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मन्दाकिनी का चोदन 2

दोस्तों आज मैं फिर से हाजिर हु अपनी दूसरी कहानी लेके, एक बार फिर से आप सबों का नमस्कार नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे, दोस्तों आप लोगो से अभी तक जाना की मैंने मन्दाकिनी को कैसे पहली बार बजाया। कैसे 2 मैंने उसे लिया। अब आगे की कहानी..

2 हफ्ता बीत चुके थे और मेरा लौड़ा उफान मार रहा था। जब एक बार शिकार हाथ लग जाता है तो सड़का मारने में मजा नही आता। मैं सोच लिया था मुठ माँरना अब बन्द। केवल लौंडियों को चोदूंगा। मेरा परिवार 2 हफ़्तों से शौपिंग पर नही गया था। मेरे पास इतने पैसे नही थे की मन्दाकिनी को होटल पे ले जाके चोदूँ। कहीं कोई कमरा ही नही था। तभी मन्दाकिनी के पापा मामी देल्ही चले गए उसके पापा का इलाज करने।

मैं अपनी किताबे लेकर उसके घर पंहुचा। रात में उसके छोटे भाई बहन खाना खाकर 7 बजे ही सो गए। मैं अंदर गया और मैंने मन्दाकिनी को दबोच लिया।
चल मेरा बिस्तर गर्म कर! मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
अभी नहीं। रात होने दो। सोनू और शीला देख लेंगे। वो बोली
तो क्या वो तो अभी छोटी है। उन्हें कुछ पता नही चलेगा। वैसे भी बच्चे सो चुके है।

कुछ् ही देर में मन्दाकिनी बेड पर थी। आज इसको इसी के घर में पूरी रात बजाऊंगा। मैंने फैसला लिया। मैं उसके मम्मे दबने लगा।
क्या बात है मन्दाकिनी, तुम्हारे चुच्चे तो पहले से बड़े हो गए है। कहीं कोई और यार तो नही बना लिया? मैंने कहा उसके मम्मो को बेदर्दी से दबाते हुए।
छी कैसे बात करते हो? उसने कहा।
मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया था की मन्दाकिनी के पीछे उसके मोहल्ले का ही गोपाल नाम का लड़का पड़ा था। पर मन्दाकिनी को उससे पहले मैंने पता लिया। ये सुनने में आया था मन्दाकिनी से उससे एक दो बार बात की थी।

चलो चोदो ये सब बाते, रात गर्म करते है मैंने कहा और उसकी सलवार की डोरी खीच दी। मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर में ऊँगली करने लगा। फिर मैंने उसकी कमीज निकल। मम्मे पहले से ज्यादा पुस्त लग रहे थे। मन्दाकिनी को भी मजा आने लगा। मैं उसके मम्मे पिने लगा। वो बड़े आकार के घेरे देखते ही लौड़ा तन्ना गया। अगर मन्दाकिनी की बुर ना भी होती तो भी सायद मैं उसके मम्मे पीने के लिए उसे पटाता। मैं एक हाथ से मम्मो को मसल रहा था वही दूसरे से पी रहा था। बिच 2 में उसकी बुर में ऊँगली भी कर देता था।

मैंने मन्दाकिनी के कमरे वाला दरवाजा बन्द क्र लिया की कहीं उसके भाई बहन ना उसको चुदते हुए देख ले। आज मैं मॉल रोकने वाली गोलियां ले गया था। 100 रुपया खर्च हुआ था।
आज मैं अपने साथ एक डिल्डो ले गया था। मैं उसकी चूत में पेलना शूरु कर दिया। और जोर 2 से रंडी को चोदने लगा। मन्दाकिनी गर्म सांसें छोड़ने लगी।। डिल्डो 12 इंच का था और पूरा का पूरा मंनंदाकिनी के भोसड़े के समा गया था। मैं तेज 2 डिल्डो चलाने लगा। मन्दाकिनी की चूत पर फुर्फुरियां दौड़ने लगी। वही मेरा लौड़ा भी पतथर बन चूका था। काफी देर तक डिल्डो चलाने के बाद अब मैं उसकी बुर चाटने लगा।

मजा आया जानू? मैंने मन्दाकिनी से पूछा
हाँ वो धीरे से बोली
हमारी हिंदुस्तानी लौंडियाँ कभी खुलकर नही रिस्पांस करती है। जब अमेरिका की रांड तो यस बेबी, इस बेबी, फक में बेबी, फक में बेबी कहती है। पर हिंदुस्तानी लौंडियाँ कभी नही कहेगी की रशीद मुझे चोदो….प्लीज रशीद मुझे चोदो। मैं तुम्हारे पाव पड़ती हूँ मुझे एक बार चोद तो। इंडिया में ऐसा कभी नही हो सकता। आप के कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है

मैं चॉक्लेट की तरह मंडाकिनी वे भोसड़े को चाट रहा था। इसकी चूत अभी फ्रेश है। साली को जितना  चोदना हैं चोद लो, एक बार इसकी बुर ढीली हो गयी तो चूत मरने का मन नही करेगा। मैंने सोचा।
मन्दाकिनी आज मैं तुझे बताऊंगा की लड़कियां कैसे लौंडो को छोड़ती है। मैं बेड पर सिरहाने से सटकर लेट गया। मेरा लौड़ा खड़ा था। मैंने मन्दाकिनी के सारे कपड़े निकालकर अपने लौड़े पर बैठाया। देखो अब मुझे चोदो। मैंने उसे सिखाया। मन्दाकिनी मेरे लौड़े को चोदने लगी।
खूब लम्बे 2 झटके मारो मैंने उसे समझाया तब ही मजा आएगा
वो मुझे गहराई से चोदने लगी। मैनें बदन ढीला छोड़ दिया। और मजे से चुदने का मजा लेने लगा। एक तरह से मन्दाकिनी मेरा बलात्कार कर रही थी। वो मुझे चोद रही थी। पर असलियत में वो ही चुद रही थी। वो बड़े एक्सपर्ट होकर मुझे चोद रही थी जैसे मछली बाजार की औरते बड़ी expertism से मछली काटती है। फिर मैं कहा की अपने पिछवारे से जोर 2 से झटके मारो।

मन्दाकिनी जोर 2 से फटके मारने लगी।
हाँ अब तू सही सिख रही है। मैंने मन ही मन खा। आधे घंटे तक रंडी को मेरी और मुँह करके चूदने के बाद मैं उसे घुमा दिया। वो फिर मुझे चोदने लगी। मैं उसकी मक्क्कन जैसी मुलायम पीठ सहला रहा था वो उछल 2 कर लंबे 2 फटके मरती थी। मन्दाकिनी बिलकुल सही सिख रही थी। बीच 2 में उसके बदन में फुरफुरि दौड़ जाती। मुझे यह देख बड़ा मजा आता।

धीरे 2 दिन निकलने लगे। एक साल बीत गया। मैं मनदकिनी को कसकर चढ़ता। फिर उनकी गांड भी मरता। एक साल में उसे पेल पेल कर माँने उसकी मशीन काफी ढीली कर दी थी। अब मन्दाकिनी हर टाइप की चुदाई में एक्सपर्ट हो गयीं थी। अब वो खुलकर भी सेक्स के लिए कहती थी। जब उसे चुदना होता था तो बस इतने ही कहती थी कब समोसा खिलाओगे। मैंने कहता मेरे पास में क्रीम रोल है। एक साल में बराबर माँ उसकी गांड भी मरता आया था। गांड का छेद अच्छा खासा बड़ा हो गया था।

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मेरे मोहल्ले में 40 50 जवान जवान लड़के थे। पर 2 3 के पास ही मॉल थी। बेचारे बाकी लौडियों को देखदेख कर ही सड़का मरते रहते थे। सारे लड़के मुझसे कहते थे की कहीं बुर दिलादो। सब जानते थे की मेरे पास एक समय के 5 6 मॉल तो होती ही थी। मन्दाकिनी वे बारे में तो सब जानते तो। मैं उसे बाइक पर बैठाकर सारा लखनऊ घूमता था। बहुत से मेरे दोस्त मन्दाकिनी को देखकर ही सड़का मार लेते थे।20 30 लड़के तो मन्दाकिनी को जीभरके चोदना चाहते थे। पर ये मेरे उसूलों के खिलाफ था। मैं अपने मॉल को किसी को क्यों खिलाता।

फिर एक दिन प्रकाश से मुझे एक ऑफर दिया।
देख रशीद क्यों ना हम अपने मॉल एक्सचेंज कर ले? मैं गीता को पिछले 2 सालों से बजा रहा हूँ। कुछ नया मॉल मिल जाये तो मूड फ्रेश हो। प्रकाश ने कहा।
मैं भी मन्दाकिनी को 1 साल से चोद चोद कर बोर हो गया था। गीता मन्दाकिनी की तरह हट्टी कट्टी नहीं थी। वो तो बिलकुल इलियाना डिक्रूसे थी। छरहरी, भरे हुए चुच्चे, लंबे बाल। मैं तुरंत हाँ कर दी।

ऐ मंदाकिनी सुन एक बढ़िया ऑफर मिला है, मैंने उसे पूरी बात बताई।
मन्दाकिनी मन गयी।  क्या कमाल की बात है। प्रकाश के घर खाली था। मैं रविवार वाले दिन सुबह 12 बजे ही मन्दाकिनी को बाइक पर बैठा के ले गया। मन्दाकिनी से आज एक लॉन्ग पिंक स्कर्ट पहन रखी थी। वो एकदम पारी लग रही थी। आज मेरी पारी को कोई दूसरा ही खाएगा। मैं अचानक से अफ़सोस करने लगा। एक पल लगा की लौट जाऊ। फिर सोचा की एक नई मॉल भी तो खाने को मिलेगी। क्या पता ये मॉल मन्दाकिनी से अधिक लज़ीज़ हो। प्रकाश अंदर था। गीत एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बनाकर आने वाले थी। जैसे ही प्रकास ने मन्दाकिनी को देखा तो देखता ही रह गया। उसका लौड़ा खड़ा होने लगा। साले रशीद से चुद चुद कर कितनी खूबसूरत हो गयी है। ये सच है की चुदाई के बाद ही लड़कियों की खूबसूरती में निखार आ जाता है। चुदाई चीज ही ऐसी है। हर मर्ज की दवा। प्रकाश सोचने लगा। आप के कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है

ये बात तो मई भी गौर कर रहा था। जब मैं मन्दाकिनी से पहली बार मिला था सुखी सी थी। चेहरे पर कोई चमक नही। पर अब रंडी मुझसे चुद चुदकर कैसी निखर गयी है। मैं सोचनें लगा। मैं देख रहा था की प्रकाश की नजरें मन्दाकिनी वे चुच्चों पर थी।

कुछ देर में गीत अपने मुह में स्टाल बांधकर आ गयी। और रिक्शा से उतरी। जब वो अंदर आई तो मैं उसे देखता रह गया। पतली दुबली लाचकिला शारीर। खड़े होकर गोदी में लेकर पेलो तो भी कोई असर नही। रबर की तरह लचीला बदन। इसे तो मैं गोद में उठाकर ही पेलूँगा। मैंने सोचा। हमने बाटे की। पहली ही नजर में मन्दाकिनी को प्रकाश भा गया। मुझे भी गीता भा गयी। मैंने प्रकाश को इशारा किया। अगर हम बात करने में समय बिताते तो भी बेवकूफी होती।

प्रकाश मन्दाकिनी को लेकर एक कमरे में चला गया। गीता मेरे साथ कमरे में आ गयी। तभी मैंने एक मिनट के लिए मन्दाकिनी को बुलवाया। मैंने उसे एक कोने में ले गया।
मन्दाकिनी कहीं ऐसा नही की प्रकाश के साथ सोने के बाद तू मुझको भूल ही जाओ मैं बवुक होकर पूछने लगा। अब मुझे लग रहा था की मनदकिनी मेरे लिए चोदने खाने का सामान ना थी, बल्कि इससे बढ़कर थी।
नहीं मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूँ रशीद, मैं तुमको कभी नही छोडूंगी उसने बड़ी ईमानदारी से कहा।
मुझे उसपर बड़ा प्यार आ गया। मैंने उसके ओंठों पर किस किया।
मन्दाकिनी जितना मानकर चुदवा , किसी का भी लण्ड खा ले, पर आखिर के मेरे पास ही आना मैंने मन्दाकिनी से फुसफुसाकर धीमे से कहा।
वो खुश हो गयी। मैंने उसे बाहर खाने पीने का लाइसेंस दे दिया था। अब वो बेफ़िक्र होकर मजे लेकर बिना किसी पछतावे के किसी से भी चुद सकती थी।मन्दाकिनी से मुझे विश्वास दिलाया की आखिर के मेरे पास ही आएगी। वो चली गयी।

आखिर के चुदाई का खेल सुरु हुआ। मैंने गीता को अपनी बाँहों के जकड़ लिया। उसने पर्फ्यूम लगाया था। माँ कसम लगा की गुलाब भी डाली से ही लिपट गया हूँ। गीता को तो प्रकाश 3 सालों से घिस रहा था। आज ये फूल मुझे सूंघने को मिला था। आज साली को कायदे से चोदूंगा। इसके छक्के ना छुड़ा दिए तो मेरा नाम रशीद चोदु नही। और मैंने उसके मम्मे दबाना सुरु कर दिया। गीता के छोटे बाल थे। मेरे हाथ उसके जिस्म के हर हिस्से पर लहरा रहे थे। गीता को भी मजा आ रहा था। उसके रसीले ओठ मैंने देखे। फिर उनपर टूट पड़ा। संतरे की तरह जूसी ओंठ थे। मैं उसके ओंठ पिने लगा। वो भी मेरे ओंठ पिने लगी। हम दोनों मुँह चलाते हुआ एक दूसरे के ओंठ पिने लगे। उसकी जीभ मेरे मुह में और मेरी जीभ उसके मुँह में दौड़ रही थी। करीब 30 मिनट तो ओंठ से ओंठ चूमने में ही निकल गए।

गीता मुझे आखों के आखों में डालकर देख़ने लगी। उसकी नजर मुझसे नही हट रही थी। वो मुझे देखकर ठरकी हो चुकी थी। जब कोई लौंडियना आपको आँखों के आखों डालकर देखे तो समज लो खूब चुदेगी। चुदने से जरा भी नही कतरायेगी। और कह कह कर चुदवाएगी। मेरा लौड़ा तो लोहा हो गया था जिस तरह से वो मुझे देखे जा रही थी मन कर रहा था रंडी को आँखों ही आँखों में ही चोद लूँ।

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यहाँ मैं सोच ही रहा था की क्या करुँ कैसे करूँ, मैं खिड़की से झांककर देखा की मनदकिनी प्रकाश के समने पूरी की पूरी नांगी थी। उसके दोनों पैर विपरीत दिशा में खुले हुए थे जैसे वो फैशन शो में हिस्सा ले रही हो। ना कोई शर्म ना संकोच। मैं देख रहा हूँ की उसने अपने चेहरे पर एक हल्का दुपट्टा दाल रखा है। प्रकाश अपने 8 इंच के मोटे लौड़े से उसे चोदे जा रहा है।
हर झटके के साथ पक पक की आवाज आ रही है। मन्दाकिनी की जांघ बड़ी मांसल है। बुर तो डबलरोटी की तरह फूली है मकडोनाल के बर्गर की तरह। सायद प्रकाश उसे चोद 2 कर बर्गर बना रहा है।

लो बेटीचोद मैं 1 घण्टे से चुम्मा चाटी कर रहा हूँ और इधर ममंदकिनी आधी पिक्चर देख भी चुकी। प्रकाश का लण्ड उसकी बुर को अच्छे से फाड़ रहा है। प्रकाश के चुत्तड़ मन्दाकिनी के भोसड़े पर डांस कर रहे है। जैसे को कोई शो दिखा रहा है। मन्दाकिनी आ आह आहा की मीठी धीमी आवाज निकाल रही है। वो अपने ओंठ भी चबा रही है। अरे बहनचोद! ये तू गैर लण्ड का पूरा मजा ले रही है। कैसे मजे से चुद रही है। जितने मैं सोचता था रांड उससे बड़ी चुदक्कड़ निकल गयी।

मैं मनदकिनी को इस तरह मजे से चुदते हुए देख हैरान था। मैं सोच रहा था की रानी शर्मा शरमाकर चुदेगी। पर यहाँ तो ये रैंड 180 डिग्री पैर फैलाये मजे से लौड़ा ले रही है। देखो कैसे बेपरवाह होकर बिस्तर पर पढ़ी है। इसका बाप भी आ जाए तो भी रैंड जल्दी ना उठे। वही गच्च गच्च गहरे और गहरे झटके मारे जा रहा था। मन्दाकिनी अपने चुच्चों को भी पकड़कर मजे से बेपरवाह होकर चुद रही थी। प्रकाश के गहरे धक्को से पलंग टुटा जा रहा था। 1 घण्टे में इस गाण्डू ने ना जाने कितने सौ बार मनदकिनी की बुर में लौड़ा डाला और निकाला होगा। इस मादरचोद ने कम से कम 300 400 बार को मनदकिनी की बुर में अपना मोटा लौड़ा डाला और निकाला होगा।

ये तो साला 1000 2000 रुपए की चूत तो मार ही चूका। मैं खुद पर अफ़सोस दिखने लगा। कहीं रांड को प्रकाश का लौड़ा पसन्द आ गया तो मैं तो बर्बाद ही हो जाऊंगा। मुझे गुस्साने लगा। मुझसे मंडकिनिं को खुलकर चुदते ना देखा गया। मैं अपने कमरे में लौट आया।देखा गीत खुद अपनी बुर में ऊँगली कर रही थी। उसकी आँखे बन्द थी।
गीता मैं आ गया हूँ मैंने कहा
मैंने उसके कपड़े निकले और उसके मुह में लण्ड दे दिया। जैसे बच्चों के मुह में ऊँगली दे दो तो वो चूसने लग जाते है ठीक उसी तरह जब एक बार गीता से मेरा लण्ड चूसना शूरु कर दिया तो रुक ही नही रही थी। वो आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। फिर मैंने ही उसे चोदना सुरु किया। जहाँ मन्दाकिनी का भोसड़ा खूब मांसल गद्देदार उभरी हुई चूत थी गीता की बुर पिक्की हुई थी। कोई उबार ना था। वैसे गद्देदार भोसड़े को देखकर ही जोश चढ़ता है। पर मेरा लौड़ा पुरा का पूरा गीता के बुर में उत्तर गया। 3 साल की जबरदस्त चुदाई के दौरान उसकी बुर ऊपर से खुल गयी थी। बुर के ओंठ ढीले होकर दायें बाये झूल रहे थे। लग रहा था की 5 7 सालों से चुद रही है। हे भगवान ये गाण्डू कहीं मेरी मन्दाकिनी का ऐसा हाल ना कर दे। चोद 2 कर कहीं मन्दाकिनी के ओंठ ना ढीले कर दे। मुझे पछतावा होने लगा।

गीता देखने में 23 साल ही थी पर बुर इतनी फ़टी थी की जैसे 40 साल की औरत हो। मैं उसे चोदना सुरु किया। मैं रंडी की गांड में डिल्डो पेल दिया । इससे उसका भोसड़ा और टाइट हो गया और मैं मजे से उसे खाने लगा। 1 घण्टे तक उसे चोदने के बाद उसके जिस्म पसीना 2 हो गया। ये देखो हसीना की गांड में पसीना। मैंने कहा फिर मैंने उसकी गांड से डिल्डो निकाला और उसके बुर में पेल दिया। मैंने गीता की गांड देखी। रान्दिचोदो, गांड तो पूरी फट चुकी थी। 2 इंच मोटा छेद हो गया था। कब से मई ऐसे मरी हुई गांड ढूढ़ रहा था। मेरे मुह में पानी आ गया। मैंने उसकी गांड के चुद में थूक दिया। अपने लौड़े पर भी चूका और उसकी गांड मारने लगा। गचा गच्च मैं साली को पेले जा रहा था।

ठक् ठक् के आवाज से कमरा गूंज रहा था। गीता देवी की गांड चुद रही थी। मैं उसे एक ऐसी रण्डी की तरह चोद रहा था जो 2000 रुपए में सिर्फ एक घण्टे के लिए देती। है। मैं उसकी गांड फाड़ना चाहता था। जी भी कर रहा था की गीता देवी को इतना चोद दू की रण्डी मर ही जाए और दोबारा कभी किसी का लण्ड ना खा सके। मैं उसे बेदर्दी से बेपरवाह होकर गांड चोदन कर रहा था। उसका छेद बड़ा और बड़ा होता जा रहा रहा था।

मैं बिच 2 में लण्ड निकल के रांड के छेद में थूक देता था। इसतरह मुझे परम् सुख मिल रहा था। करीब डेढ़ घण्टे तक मैंने गीता देवी को वासना की गीता का पाठ पढ़ाया। वो मेरी फेन बन गयी थी। मेरी चुदाई की फैन।
तुम बहुत मस्त चोदन करते हो रशीद गीता देवी ने मेरी तारीफ की।
….तो ठीक है रंडी ऐसे ही अपनी बुर देती रहना मैंने मन ही मन कहा।

3 घण्टे गुजरे तो मेरी पहली फ़िल्म ख़तम हो गयी। गीता देवी भी बाहर पानी पिने चली गयी। मैंने खुली हवा लेने के लिए बाहर आया। मैंने ताजी हवा ली..। करीब 20 मिनट बाद मैं प्रकाश का बगीचा घूमकर लौटा तो हैरान था। मन्दाकिनी और प्रकाश का कमर बन्द था। मैंने खिड़की से झकककर देखा। प्रकाश हट्टी कट्टी मन्दाकिनी को गोद में उठाकर चोदे जा रहा है। मंदकिनी पूरी की पूरी नंगी थी। उनसे आँखे बन्द कर राखी थी। इतनी शिद्दत से रण्डी चुदवा रही थी। लग रहा था प्रकाश उनका मरद है। प्रकाश का एक हाथ उसके मुलायम चूतड़ पर था, वही दूसरे हाथ उनकी चिकनी नंगी पीठ पर। मन्दाकिनी के काले लम्बे बाल निचे हवा में झूल रहे थे। रैंड शैम्पू लगाकर आई थी।

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मादरचोद इसने आज तक तो मुझसे कभी नही कहा की गोद में उठाकर पेलो। देखो कैसे पूरे शिद्दत से चुदवा रही है। यह सब देखकर मेरा खून खौल गया। मन हुआ एक गोली प्रकाश को मारू और बाकि गोलियाँ मन्दाकिनी की चूत में खाली कर दूँ। मेरा खून खाऊल गया। मैंने वहां से तुरंत हट गया। 5 मिनट बाद मैं दोबारा वापस गया तो पाया की प्रकाश की खिड़की के पर्दे बन्द है। मनदकिनी ने मुझे देखकर पर्दे लगा लिए थे। मैं भी कम हरामी नही था। मैं दरवाजे के छेद से देखने लगा। देखा तो यक़ीन नही हुआ मन्दाकिनी बड़े मजे से प्रकाश का लण्ड चूस रही थी। बिच 2 में प्रकाश उसके मोटी 2 छातियों के बिच के अपना 8 इंच का लौड़ा रखता और मम्मो को दोनों हाथों से दबाता फिर उसके चुच्चे चोदता।

हाय हाय इसकी बुर में कीड़े पढ़े। रंडी कभी एक लौड़े पर ना टिकेगी। अब तो मैं जान गया। रंडी ने ये सब कांड छुपाने के लिए ही पर्दे लगाये है। मैं मन ही मन उबल पड़ा। इसकी माँ की चूत अगर अब इसने कहा की मुझसे प्यार करती तो रंडी की माँ चोदूंगा। साली रंडी कहीं की
मैं जान गया था की गैर लैंड का स्वाद बड़ा बुरा होता है। जो लौंडियाँ गैर मर्द का लण्ड खा लेती है वो कभी एक के साथ वफादार नही हो सकती।

मैं कमरे में वापिस लौट गया। आँखे बन्द कर लेट गया। गीता का इंतजार करने लगा। फिर अगले ही पल मेरा लौड़ा अचानक से खड़ा होने लगा। मन्दाकिनी के चोदन के दृश्य बार 2 मेरी नजरों के सामने आ रहे थे। पता नही मेरा गुस्सा अचानक से गायब हो गया।

मैं मनदकिनी को उसके घर छोड़ आया। जब रात को 12 बजे मैं अपने बिस्तर पर गया तो बार 2 प्रकाश का मन्दाकिनी चोदन के दृश्य मेरी आँखों में आ रहे थे। मेरा गुस्सा अब कहीं गायब हो गया था। इससे पहले मैं तो यही सोचता था की मन्दाकिनी को केवल मैं ही खाऊंगा। पर जब एक प्रकाश उसे गैर मर्द से चुदते देखा तो जैसे मेरी दुनिया ही बदल गयी थी। अब मुझे एक नई दुनिया मिल गयी थी। मैं सुबह जागा तो भी उस दृश्य को नही भूल पा रहा था। मनदकिनो को यूँ गचा गच्च पेलवाते हुए देखना उसे खुद पेलने से जादा सुखद अहसास था।

मैं साला नौकरो की तरह हाफ 2 कर क्यों पेलू जबकि मैं ये नौकरो का काम प्रकाश से ले सकता था। सुबह मन्दाकिनी ने 10 बार काल किया। मैं अपनी फैंटसी में इतना डूबा था की मैंने फ़ोन ही नही उठाया। मैं अपने बेड पर फ्रेंची पहन कर लेता था। मेरा हाथ मेरे बड़े से लौड़े पर था। मैंने ऑंखें बन्द कर रखी थी। और मन्दाकिनी की खूब गद्देदार मांसल चूत को  चुदते देख वाला दृश्य मुझे याद आ रहा था। मुझे अचानक से मन्दाकिनी पर प्यार गया।

मैं सुबह के 10 बजे तक अपने कमरे से ना निकला। एक हाथ मेरा लौड़े पर दिमाग मन्दाकिनी के चोदन पर। कितनी नसीब वाली लौंडियाँ है दो दो हट्टे कट्टे लण्ड लिए है इसने। मीठा समोसा भी खा चुकी है नमकीन भी। सच में कितनी किस्मत वाली है मेरी मन्दाकिनी। मुझे उसपे प्यार आने लगा। मैंने साम 4 बजे मन्दाकिनी का फ़ोन उठाया…

क्या रशीद ,कहाँ थे? फ़ोन क्यों नही लिया? मैं कितनी परेशान थी? उसने कहा
कुछ काम पड़ गया था मैंने बहाना बना दिया।
आज हजरतगंज में मिलोगे? मेरा टुंडे के कबाब खाने का बड़ा मन है! वो बोली
जान टुंडे के कबाब तो तुम कल खा चुकी हो मैंने सोचा की कह दूँ। कल रात प्रकाश के घर पर्दे गिराकर तो तुमने कबाब और बिरयानी दोनों खा ली है जान सोचा की बोले दूँ।

पर मैं अनजान बना रहा। मैं मनदकिनी से इधर उधर की बाते करता रहा। मैं उससे मिलने भी नही गया। पूरा एक हफ्ता बीत चूका था, मैं मनदकिनी से नही मिला था। सिर्फ फ़ोन से ही बात करता था। मैं हमेशा उसका घनघोर चोदन ही सोचता रहता। किस तरह वो सिद्दत से प्रकाश को दे रही थी। वो बिलकुल पिघल सी गयी थी प्रकाश की गोद में। दोनों आँखें बंद। लग रहा था की प्रकाश ही उसका खसम, उसका मरद और उसका यार है। सायद मन्दाकिनी प्रकाश के लिए बानी है। मैं उसे जबरदस्ती अपने जाल में फसाए हुए हूँ। चुदाई का जो मजा मनदकिनी को प्रकाश से मिला, वो कभी मुझसे ना मिला। आप के कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है

अब मनदकिनी को चोदना मेरे लिए बड़ी छोटी बात हो गया थी। अब उसे पेलने का मन ही नही करता था। बस यही मन करता था की प्रकाश उसे पेलता रहे और मैं मन्दाकिनी को मोम की तरह पिघलते हुए देखता रहूँ। अब मेरे लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

दोस्तों आप को मेरी कहानी कैसी लगी। जरूर बताये….

रशीद खान