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अपनी टीचर हेमा मैडम को चोद के उनकी गोद भरी

दोंस्तों, मै कुनाल आपको अपनी कहानी अपनी जुबानी सुना रहा हूँ। ये मेरी पहली कहानी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर, मैं उन दिनों 12वी में पढ़ता था। मैं बलिया में पढ़ा करता था। मेरी क्लास वैसे तो बड़ी बोरिंग थी। पर पढाई बड़ी अच्छी होती थी। सुबह सबसे पहले तो गायत्री मंत्र होता था, फिर प्रार्थना होती थी। बड़ी टाइट पढाई होती थी। सब के सब जेंट्स टीचर थे। दोंस्तों सारे लड़के और लड़कियां सुबह से शाम तक बस पढाई की ही बात करते थे। इस तरह हम लोग बड़ी सूनी सूनी जिंदगी जी रहे थे।

फिर कुछ दिनों बाद हमारे कंप्यूटर टीचर को कहीं पक्की सरकारी नौकरी मिल गयी। उनकी जगह एक नयी हेमा मिस हम 12वी वालों को कंप्यूटर पढ़ाने आयी। दोंस्तों, क्या गजब की सामान थी। हमेशा शिफॉन या नेट की पारदर्शी साड़ी पहनती थी स्लीवलेस ब्लॉउज़ के साथ। दोंस्तों मुझे लगता है कि अपनी हेमा मैडम पर मैं सबसे ज्यादा आसक्त था। उनको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। मैं अपने काबू से बाहर हो जाता था। उनके ब्लॉउज़ आगे और पीछे से बड़े गहरे होते थे। बस यही मन करता था कि कहीं हेमा मैडम अकेले में मिल जाए तो इनको कस के चोद लो।

मेरी 12वी क्लास के कुछ लड़के तो उनके पीछे पागल थे ही, पर सायद मैं ही सबसे ज्यादा पागल था। पहली बार उनको देखने पर ही घर आते ही मैंने अपना कमरे का दरवज्जा बन्द करके आँख बंद कर ली थी और मैडम का ध्यान लगाकर मुठ मार ली थी। दोंस्तों, इस तरह मैं दिन रात बस हेमा मैडम के बारे में सोचने लगा। मैं पूरी तरह से उनके लिए पागल हो गया था। हर दिन मेरा आकर्षण उनके लिए बढ़ने लगा।

यारों एक दिन मैं अपने स्कूल की गर्ल्स टॉयलेट में छिप गया और हर लड़की को मूतते देखने लगा। पर बसकिस्मती से एक दिन मैं पकड़ गया। मुझे प्रिन्सिपल के सामने पेश किया गया। जिस लड़की को मैं छुल छुल नँगी मूतते देखा था उसने मेरे प्रिन्सिपल से लिखित शिकायत कर दी। मेरी माँ को स्कुल में बुलाया गया।
बहनजी!! आपका लड़का बुरी संगत में पड़ गया है। क्लास की लड़कियों को टॉयलेट में छिप छिप कर देखता है। हमें इसका नाम काटना पड़ेगा! वरना इसकी वजह से हमारे स्कूल की बड़ी बदनामी हो जाएगी! प्रिन्सिपल नेे मेरी माँ से कहा

मेरी माँ तो रोने लगी। वो हाथ जोड़कर मुझे स्कूल से ना निकालने की बात करने लगी। मैं तो अपने काम पर बड़ा शर्मिंदा था। तभी वहां हेमा मैडम आ गयी और मुझे बचा लिया।
सर, बच्चे तो किशोर अवस्था में ऐसा करते ही है क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन बनते है। आगे से कुनाल ऐसा नही करेगा!! हेमा मैडम ने प्रिन्सिपल से कहा और उस दिन मुझे बचा लिया। अब तो मैं उनका और भक्त हो गया। अब दिन रात मैं उनको याद करके सड़का मार देता। एक दिन मेरी माँ ने हेमा मिस से फोन पर बात की।

उनको 5 हजार हर महीने ऑफर किये और हेमा मिस मुझे ट्यूशन देने घर आने लगी। दोंस्तों, अब तो मेरी पांचो ऊँगली घी में आ गयी। जिस जवान मदमस्त औरत को मैं सोच सोच के सड़का मारा करता था, आज वो हसींन औरत मेरे बिलकुल पास कुछ इंच की दुरी पर बैठी पढ़ा रही थी। एक हफ्ता तो मैं यक़ीन ही नही कर पा रहा था कि ये सच है कि सपना है। हेमा मैडम के आने से पहले मैं साबुन से अपना चेहरा खूब चमकाता था जिससे मैं हैंडसम लगूँ।

एक दिन मेरा हाथ उनके हाथ से छू गया। बड़ा गर्म था।
मैडम!! क्या आपको बुखार है?? मैंने पूछा
नही कुनाल! औरत का बदन इतना गर्म होता ही है!! मैडम।बोली।
फिर एक दिन मैंने उनको अकेले में पाकर उनका हाथ पकड़ लिया। आज भी मैडम ने शिफॉन की पीली साड़ी पहनी हुई थी। आगे और पीछे से उनका ब्लॉउज़ काफी गहरा था। उनका सोने का मंगलसूत्र उनके क्लीवेज के बीचों बीच फसा था। हल्के पीले पारदर्शी ब्लॉउज़ के अंदर से कसे और तरासे चुच्चे बाहर झाँक रहे थे। पंखा चलने से मैडम का आँचल बीच बीच में उड़ जाता था तो उनकी गोरी चिकनी कमर , उनका सपाट पतला पेट और उनकी बेहद मादक मदमस्त कर देनी वाली नाभि दिख जाती थी। दोंस्तों, भगवान कसम खा के कहता हूँ की बस यही मन करता था कि इनको एक बार गिरा के चोद लूँ, फिर चाहे जेल ही ना हो जाए।

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बस दोंस्तों इसी कश्मकश में मैंने मैडम का हाथ पकड़ लिया।
ये क्या है कुनाल?? हेमा मैडम ने पूछा
मैडम आप मुझे बहुत अच्छी लगती है। मैं आपसे शादी करना चाहता हूँ!! मैंने कहा
अगले ही पल मुझे एक तेज तमाचा अपने गाल पर मिला। मैडम बिना कुछ कहे घर चली गयी। उस रात मैं जान गया कि हेमा मैडम अब मुझे कभी पढ़ाने नही आएंगी। वो अगले 7 दिन जब मेरे घर पर पढ़ाने नही आयी तो मेरी माँ ने उनको फ़ोन किया। हेमा मिस ने कहा कि मैं उनके घर जाकर पढ़ लूँ।

डरते डरते मैं अगले दिन शाम 5 बजे उनके घर गया। दरवाजा खुला था। मैं अंदर गया। हेमा मैडम ने आज भी क्रीम कलर की शिफॉन की साड़ी पहन रखी थी। दोंस्तों बिलकुल परी लग रही थी। आज भी वही स्लीवलेस ब्लॉउज़ था और आगे गहरा गला। पीठ तो समझिए बिलकुल नँगी थी। क्या तराशे हुए चुच्चे थे जो उनके ब्लॉउज़ ने बाहर की ओर झाँक रहे थे। एक बार फिर से मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। पर मैंने खुद को कंट्रोल कर लिया। मैं मैडम से डरने लगा था।

कुछ देर बाद मैडम ने खुद ही मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं थर थर कापने लगा।
डरो मत कुनाल!! आओ मेरे पास आओ!! उन्होंने मुझे अपने बच्चे की तरह सीने से लगा लिया। मैं हैरान था। मैं तो उनको चोदना चाहता था फिर ये मुझे अपना बच्चा क्यों मान रही है?? मै सोचने लगा।
देखो कुनाल!! डरो मत! जो तुम अपने घर पर करना चाहते थे, यहाँ कर सकते हो?? हेमा मैडम बोली।

दोंस्तों, मुझे तो विस्वास ही नही हो रहा था। खुद मैडम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने सीने पर रख दिया। बड़ा गरम सीना था दोंस्तों। फिर हेमा मैडम से अपना आँचल सीने से हटा दिया। तिकोने दुधभरे समोसे मुझे दिखने लगा। मैंने बड़ी हिम्मत करके हेमा मैडम की ओर मुँह कर लिया। वो मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देख रही थी। बड़ी मुश्किल से मैंने अपने से 10 15 साल बड़ी औरत हेमा मैडम से नजरे मिलायी। वो आँखों ही आँखों में मुझे चोदे जा रही थी। तो मैं भी आँखों ही आँखों में उनको चोदने लगा।

कब मैंने उनको अपने गले लगा लिया याद नही। हम दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया था। सायद ये दिन मेरी जिंदगी का सबसे सुंदर व यादगार दिन था। हम दोनों अपनी जिस्मानी जरूरत को पूरा करना चाहते थे। एक दूसरे को हमने भींच लिया था। सायद मैडम कई दिनों से नही चुदी होंगी, तभी मुझको मौका दे रही थी। उनके हस्बैंड भी पटना में बी.टेक वालों को किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। हर 15 दिन में बलिया आते थे मैडम को चोदने के लिए।

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सायद मैडम अभी 25 26 की होंगी, कड़क मॉल थी, जादा जवान थी, जादा चुदवाना चाहती थी, इसलिये मुझे ये गोल्डन चांस दिया था। दोंस्तों, मैंने तो यही निष्कर्ष निकाला। मैं मैडम को गले, मुँह, होंठ, सब जगह जल्दी जल्दी किस करने लगा। मैडम पूरा सहयोग कर रही थी। मेरा आत्मविस्वास बढ़ गया। मैंने मैडम को उनके होंठों पर चूमने लगा। ओहः कितनी अलग उनकी सांसों की गंध थी। मेरे नाक में बस गयी। मैंने मैडम के जुड़े की क्लिप को खोल दिया। सिल्की काले बाल बिखर गए। मैं उनके यौवन का प्यासा हो गया।

अभूतपूर्व सौंदर्य!! बॉप रे!! ऐसी सुंदरता, ऐसी मादकता, महकता छरहरा बदन, जरा भी कहीं चर्बी नही, मैंने हेमा मैडम को सीने से लगा लिया। उनके होंठों का दीदार किया और अपने होंठों को उनके होंठों से 1 2 3 बार टकराया फिर उनके होंठ पिने लगा। मैडम भी सोच रही होंगी की क्या मस्त भंवरा मिला है जो उनकी ओस की एक एक बूंद पूरी तन्मयता से पी रहा है। यारो, मैं जीवन में ये दृश्य कभी नही भूलूंगा। मैं उनके होंठ अपने मुँह से भर भरके पिने लगा। हम दोनों ही गरम हो गए थे।

मैडम! ऐसे मजा नही आ रहा!! साड़ी निकालिये!! मैंने कहा
मैडम ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी निकाल दी। मेरा तो कालेज ही चिर गया। एक नई युवा सुंदरी मुझे अपने यौवन का रस पिला रही थी। मैडम पास आई तो मैं काँप गया। दौड़कर गया और बाहर का दरवाजा बंद कर आया। जिस कमरे में हम थे, वो भी कायदे से बन्द कर लिया। मैं नही चाहता था कि किसी को हवा भी इसके बारे में लगे।

मैं फिर से बेहद जोश में भड़कर उनको चूमने चाटने लगा। हम दोनों सोफे पर आ गए। मैडम सोफे पर बैठ गयी और पीछे टेक लगाकर लेट सी गयी। मैं उनको जगह जगह चूमने चाटने लगा। मेरे हाथ उनके तराशे हुए चुच्चों पर जाने लगे। बॉप रे!! कहीं मैं उनके यौवन से मर ना जाऊ। मैंने सोचा। मैंने मैडम के ब्लॉउज़ के बटन खोल दिए। उसे निकाल दिया। सफ़ेद रंग की ब्रा में थी। मैंने अब उनको सोफे पर लिटा दिया क्योंकि बैठ के उनके मम्मे पीना नामुमकिन था। हेमा मैडम को सोफे पर लिटा था, मैंने उनकी सफ़ेद ब्रा को आगे से ऊपर हल्का सा उचकाया और दुधभरे तिकोने समोसे उभर आये।

बिना कोई देर किये मैंने समोसे को मुँह में भर लिया और पिने लगा। उफ्फ्फ !! कितना मीठा स्वाद था। ताजा नर्म गोश, मुलायम मलाई सा मांस का टुकड़ा जैसे चिकेन टिक्का या मलाई टिक्का। जी किया कि दांत से काटकर अलग कर दूँ। फिर हेमा मैडम का दूसरा मम्मा भी पिया। मैडम ने तब तक खुद ही अपनी पतली चिकनी पीठ में हाथ डालकर ब्रा के हुक खोल दिए। मैं आराम से उनकी छातियां पीने लगा। एक हाथ से पीता तो दूसरे हाथ से मम्मे दबाता और सहलाता।

इसी दौरान हम दोनों बहुत चुदासे हो गये। मैडम के पेटीकोट का नारा मैं खोल दिया और निकाल दिया। भले ही वो 32 34 की थी पर आज भी किसी छमिया से कम नही लगती थी। मेरी स्कूल की जवान जवान लड़किया भी उनके आगे फेल थी। मैडम के खूब चिकने तराशे संगमरमरी पैरों को तो मैं देखता ही रह गया। बॉप रे!! बिलकुल दूध की तरह सफ़ेद। मैंने पेटीकोट निकाल दिया। पैंटी भी निकाल दी। मैडम की चूत पर हाथ फेरा तो झांटों के बाल गढ़ने लगे। असल में उन्होंने कुछ दिन पहले ही झांटे बनायीं थी, इसलिए हल्की हल्की खूटी दार झांटे निकल आयी थी।

मैं बार बार उनकी चूत पर हाथ फिराने लगा और खूंटीदार झांटों को सहला सहलाकर मजा लेने लगा। फिर मैं उनकी बुर पीने लगा। बुर फ़टी थी। सायद उनके हस्बैंड ने उनको चोदा होगा। मैं तन्मयता और सच्ची लगन से उनकी बुर पीने लगा। अपनी जीभ को गोल गोल घुमाकर हेमा मैडम की चूत पीने लगा। फिर वो पूरी तरह से गर्म हो गयी। मैंने कपड़े उतारे और लण्ड को उनके बुर में सरका दिया। लण्ड आराम से उनकी बुर में दाखिल हो गया। मैं अपनी मैडम को चोदने लगा।

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मैं इससे पहले कई लड़कियों को पेल चूका था। अब अपने से उम्र में बड़ी औरत को चोदने में अलग सुख ही मिलता है। आपको फीलिंग आती है कि आप बड़ी औरतों को भी अच्छे से ले पाते है, उनको भी हैंडल कर सकते है। अपनी हेमा मैडम को यूँ उनके ही घर में नन्गा करके सोफे पर चोदने का सुख ही अभूतपूर्व था। उनके रूप की तिजोरी मेरे सामने खुली हुई थी। मैं उन्हें हुस्न का सारा खजाना, सारा सोना लूट रहा था। मेरी जिंदगी का ये एक यादगार दिन था। मेरा लण्ड अच्छा खासा मोटा 7 8 इंच का था। मैं गपागप मैडम को पेले जा रहा था। मैडम ने मुझसे नजरे नही मिलायी। आँखे बंद कर ली थी। सायद शर्म कर रही थी। ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है

फिर वो घडी आयी जब मैं उनकी योनि में ही झड़ गया। जैसे ही मैंने लण्ड निकाला , कुछ माल तो अंदर चला गया, कुछ तुरंत बाहर आ गया। मैडम से अपनी पैंटी से अपनी बुर साफ कर ली। उफ्फ्फ!! क्या मलाईदार बुर थी उनकी। मैडम अब सोफे पर उठ बैठी और मेरा लण्ड चूसने लगी। मैंने भी खूब चुस्वाया। कुछ देर बाद मेरा फिर से खड़ा हो गया। मैंने मैडम को सोफे पर पेट के बल लिटा दिया। उनकी कमर के नीचे 2 4 मुलायम तकिए भर दिए। हेमा मैडम का पिछवाड़ा उभर के मेरे सामने आ गया। मैंने तो पहले उनके दोनों मुलायम रबर की गेंद से चुत्तड़ो से खूब खेला। मैंने उनकी गाण्ड भी चाटी। फिर मैंने लण्ड को उनकी बुर की फाकों में फिर से पेल दिया।

पीछे से उनके गोल गोल भरे हुए पूट्ठों के बीचों बीच हेमा मैडम की बुर कुछ जादा ही सुंदर लग रही थी। दोंस्तों इस तरह पीछे से लेने में कसावट भी जादा आ जाती है। मैं उनकी चिकनी पीठ को सहलाते हुए उनको चोदने लगा। काफी बढ़िया अनुभव था। फिर धीरे धीरे मेरे लण्ड ने रफ्तार पकड़ ली। मैंने मैडम के दोनों चूड़ी भरे हाथ पकड़ लिए और घोडा गाडी चलाने लगा। उनके हाथ की, उनके सुहाग की कई चूड़िया टूट गयी। उफ्फ्फ!! पीछे से अपनी मैडम को चोदने में मुझे खूब कसावट मिली।

लगा किसी नई लौण्डिया को चोद रहा हूँ। आधे घण्टे की मेहनत के बाद मैंने माल उनकी बुर में ही छोड़ दिया। अपने से बड़ी टीचर होने के नाते मैंने उनका सम्मान रखा। उनकी गाण्ड नही मारी। कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे बताया की वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है। उन्होंने अपने हस्बैंड को मेरे बारे में कुछ नही बताया। उससे कहा कि ये बच्चा उसका ही है।

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