राजधानी एक्सप्रेस में चुदाई भाभी की

मेरा नाम समीर है, दोस्तों कभी कभी ऐसा होता है आपके जीवन का एक यादगार पल आपके ख्वाबो में हमेशा हमेशा के लिए रिकॉर्ड हो जाता है, जब भी आपका मन निराश होता है या तो आप कभी अपने आप को अकेला महसूस करते है तब वही ख्वाब से अपने जीवन में एक बसंत लाते है, उसी ख्वाब को सोच कर आप खुश होते है, ये ख़्वाब चाहे जो भी हो, आपका किसी के साथ रिश्ता, अपने गर्ल फ्रेंड या आपका बॉयफ्रेंड, सेक्स सम्बन्ध, या आपकी किसी के साथ दोस्ती. इसको आप ज़िंदगी भर नहीं भूलते है, उसी यादों के सहारे आप रात या अकेलापन काटते है. ऐसी ही कहानी मेरे जिंदगी के साथ जुड़ा है, जो मैं आपसे शेयर करूंगा, आशा करता हु की आपको ये मेरी कहानी अच्छी लगेगी.

मेरे सोसाइटी में एक चंडीगढ़ की भाभी है, वो पंजाबन है, भगवान ने उन्हें गजब का सुन्दर बनाया था, करीब 6fit लम्बी है, और उनका बदन काफी गोरी है, उनका ब्रेस्ट करीब ३६ साइज का था पर लम्बाई और शरीर के अनुसार था, बहुत ही सेक्सी औरत है, मैं जब भी उनको शाम को पार्क में टहलते देखता मैं भी पार्क में जाके बैठ जाता उनके सामने मुझे कोई भी लड़की या औरत सुन्दर नहीं लगती है. उनका मेरे घर से दोस्ती का रिलेशन भी है, सो मेरे वाइफ से काफी अच्छी जान पहचान है,

एक दिन मुझे किसी काम से मुंबई जाना था, तो मेरी वाइफ उनसे ये बात शेयर की कि मेरे हस्बैंड मुंबई जा रहे है, तो बोली कब वो बता दी जिस दिन का टिकट मिल जायेगा उसी दिन, तो बोली मैं भी जाना चाह रही हु, क्यों कि मेरी सासु माँ अभी मुंबई में ही है और मेरे पति अभी अमेरिका गए है ऑफिस के काम से मेरी सासु माँ अपने से आ नहीं सकती इस्सवजह से मुझे उन्हें लाने जाना है, मैं कल आपको बताउंगी अगर हो सके तो मैं भी उनके साथ चल पडूँगी पहले मैं अपने पति से परस्मिशन ले लू.

दूसरे दिन सुबह आठ बजे ही मेरे फ्लैट का वेल बजा देखा वही भाभी बाहर खड़ी थी, मैंने दरवाजा खोला वो अंदर आ गयी, बोली भैया आप मुंबई जा रहे हो मैं भी चलूंगी और हो सकता है साथ ही वापस आ जाउंगी, अपने सास के लेके सुना है आप २ दिन के लिए जा रहे है, मैंने कहा हां ठीक है कोई बात नहीं मैं बस अपना टिकट बनाने ही बाला था तभी आप आ गयी, चली अच्छा हुआ,

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मैंने अपना लैपटॉप से irctc से टिकट निकालने लगा, पर टिकट कन्फर्म नहीं बल्कि आर ए सी में मिला मैंने कहा चलो यही ले लेते है वो भी बोली ठीक है, बाकी ट्रैन में ही कन्फर्म हो जाएगा ,

दूसरे दिन नई दिल्ली स्टेशन से मुंबई राजधानी में बैठ गए हम दोनों का साइड बाला सीट था, दोनों बैठ गए उसके बाद चाय कि चुस्की के साथ बातचीत सुरु हुआ, और रात को खाना भी आ गया खाना खाके आइसक्रीम खाए करीब ५ घंटे का सफर तय हो गया तभी टीटी आया और बोला सर आपका टिकट कन्फर्म हो गया है आप इसी कि ऊपर बाला ले लीजये मैंने उसे थैंक्स कहा और फिर बात चित सुरु. रात के करीब ग्यारह बजे मैंने कहा मैं ऊपर चला जाता हु आप निचे रह जाइए. तभी बोली अरे सोते तो रोज है, आज अच्छा लग रहा है बात चित करने में, तो मैं रूक गया फिर उन्होंने कहा कि आप पैर फैला लो कोई बात नहीं ये सब ट्रैन में चलता है वो पर्दा लगा दी.

मैंने पैर फैला लिया वो भी अपने पीछे तकिया लगा के पैर फैला ली अब उनका एक पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में और मेरा एक पैर उनके दो पैरों के बीच में, एक ही कंबल में थे, अचानक उनका पैर मेरे लंड को छु गया, मेरा लंड पहले से खड़ा था क्यों कि वो बिना दुपट्टे के बैठी थी जिससे उनकी दोनों चूची साफ़ साफ़ दिख रही था और आधा चूची बाहर लटक रहा था उसपर से एक सोने का लॉकेट गजब का लग रहा था, वो समझ गयी कि मेरा लंड खड़ा हो चुका है, अब वो थोड़ा निचे सरक गयी और मेरा पैर उनके चूत पे जा टिका मैंने महसूस किया कि उनका चूत काफी गरम हो चूका था, वो अब धीरे धीरे अपने पैर से मेरे लंड को दबाने लगी, मैंने भी अपने पैर से उनके चूत को महसूस करने लगा, अब दोनों चुपचाप थे, और बस पैरो से ही सब हो रहा था वो बोली मुझे थोड़ा कंजस्टेड हो रहा था क्या मैंने आपके पैर पे ही अपना सर रख लू, मैंने कहा ठीक है.

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वो अब ghoom के अपना सर मेरे गोद में रख ली, मैं इतनी करीब से उनके होठ जो गुलाबी और गाल लाल लाल और चूच कि गोलाई को नज़दीक से महसूस कर रहा था, अचानक देखा वो आँख बंद कर ली करीब १० मिनट के बाद मैं उनके होठ को अपने ऊँगली से छुआ वो कुछ भी नहीं बोली मैंने फिर गाल छुआ वो चुप रही आँख बंद था, करीब पांच मिनट बाद मैंने उनके चूच को थोड़ा छुआ फिर थोड़ा फिर थोड़ा और बाद में पूरा हथेली दोनों हाथ कि दोनों चूच पे रख दिया, गाडी सरपट भाग रही थी, मेरा सांस भी उसी रप्तार में चल रहा था, तबभी मैंने देखा वो मेरे हाथ को पकड़ के अपने चूच पे रख के दबाब देने लगी, मैं भी उनके चूच को दबाने लगा, फिर वो उठी बैठ गयी कुछ भी नहीं बोली और अपना कुर्ता खोल दी वो अब ब्रा पे थी और फिर वो वैसे ही लेट गयी ओह्ह्ह्ह माय गोड क्या चीज़ लग रही थी यार मैं तो पागल हो गया था मैंने चूची दबाई पर मन नहीं मान रहा था मैंने उनके पीठ के पीछे हाथ घुसाया और ब्रा का हुक खोल दिया.

फिर वो खुद ब्रा को साइड में रख दी, मैंने उनके चूच को अपने मुह में ले लिया और पागलो कि तरह करने लगा कभी एक कभी एक दोनों को पी रहा था दबा रहा था और अपना हाथ उनके होठ पे कभी पेट पे कभी कंधे पे सहला रहा था, वो अपना होठ अपने दाँतों से काट रही थी और मोअन कर रही थी आअह आअह उह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाईईईईईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म उछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, फिर मै उनके पैर के साइड जाके उनका लेगिन उतार दी और फिर पेंटी भी वो मेरे सामने विशालकाय औरत खूबसूरत सेक्स बम, कभी ना भूलने बाला शरीर देखा मैंने दोनों पैर को फैलाकर उनके चूत को चाटने लगा, करीब १० मिनट चाटने के बाद बोली क्या और तड़पाओगे या कुछ और भी करोगे, मैंने अपना लंड निकाल के चूत पे रख के एक ही झटके में अंदर कर दिया, फिर क्या था दे दना दन, करीब १० मिनट के बाद मैं लेट गया और वो चढ़ गयी, आसपास के लोग सब सो गए थे, और अब फिर वो गांड उछाल उछाल के चुदवा रही थी, करीब २० मिनट बाद दोनो झड़ गए, फिर कुछ देर तक साथ पकड़ के लेटे रहे पर दिक्कत हो रहा था, मैं ऊपर चला गया, करीब २ घंटे बाद फिर उठाई, और फिर मेरा लंड को अपने मुह में लेके चाटने लगी, फिर मैं काफी गरम हो गया फिर चोदने लगा, रात भर करीब ३ बार चोदा मैंने, सुबह करीब १० बजे मुंबई पहुंच गए,

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पर वो बोली एक काम करते है, हम लोग आज होटल में रह जाते है कल सुबह मैं अपने सास के यहाँ जाउंगी और आप भी काम कल ही करना, तभी वो अपने हस्बैंड को फ़ोन कि हाँ जी आज का ट्रैन है जी, कल हम मुंबई पहुंच जायेगे और फिर सास को भी वो झूठ बोली,

फिर हमदोनो एक होटल में गए और खाना, पीना (बियर) और चुदाई करते रहे, आज भी जब मैं उस दृश्य को याद करता हु, तो खुश हो जाता हु, हमारे ज़िंदगी का एक खूबसूरत याद है और मैं कभी भी भूलना भी नहीं चाहता हु, आप इस कहानी को शेयर करे प्लीज,

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