मेरे सौतेले पापा ने मेरी नथ उतार दी

जवान और हॉट रिया की चूत की गर्मी को उसके सौतेले पापा रमेश ने अपने मोटे लंड से ठंडा कर दिया। चूचियां, गांड, और तीखी चुदाई से भरी ये देसी सेक्स कहानी आपके दिल में आग लगा देगी। रिया और सौतेले पापा के बीच की जुनूनी चुदाई की कहानी पढ़ें और मस्ती का मजा लें!

मैं रिया, 22 साल की जवान और चुलबुली लड़की, जिसका गोरा रंग, भारी चूचियां, और गोल-मटोल गांड गाँव में सबकी नजरों का शिकार थी। मेरी माँ की दूसरी शादी को तीन साल हो चुके थे, और मेरे सौतेले पापा, रमेश, 45 साल के तगड़े और रौबीले मर्द थे। उनका सांवला रंग, चौड़ा सीना, और गहरी मूंछें किसी जवान लड़के को मात देती थीं। रमेश पापा की शरारती नजरें मेरी चूचियों और गांड पर अक्सर ठहरती थीं, और मैं उनकी मर्दानगी से बेकरार हो उठती थी।

हमारी हवेली में मैं, माँ, और रमेश पापा रहते थे। माँ ज्यादातर अपने मायके में रहती थी, और हवेली में मैं और पापा अकेले होते। पापा मेरे साथ खुलकर हंसते-बोलते, कभी मेरी कमर को छू लेते, तो कभी मेरी चूचियों को घूरते। मैं उनकी नजरों को भांप लेती और जानबूझकर टाइट सलवार-कमीज पहनती, जिसमें मेरी चूचियां और गांड उभरकर सामने आतीं। मेरी चूत उनकी मर्दानगी की भूखी थी, मगर मैं शर्म और रिश्ते की मर्यादा में बंधी थी। फिर आई वो रात, जब रमेश पापा ने मेरी सारी हदें तोड़ दीं।

कल रात गाँव में बिजली गुल थी। हवेली में सिर्फ लालटेन की रोशनी थी, और बाहर बारिश की फुहारें पड़ रही थीं। मैंने एक पतली, गीली सलवार-कमीज पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को नंगा कर रही थी। मैं अपने कमरे में थी, जब रमेश पापा अचानक आए। “रिया, तू आज बहुत हसीन लग रही है,” उनकी गहरी आवाज मेरे कानों में गूंजी, और मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई।

“पापा, आप ये क्या कह रहे हो?” मैंने शरमाते हुए कहा, मगर मेरी आवाज में वासना की हल्की सी पुकार थी। “रिया, तू मेरी बेटी नहीं, मेरी रानी है,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा, और मेरे कंधे पर अपने होंठ रख दिए। उनकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर पड़ीं, और मैं कांप उठी। मैंने विरोध नहीं किया। उनकी बाहों में मैं पिघल रही थी। रमेश पापा ने मुझे गोद में उठाया और अपने कमरे में ले गए, जहाँ चारपाई पर एक मोटा गद्दा बिछा था।

उन्होंने मेरी सलवार-कमीज को एक झटके में खींच लिया। मेरी गोरी चूचियां ब्रा में कैद थीं, और मेरी नाभि लालटेन की रोशनी में चमक रही थी। “रिया, तेरी चूचियां तो दूध की मटकी हैं,” रमेश पापा ने ललचाई नजरों से कहा, और मेरी ब्रा फाड़ दी। मेरी चूचियां आजाद हो गईं, उनके गुलाबी निप्पल्स तनकर खड़े थे। उन्होंने मेरी चूचियों को अपने रूखे हाथों में भरा और जोर-जोर से मसलने लगे। मेरी सिसकियां कमरे में गूंज उठीं। “हाय, पापा, मेरी चूचियां दुख रही हैं!” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी चूत रस से गीली हो रही थी।

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रमेश पापा ने मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, और उनकी मूंछें मेरी चूचियों पर गुदगुदी कर रही थीं। मैं चीख उठी। “पापा, मेरी चूचियां चूसो, और जोर से!” मैंने चिल्लाया, और उनके बालों को जकड़ लिया। उन्होंने मेरी सलवार को फाड़कर फेंक दिया। मेरी सांवली, गीली चूत उनके सामने थी, उसका रस टपक रहा था। “रिया, तेरी चूत तो शहद की नदी है,” उन्होंने कहा, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं। मेरी चूत इतनी गर्म थी कि वो गुर्रा उठे।

“हाय, पापा, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैंने चिल्लाया, और मेरी गांड उछलने लगी। रमेश पापा ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा, उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थी। मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “पापा, मेरी चूत चाटो, इसे अपने प्यार से भिगो दो!” मैं चिल्ला रही थी, और मेरी चूत रस से तर-बतर हो गई। उन्होंने दो उंगलियां मेरी चूत में डालीं, और मुझे जोर-जोर से चोदने लगे। मेरी सिसकियां सुख की चीखों में बदल गईं।

रमेश पापा ने अपनी लुंगी उतार दी। उनका मोटा, 10 इंच का लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था, उसकी नसें फूल रही थीं। मैंने उनके लंड को देखा, और मेरी आँखें डर और वासना से चमक उठीं। “पापा, आपका लंड तो मेरी चूत का काल है!” मैंने सिसकते हुए कहा। “रिया, मेरा लंड तेरी चूत का सुख बनेगा,” उन्होंने रूमानी लहजे में कहा, और मेरे नाजुक हाथों में अपना लंड थमा दिया। मैंने उनके लंड को डरते-डरते सहलाया, और फिर अपने होंठों से उसे चूमा। मेरी जीभ उनके लंड के टिप पर घूम रही थी, और रमेश पापा की सांसें रुक रही थीं।

“रिया, तू मेरे लंड को जन्नत दिखा रही है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरे बालों को जकड़ लिया। मैंने उनके लंड को चूसकर गीला कर दिया, और फिर चारपाई पर लेट गई। मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी मोटी गांड उनके सामने थी। “पापा, मेरी चूत में अपना मोटा लंड डालो, और मुझे चोदो!” मैंने चिल्लाया, और अपनी टांगें फैला दीं। रमेश पापा ने मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ मारे, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उसे और गीला किया। “रिया, तेरी चूत मेरे लंड की मालकिन है,” उन्होंने कहा, और अपना मोटा लंड मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया।

मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय मर गई! आपका लंड मेरी चूत फाड़ देगा!” मैंने चिल्लाया, और मेरी चूत ने उनके लंड को जकड़ लिया। रमेश पापा ने मुझे प्यार से सहलाया, और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे। मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी, और मेरी चीखें सिसकियों में बदल गईं। “पापा, अब सुख हो रहा है, चोदो मुझे!” मैंने चिल्लाया, और उन्होंने मेरी चूत को जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।

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उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़ा, और मेरी चूत को ऐसे चोदा जैसे कोई जंग जीत रहे हों। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस छोड़ रही थी, और मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “चोदो मुझे, पापा! मेरी चूत को अपने मोटे लंड का गुलाम बना दो!” मैं चिल्ला रही थी, और उनका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था। रमेश पापा ने मुझे चारपाई से उठाया, और दीवार के सहारे खड़ा किया। उन्होंने मेरी एक टांग उठाई, और मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाला। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी।

“पापा, आपका लंड मेरी चूत की जिंदगी है!” मैंने चीखा, और उनके होंठों को चूसने लगी। रमेश पापा ने मेरी चूत में गहरे धक्के मारे, और मेरी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया। “रिया, तेरी चूत मेरे लंड की जन्नत है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरी चूत में और गहरा धक्का मारा। अब उनकी नजर मेरी मोटी गांड पर थी। उन्होंने मुझे चारपाई पर उल्टा लिटाया, और मेरी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गए। “रिया, तेरी गांड तो सूरज का टुकड़ा है,” उन्होंने रूमानी लहजे में कहा, और मेरी गांड पर थप्पड़ मारे।

उन्होंने मेरी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया, और मेरी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “पापा, मेरी गांड में मत डालो, मैं टूट जाऊंगी!” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी गांड अब उनके लंड की प्यासी थी। रमेश पापा ने अपने लंड को मेरी चूत के रस से गीला किया, और धीरे से मेरी टाइट गांड में डाला। मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय राम! आपका लंड मेरी गांड चीर देगा!” मैंने चिल्लाया, मगर मेरी गांड अब उनके लंड को लय में ले रही थी। उन्होंने मेरी चूचियों को पीछे से पकड़ा, और मेरी गांड को जोर-जोर से चोदा।

हर धक्के के साथ मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी गांड उनके लंड को निगल रही थी। “चोदो मेरी गांड, पापा! मेरी चूत और गांड दोनों आपके लंड की गुलाम हैं!” मैं चिल्ला रही थी। रात के 3 बज चुके थे, और बारिश की आवाज हमारी चुदाई का संगीत बन रही थी। रमेश पापा ने मुझे अपनी गोद में उठाया, और चारपाई के किनारे चोदने लगे। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। “पापा, आप मेरी चूत और गांड के राजा हैं,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उनके होंठों को चूसने लगी।

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उनका लंड अब फटने को था। रमेश पापा ने मेरी चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। मेरी चूत रस और माल से लबालब हो गई, और मेरी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं। हम दोनों पसीने से तर-बतर चारपाई पर गिर पड़े, हमारी सांसें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। मैंने रमेश पापा के लंड को फिर से सहलाया, और बोली, “पापा, आपने मेरी नथ उतार दी।” उन्होंने मेरी चूचियों को चूमा, और कहा, “रिया, तू मेरी रानी है। जब तक मैं हूं, तेरी चूत और गांड की प्यास बुझाऊंगा।”

एक चटपटा मोड़

कुछ दिन बाद, माँ गाँव लौटी। एक रात, जब मैं और रमेश पापा चुदाई कर रहे थे, माँ ने हमें देख लिया। मैं डर गई, मगर माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “रिया, अगर रमेश तुझे सुख दे सकता है, तो मुझे भी दे सकता है।” उसने अपनी साड़ी उतार दी, और रमेश पापा की गोद में बैठ गई। रमेश पापा ने माँ की चूत में अपना लंड डाला, और मैंने माँ की चूचियों को चूसा। हम तीनों ने मिलकर ऐसी चुदाई की कि हवेली की दीवारें कांप उठीं। “चोदो हमें, रमेश! हमारी चूत और गांड दोनों ले लो!” हम चिल्ला रही थीं। उस रात, मैंने और माँ ने वो सुख पाया जो हमने कभी नहीं सोचा था।

हवेली की रातों का जुनून

अब रमेश पापा, माँ, और मैं हर रात हवेली में चुदाई का मेला लगाते। एक बार, गाँव की एक और औरत, शीला, जो पापा की पुरानी दोस्त थी, ने हमारी चुदाई देख ली। रमेश पापा ने उसे भी शामिल कर लिया, और उस रात हम चारों ने मिलकर शीला, माँ, और मेरी चूत और गांड को चोदा। उनकी चीखें और सिसकियां हवेली में गूंज रही थीं। “चोदो हमें, रमेश! हमारी चूत और गांड आपके मोटे लंड की भूखी हैं!” हम चिल्ला रही थीं।

रमेश पापा ने मेरी नथ उतारकर मुझे जन्नत दिखा दी। मैं दिन में उनकी बेटी थी, और रात में उनकी रानी। मेरी चूत और गांड की प्यास हर रात बुझती थी, और मैं अपनी जवानी का पूरा मजा ले रही थी।

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