देसी बहु और ससुर की चुदाई कहानी – नॉनवेज स्टोरी डॉट पर पर कहानी पढ़ने का अलग ही मजा है। आइये आपको अपनी कहानी का दूसरा पार्ट आप सभी को बताऊँ की क्या हुआ था। पिछली रात की चुदाई के बाद, मैं, अनीता, और मेरे ससुर, रामलाल, एक-दूसरे की वासना में पूरी तरह डूब चुके थे। उस रात के बाद, हमारी नजरें हर बार मिलने पर कुछ और कहानी बुनने लगीं। मैं, 26 साल की देसी हसीना, अपनी रसीली चूचियों, टाइट चूत और गोल-मटोल गांड के साथ, हर बार ससुर जी के मोटे लंड को तड़पाने में कामयाब हो रही थी। ससुर जी, 50 साल के, गठीले देसी मर्द, जिनकी मूँछें और गहरी आँखें मेरी चूत में सिहरन पैदा करती थीं। मेरे पति, विजय, ट्रक ड्राइवर होने की वजह से फिर से एक लंबे टूर पर निकल गए थे, और घर में फिर वही कामुक माहौल बनने वाला था।
ये 21 सितंबर 2025 की रात थी। हरियाणा के हमारे गाँव में ठंडी हवाएँ और हल्का कोहरा छाया हुआ था। चाँदनी रात थी, और चाँद की रोशनी हमारे आँगन में फैल रही थी। मैं खेतों से थककर घर लौटी थी और आँगन में खाट पर बैठकर पानी पी रही थी। मैंने एक पतली सी गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो मेरे गदराए जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ टाइट ब्लाउज में उभर रही थीं, और मेरी गोल गांड साड़ी में हर बार हिल रही थी। ससुर जी खेतों से लौटकर आए और मुझे देखकर रुक गए। उनकी नजरें मेरी चूचियों और गांड पर टिक गईं, और उनकी धोती में उभार साफ दिखने लगा।
“अनीता, इतनी रात को बाहर क्या कर रही है? ठंडी हवा लग जाएगी,” ससुर जी ने अपनी गहरी आवाज में कहा, लेकिन उनकी आँखें मेरे जिस्म को नोच रही थीं। मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और सरकाया और कहा, “ससुर जी, ठंडी हवा तो ठीक है, लेकिन मेरी चूत में जो आग लगी है, उसे कौन बुझाएगा?” मेरी बात सुनकर उनकी आँखों में वासना की चमक और बढ़ गई। “अनीता, तू तो एकदम चुदक्कड़ निकली। आज रात फिर से तेरी चूत की आग बुझा दूँ?” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मेरी चूत गीली हो गई, और मेरा लंड तन गया।
मैंने शरारत से कहा, “ससुर जी, आपका मोटा लंड मेरी चूत का इंतजार कर रहा है। आज रात फिर से धमाका कर दो।” ससुर जी ने मुझे अपनी मजबूत बाहों में खींच लिया और मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। मैंने उनकी धोती खींच दी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था। मैंने उनकी बनियान उतार दी और उनके गठीले सीने पर अपने नाखून फिराए। “ससुर जी, आपका जिस्म तो अभी भी जवान मर्द जैसा है,” मैंने फुसफुसाया।
ससुर जी ने मेरी साड़ी का पल्लू सरका दिया, और मेरी चूचियाँ मेरे टाइट ब्लाउज में उभर आईं। उन्होंने ब्लाउज के बटन खोले, और मेरी लाल लेस ब्रा में मेरी रसीली चूचियाँ कैद थीं। उन्होंने ब्रा उतार दी, और मेरी चूचियाँ उनके सामने थीं—गोल, टाइट और निप्पल्स तने हुए। ससुर जी ने मेरी चूचियों को अपने बड़े-बड़े हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाना शुरू किया। मेरी सिसकारियाँ आँगन में गूँज उठीं। “अनीता, तेरी चूचियाँ तो रस से भरी हैं,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके सिर को अपनी चूचियों पर दबाया और कहा, “ससुर जी, इन्हें चूसो… मेरी चूत गीली हो रही है।” उन्होंने मेरे निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और हल्के से काटते हुए। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं।
मैंने उनकी धोती पूरी तरह उतार दी और उनके मोटे लंड को अपने हाथ में लिया। “ससुर जी, आपका लंड तो मेरी चूत का दीवाना है,” मैंने शरारत से कहा और उनके लंड को सहलाने लगी। फिर मैंने उसे अपने मुँह में लिया। मेरी जीभ उनके लंड पर लपलपाती रही, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “अनीता, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा। मैंने उनके लंड को गहराई तक चूसा, और उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए।
ससुर जी ने मुझे आँगन की खाट पर लिटाया और मेरी साड़ी व पेटीकोट उतार दिए। मेरी गुलाबी पैंटी गीली हो चुकी थी। उन्होंने पैंटी नीचे सरकाई, और मेरी टाइट चूत उनके सामने थी—गुलाबी, गीली और बिना बालों की। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराई, और मेरी चीखें चाँदनी रात में गूँज उठीं। “ससुर जी, मेरी चूत को चाटो… और गहरा,” मैंने चिल्लाया। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में डाली, और मेरा रस उनके मुँह में बहने लगा। मैंने उनके सिर को अपनी चूत पर दबाया, और मेरी कमर उछलने लगी। “ससुर जी, तूम मेरी चूत को दीवाना बना रहे हो,” मैं सिसक रही थी।
फिर ससुर जी ने अपना मोटा लंड मेरी टाइट चूत में डाला। मैं चीख पड़ी, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” उन्होंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, ससुर जी… मेरी चूत को फाड़ दो,” मैंने चीखते हुए कहा। उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने उनके कंधों को पकड़ लिया, और वो मेरे निप्पल्स को चूसते और काटते हुए मुझे चोदते रहे।
ससुर जी ने मुझे खाट से उठाया और बेडरूम में ले गए। हमारा बेडरूम मंद रोशनी और मखमली चादरों से सजा था, और बाहर की ठंडी हवाएँ माहौल को और कामुक बना रही थीं। उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “अनीता, तेरी चूत तो मेरे लंड की गुलाम है,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके नितंबों को पकड़ा और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत को और चोदो… मुझे तुम्हारा लंड हर बार चाहिए।” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड मारा, और मेरी चीखें और तेज हो गईं।
उन्होंने मुझे पलट दिया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। “हाँ, ससुर जी… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरे बाल पकड़े और मुझे और जोर से चोदा, जैसे उनकी सारी वासना मेरी चूत में उतर रही हो। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और उन्होंने फिर से उन्हें चूसा, मेरे निप्पल्स को काटते हुए।
रात के बीच में, ससुर जी ने फुसफुसाकर कहा, “अनीता, तू तो एकदम चुदक्कड़ बहु है। तेरी चूत ने मेरे लंड को फिर से जवान कर दिया।” उनकी बात सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत आपके लंड की दीवानी है।” उन्होंने अपनी रफ्तार और तेज की, और हर धक्के के साथ उनकी वासना मेरी चूत में गहराई तक उतर रही थी।
पूरी रात, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। ससुर जी ने मुझे बेड के हर कोने में चोदा—कभी मेरी चूत को, कभी मेरी चूचियों को चूसते हुए, और कभी मेरे नितंबों को सहलाते हुए। मैंने उनके मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और मेरी जीभ ने उन्हें पागल कर दिया। “अनीता, तेरा मुँह मेरे लंड का राजा है,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा। हमने बेडरूम से छत तक चुदाई की, जहाँ चाँदनी के नीचे मैंने ससुर जी को अपनी गोद में बिठाकर चोदा। ठंडी हवाएँ और मेरी चीखें एक-दूसरे में मिल रही थीं।
रात के चार बजे, जब कोहरा और गहरा हो गया, ससुर जी ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और मैंने उनके लंड को फिर से चूसा। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार मैं ऊपर थी, और मेरी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। मेरी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने उछल रही थीं, और उन्होंने उन्हें चूसते हुए मुझे और जोर से चोदा। “ससुर जी, आप मेरी चूत को निचोड़ रहे हो,” मैंने सिसकते हुए कहा।
जब सुबह की पहली किरण कोहरे से छनकर आई, हम दोनों नंगे, पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। ससुर जी ने मेरे माथे पर चुंबन लिया और फुसफुसाया, “अनीता, तूने मेरे बूढ़े जिस्म में फिर से जवानी भर दी।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को हर बार जवान बना देता है।”
ससुर जी ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी धोती ठीक की, और बोले, “अनीता, ये बात हमारे बीच रहे। लेकिन जब भी विजय बाहर जाए, तेरी चूत मेरा लंड माँगेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत आपके लंड की गुलाम है।”
जैसे ही ससुर जी आँगन से बाहर निकले, उन्होंने पलटकर देखा और एक शरारती मुस्कान दी। “ये रात हमारी थी, अनीता। लेकिन ये जुनून कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानती थी, मेरी रसीली चूचियाँ और टाइट चूत ससुर जी के मोटे लंड की आग को हर रात सुलगाती रहेंगी, और हमारे घर की दीवारें इस चुदक्कड़पन की गवाह बनेंगी।