा किया। अपना कुर्ता पाजामा उतारा। मैंने अपने कपड़े निकाले। कलमाड़ी मेरे दुधारू मम्मो को देखकर टूट पड़े। खूब मम्मे पिए।
क्या कोई बॉयफ्रेंड है ?? कलमाड़ी ने मेरी चूत देखते हुए पूछा क्योंकि चूत खुली थी
मेरे कोच ही मेरे बॉयफ्रेंड है!  मैंने जवाब दिया।
अच्छा है! अच्छा है! कलमाड़ी बोले और अपनी बड़ी से तोड़ मेरे पेट पर रख मेरे पैर आगे की ओर मोड़ कर चोदने लगे।

मुझे चोदते, सुस्ताते, व्हिस्की पीते, फिर चोदते। यही सिलसिला पूरी रात चला। अगले दिन मेरा फिर से डोप टेस्ट हुआ और मैं पास हो गयी। मैं खुश थी की नेशनल गेम्स के लिए मेरा चयन हो गया था। बस चूत ही देनी पड़ी। कोई घिस थोड़ी ही ना गयी। मेरा  नेशनल बॉक्सिंग गेम्स में चयन हो गया और मैंने गोल्ड मैडल जीता। फिर मुझे राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड भी मिला।