ट्रैन में चुदाई : वो ट्रैन की चुदाई कभी भी नहीं भूलूंगी

डिअर फ्रेंड्स, हाउ अरे यू? आज मैं आपको एक पूरी सनसनी बाली कहानी सुना रही हु, मैं भी आपलोगों की भेजी हुयी कहानियां पढ़ती हु, नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे तो मेरे भी फर्ज है की अगर मैंने भी कोई रंगरेलियां मनाई है तो आपलोग को भी सुनाऊ, आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की सबसे हसीन कहानी कह रही हु, मेरे बूर का तार तार कर दिया था उस लड़के ने, पर मैं भी काम नहीं थी, इतना चुदवाई इतना चुदवाई की उसका लण्ड करीब १० दिन तक किसी को छोड़ने के लायक नहीं रहा होगा, ये मेरी गारंटी है, वो भी बेटा को समझ आ गया होगा की कौन सी लड़की से पाला पड़ा है. मैं अब कहानी पे आती हु,

में नाम प्रियंका है, मैंने MCA की पढाई पूरी की, और मैं एक आईटी कंपनी में ज्वाइन करने के लिए बंगलौर जाने लगी, थी, कंपनी ने ही मेरे लिए राजधानी का 2nd क्लास का टिकेट भेज दिया था, मैंने नई दिल्ली से बंगलोरे के लिए ट्रैन में सवार हो गयी, मैं भी थोड़ा फुल स्टाइल में थी, ब्लैक चस्मा, बाल खुला, होठ रेंज हुए, काजल लगाईं हुयी, एक दिन पहले ही मैं ब्यूटी पारलर से आई थी, देखने में तो मैं ऐसे भी खूबसूरत हु, और रही बात मेरे सेक्सी पार्ट का तो मस्त चूच है मेरी जिसको ३४ के ब्रा में संभाले नहीं संभालता है, ३२ साइज की जीन्स पहनती हु, गोल गोल चूतड़ जब चलते हुए हिलता है तो क़यामत ढा देती हु, मैं ५ फुट ८ इंच लम्बी बू, काफी सेक्सी हु, मुझे देख कर तो 80 साल के बुड्ढे का भी लण्ड खड़ा हो जाये, तो जवान की क्या बात है, बिना मूठ मारे काम नहीं चल सकता है,

मेरे साइड लोअर था, उसपर पहले से एक लड़का बैठा था, वो बड़ा ही सुन्दर पर्सनालिटी का था, बॉडी काफी अच्छी थी, मैंने अपना सामान निचे रखा तो वो भी हेल्प करने लगा जैसे की अक्सर ही सारे मर्द लड़कियों का हेल्प करने लगते है, मैंने बैठ गई, एक साइड वो बैठा था, और एक साइड मैं, पर्दा लगा था जैसे की राजधानी में होता है, वो मोबाइल में गेम खेल रहा था, और मैं सांग्स सुनने लगी, उसके बाद मैंने एक नावेल निकाली और गाना सुनते सुनते नावेल भी पढ़ने लगी, मुह में चुइंगम था उससे चवा रही थी, बाल बार बार मेरे सामने आ जाता था उससे मैं झटक के पीछे कर रही थी, और सामने बैठा लड़का मुझे तिरछी निगाहों से घूर रहा था, मैं केप्री और टी शर्ट पहनी थी, टी शर्ट मेरे ढीला ढाला था इस वजह से ट्रैन तेज चलने की वजह से मेरी दोनों चूचियाँ हिलोरे ले रही थी, बस इतना ही काफी था आगे बैठने बाले के लिए, और थोड़ा गला भी चौड़ा था तो ऊपर से दोनों चूचियाँ सटी हुयी और बीच में दरार साफ़ साफ़ दिख रही थी,

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उसके बाद मैंने अपना कंबल निकाली तो वो बोला मैं ऊपर चला जाता हु अगर आपको आराम करना है तो, ये सीट तो आपको है, तो मैं बोल पड़ी नहीं नहीं कोई बात नहीं इट्स ओके, यू कैन सीट, उसने थैंक्स बोला और मैंने एक स्माइल दी, फिर मैंने कहा तुम भी अपना पैर ढक लो, फिर स्टार्ट हुआ बातचीत का सिलसिला, वो इंटरव्यू के लिए जा रहा था और मैंने ज्वाइन करने जा रही थी, दोनों सेम फिल्ड के थे, और वो भी बंगलुरु जा रहा था, थोड़े देर में वो मेरे पैर को टच करने लगा, मैंने भी थोड़ा थोड़ा यस की साइन दी, वो फिर मेरे पैर को अपने पैर से दबाने लगा, उसके बाद वो मेरे केप्री को उठाने लगा, पर केप्री टाइट था, उसकी नशीली आँखे और गठीले बदन पे मैं डोल गई, और आज मैं अपने सफर को चुदाई का सफर बनाना चाह रही थी, मैंने उठी और बाथरूम में गई, उधर से आई तो मैं केप्री चेंज कर दी और मैंने स्कर्ट पहन लिया, उसपर से भी घुटने के ऊपर तक थी था,

वापस आई और फिर कंबल ले ली और उसको भी ऑफर किया की तुम भी ठीक से ले लो, फिर क्या था उसने अपना पैर फैला दिया, मैंने अपने पैर को उसके पैर के दोनों साइड कर ली अब उसकी पहुंच मेरी बूर के पास था मैं पेंटी भी उतार आई थी, उसने अपना अंगूठा मेरे बूर पे लगाया, मैं सिहर गयी, ऐसे ही मेरे बूर से पानी निकलने लगा था, रात हो गई थी, कोटा स्टेशन आ गया, मैंने लेट गयी वो भी लेट गया, अब मैंने उसका लण्ड को पैर से सहला रही थी और वो अपना अूँगूठा मेरे बूर के छेद में डाल रहा था, मेरे बूर के आसपास का एरिया फिसलन भरा हो गया था चूत के पानी से मेरा बूर का बाल भी चिपक गया था, अब उसका अंगूठा मेरे बूर में जाने लगा था, पर मेरे बूर का छेद काफी छोटा था, आज तक मैंने सिर्फ ऊँगली से ही काम चलाया था,

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बोगी के सारे लोग सो गए थे, ट्रैन रात के अंधरे को चीरती हुई आगे निकल रही थी, मैं पूरी तरह से गरम हो गई थी, वो लड़का भी बार बार अपना दांत भींच रहा था, और एक वक्त ऐसी आया मैं खुद उसके ऊपर चढ़ गई, और उसको होठ को चूसने लगी वो भी अपनी मजबूत बाँहों से जकड लिया था, और मैं उसमे समां जाना चाहती थी, उसने अपना ट्रैक शूट खोल दिया और जाँघिया भी ऊपर दो कंबल ओढ़ लिए मैं निचे हो गई, उसने मेरे कंधे को पकड़ा और मेरे दोनों पैर को अलग किया और बीच में अपना मोटा लण्ड दे के करीब ३ से चार झटके में मेरे बूर में लण्ड को घुसा दिया, मैं दर्द से परेशान थी, पर एक अजीब सा सुकून था, मेरे शरीर में वासना की आग लग चुकी थी, वो मेरी चूचियों को मसले जा रहा था, और जोर जोर से धक्का लगा रहा था आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.

मेरे मुह से सिर्फ हाय हाय हाय की आवाज निकल रही थी, और वो बहुत ही चोदु था, उसका वीर्य निकल ही नहीं रहा था, उस बीच मैं ३ बार झड़ चुकी थी, पर पता नहीं कहा से उसमे स्टेमना था वो चोदे जा रहा था अचानक वो मुझे कस के जकड़ लिया और एक लम्बी सी आह ली और उफ्फ्फ्फ्फ़ आआआआ ऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह कर के सारा वीर्य मेरे चूत में डाल दिया.

हम दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए पकड़ के बात करने लगे, पर हम दोनों ने एक प्रोमिस किया की हम दोनों कौन है और कहा से आये है कहा कौन सी कंपनी में जायेंगे नहीं बतायंगे, ये रिश्ता बस ट्रैन तक ही सिमित रहेगा, और हम दोनों ने किया भी, यही, ऊपर का बर्थ खाली ही रहा, वो निचे ही मेरे साथ रहा दिल्ली से बंगलुरु तक, और चुदाई करते रहे, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी जरूर रेट करें.

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