देसी बहु सेक्स स्टोरी – आज मैं आपके लिए एक धमाकेदार कहानी लेकर आई हूँ, मेरा नाम अनीता है, 26 साल की, और मैं हरियाणा के एक छोटे से गाँव में अपने पति, विजय, और ससुर, रामलाल, के साथ रहती हूँ। विजय ट्रक ड्राइवर है और अक्सर हफ्तों तक बाहर रहता है। मैं एक देसी औरत हूँ, गोरी त्वचा, बड़ी-बड़ी रसीली चूचियाँ, पतली कमर और गोल-मटोल गांड के साथ, जो साड़ी में और भी मादक लगती है। मेरी काली आँखें और गुलाबी होंठ गाँव के मर्दों को ललचाते हैं, लेकिन मेरी नजरें मेरे ससुर, रामलाल, पर टिक गई थीं। रामलाल, 50 साल के, एक तगड़े देसी मर्द थे। खेतों में काम करने की वजह से उनका जिस्म गठीला था, और उनकी मूँछों और गहरी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी। मुझे यकीन था कि उनका मोटा लंड मेरी टाइट चूत की प्यास बुझा सकता था।
मेरे पति की शादी को दो साल हो चुके थे, लेकिन विजय की गैरहाजिरी में मैं अकेली और तड़पती रहती थी। ससुर जी अक्सर मुझे खेतों में काम करते हुए घूरते थे, और उनकी नजरें मेरी चूचियों और गांड पर टिक जाती थीं। जब मैं रसोई में खाना बनाती, तो वो मेरे पास आकर बातें करते, और उनकी गहरी आवाज मेरे जिस्म में सिहरन पैदा करती। मैंने कई बार देखा कि उनकी धोती में उनका लंड तन जाता था, और मेरी चूत गीली हो जाती थी। मुझे लगता था कि ससुर जी भी मेरी चुदक्कड़ चूत की भूख को समझते थे।
वो 20 सितंबर 2025 की रात थी। गाँव में हल्का कोहरा और ठंडी हवाएँ चल रही थीं। विजय एक लंबे टूर पर गया था, और घर में सिर्फ मैं और ससुर जी थे। मैं रसोई में खाना बना रही थी, और ससुर जी आँगन में खाट पर बैठे थे। मैंने एक पतली सी हरी साड़ी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ टाइट ब्लाउज में उभर रही थीं, और मेरी गोल गांड हर कदम पर हिल रही थी। कोहरे की वजह से माहौल और कामुक हो गया था।
“अनीता, खाना तैयार है कि नहीं? भूख लगी है,” ससुर जी ने अपनी गहरी आवाज में कहा। मैंने रसोई से जवाब दिया, “बस हो गया, ससुर जी। आ जाइए, रोटी और सब्जी बनाई है।” मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरकाया, ताकि मेरी चूचियाँ उभरकर दिखें। ससुर जी रसोई में आए, और उनकी नजरें मेरी चूचियों पर टिक गईं। “अनीता, तू आज कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही है,” उन्होंने शरारत से कहा। मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “ससुर जी, आप भी तो जवान मर्द जैसे लगते हो। मेरी चूत को तड़पाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।” मेरी बात सुनकर उनकी आँखों में चमक आ गई, और उनकी धोती में उभार साफ दिखने लगा।
मैंने हिम्मत जुटाई और कहा, “ससुर जी, विजय तो बाहर है। मेरी चूत की भूख को आज आप ही बुझा दो।” ससुर जी ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में आग सी लग गई। ससुर जी ने मेरी साड़ी का पल्लू सरका दिया और मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए। मेरी काली लेस ब्रा में मेरी रसीली चूचियाँ कैद थीं। उन्होंने ब्रा उतार दी, और मेरी चूचियाँ उनके सामने थीं—गोल, टाइट और निप्पल्स तने हुए।
ससुर जी ने मेरी चूचियों को अपने बड़े-बड़े हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाना शुरू किया। मेरी सिसकारियाँ रसोई में गूँज उठीं। “अनीता, तेरी चूचियाँ तो रस से भरी हैं,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके सिर को अपनी चूचियों पर दबाया और कहा, “ससुर जी, इन्हें चूसो… मेरी चूत गीली हो रही है।” उन्होंने मेरे निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और हल्के से काटते हुए। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं।
मैंने उनकी धोती खींची और उनका मोटा लंड बाहर निकाला। “ससुर जी, आपका लंड तो जवान मर्दों को भी शर्मिंदा कर दे,” मैंने शरारत से कहा। मैंने उनके लंड को अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी। फिर मैंने उसे अपने मुँह में लिया। मेरी जीभ उनके लंड पर लपलपाती रही, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “अनीता, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा। मैंने उनके लंड को गहराई तक चूसा, और उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए।
ससुर जी ने मुझे रसोई के स्लैब पर बिठाया और मेरी साड़ी व पेटीकोट उतार दिए। मेरी काली पैंटी गीली हो चुकी थी। उन्होंने पैंटी नीचे सरकाई, और मेरी टाइट चूत उनके सामने थी—गुलाबी, गीली और बिना बालों की। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराई, और मेरी चीखें रसोई में गूँज उठीं। “ससुर जी, मेरी चूत को चाटो… और गहरा,” मैंने चिल्लाया। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में डाली, और मेरा रस उनके मुँह में बहने लगा। मैंने उनके सिर को अपनी चूत पर दबाया, और मेरी कमर उछलने लगी। “ससुर जी, तूम मेरी चूत को दीवाना बना रहे हो,” मैं सिसक रही थी।
फिर ससुर जी ने अपना मोटा लंड मेरी टाइट चूत में डाला। मैं चीख पड़ी, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” उन्होंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, ससुर जी… मेरी चूत को फाड़ दो,” मैंने चीखते हुए कहा। उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने उनके कंधों को पकड़ लिया, और वो मेरे निप्पल्स को चूसते और काटते हुए मुझे चोदते रहे।
ससुर जी ने मुझे रसोई से उठाया और आँगन की खाट पर ले गए। ठंडी हवाएँ और कोहरा माहौल को और कामुक बना रहा था। उन्होंने मुझे खाट पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “अनीता, तेरी चूत तो मेरे लंड की गुलाम है,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके नितंबों को पकड़ा और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत को और चोदो… मुझे तुम्हारा लंड हर बार चाहिए।” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड मारा, और मेरी चीखें और तेज हो गईं।
उन्होंने मुझे पलट दिया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। “हाँ, ससुर जी… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरे बाल पकड़े और मुझे और जोर से चोदा, जैसे उनकी सारी वासना मेरी चूत में उतर रही हो। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और उन्होंने फिर से उन्हें चूसा, मेरे निप्पल्स को काटते हुए।
पूरी रात, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। ससुर जी ने मुझे खाट पर, बेडरूम में, और यहाँ तक कि बाथरूम में चोदा। शावर के नीचे, उन्होंने मुझे दीवार से सटाकर मेरी चूत को चोदा, और पानी की फुहारें मेरी चीखों के साथ मिल रही थीं। “अनीता, तू एकदम चुदक्कड़ बहु है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत का राजा है।”
रात के तीन बजे, जब कोहरा और गहरा हो गया, ससुर जी ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और मैंने उनके लंड को फिर से चूसा। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार मैं ऊपर थी, और मेरी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। मेरी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने उछल रही थीं, और उन्होंने उन्हें चूसते हुए मुझे और जोर से चोदा। “ससुर जी, आप मेरी चूत को निचोड़ रहे हो,” मैंने सिसकते हुए कहा।
जब सुबह की पहली किरण कोहरे से छनकर आई, हम दोनों नंगे, पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। ससुर जी ने मेरे माथे पर चुंबन लिया और फुसफुसाया, “अनीता, तूने मेरे बूढ़े जिस्म में फिर से जवानी भर दी।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को हर बार जवान बना देता है।”
ससुर जी ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी धोती ठीक की, और बोले, “अनीता, ये बात हमारे बीच रहे। लेकिन जब भी विजय बाहर जाए, तेरी चूत मेरा लंड माँगेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत आपके लंड की गुलाम है।”
जैसे ही ससुर जी आँगन से बाहर निकले, उन्होंने पलटकर देखा और एक शरारती मुस्कान दी। “ये रात हमारी थी, अनीता। लेकिन ये जुनून कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानती थी, मेरी रसीली चूचियाँ और टाइट चूत ससुर जी के मोटे लंड की आग को हर रात सुलगाती रहेंगी, और हमारे घर की दीवारें इस चुदक्कड़पन की गवाह बनेंगी।