मुझे नौकर से चुदना पड़ा क्योंकि पति का लंड खड़ा नहीं होता

Naukar Malkin Sex Story Naukar Sex Kahani – हाय दोस्तों, मेरा नाम प्रिया है। उम्र 29 साल, गोरा रंग, मोटी चूचियाँ जो मेरी साड़ी में ठूंसी हुई रहती थीं, और एक गोल, रसीली गांड जो हर मर्द की नजरों को अपनी ओर खींचती थी। मेरी शादी को चार साल हो चुके थे, और मेरा पति, राकेश, 35 साल का था। वो अच्छा इंसान था, लेकिन बिस्तर पर उसका लंड खड़ा ही नहीं होता था। शुरू में उसने दवाइयाँ लीं, लेकिन कुछ सालों से उसने कोशिश भी छोड़ दी। मेरी चूत की प्यास दिन-ब-दिन बढ़ रही थी, और मैं अकेलेपन में तड़प रही थी। हमारे घर में एक नौकर था, गोपाल—25 साल का, काला, तगड़ा, और एक ऐसा मोटा लंड जो मेरे जिस्म को देखते ही सख्त हो जाता था। मैं उसकी गंदी नजरों को नजरअंदाज करती थी, लेकिन एक दिन मेरी प्यास ने मुझे गोपाल के सामने झुका दिया। ये मेरी कहानी है, जो आपको शुरू से अंत तक गर्म रखेगी।

उस दिन दोपहर का वक्त था। दिल्ली की गर्मी अपने चरम पर थी, और घर में सन्नाटा छाया था। राकेश ऑफिस गया था, और मैं अकेली थी। मैंने एक पतली नीली साड़ी पहनी थी, जो पसीने से भीगकर मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरा ब्लाउज गीला था, और मेरी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। मेरे निप्पल बाहर झाँक रहे थे, और मेरी गोरी जांघें साड़ी से बार-बार नजर आ रही थीं। मैं सोफे पर लेटी थी, अपने जिस्म की आग को शांत करने की कोशिश कर रही थी। तभी गोपाल किचन से पानी का गिलास लेकर आया। उसने शर्ट और लुंगी पहनी थी, और उसकी काली आँखें मेरे जिस्म को घूर रही थीं। “मालकिन, पानी लाया हूँ,” उसने कहा और मेरे पास आ गया। उसकी नजर मेरी चूचियों पर टिकी थी, और मैंने उसे देखा—उसकी लुंगी में उसका लंड सख्त होकर उभर रहा था।

मैंने गिलास लिया, और जानबूझकर पानी मेरी चूचियों पर गिरा दिया। मेरा ब्लाउज और गीला हो गया, और मेरी चूचियाँ साफ दिखने लगीं। “उफ्फ… गोपाल… ये देख क्या हो गया…” मैंने सिसकारते हुए कहा। वो मेरे करीब आया, “मालकिन, मैं साफ कर दूँ?” उसकी आवाज में शरारत थी। मैंने उसे रोका नहीं। उसने मेरी चूचियों पर हाथ रखा और ब्लाउज के ऊपर से उन्हें दबाने लगा। “आह्ह्ह… गोपाल… ये क्या कर रहा है…” मैं सिसकार उठी। उसने कहा, “मालकिन, आपकी चूचियाँ कितनी मस्त हैं। मालिक का लंड खड़ा नहीं होता, तो क्या? मैं आपकी चूत की प्यास बुझा दूँगा।” उसने मेरा ब्लाउज खींचकर फाड़ दिया, और मेरी गोरी, मोटी चूचियाँ उसके सामने थीं—निप्पल सख्त और गुलाबी। “उफ्फ… गोपाल… मत कर… मैं तेरी मालकिन हूँ…” मैं कराह रही थी। लेकिन वो मेरी एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा। “उफ्फ… मालकिन… आपकी चूचियाँ कितनी रसीली हैं… आह्ह्ह…” वो मेरे निप्पल को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी दूसरी चूची को मसल रही थीं।

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मैं तड़प रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैंने उसकी कमर पकड़ ली। “आह्ह्ह… गोपाल… धीरे चूस… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… ओहhh…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उसने मेरी साड़ी पूरी उतार दी, और मेरा नंगा बदन उसके सामने था। मेरी गोरी जांघें चमक रही थीं, मेरी नाभि गहरी थी, और मेरी चूत उसके सामने नंगी थी—हल्के बालों से ढकी, गीली, और गर्म। “मालकिन, आपकी चूत तो मालिक के लंड से ज़्यादा मुझसे प्यार करती है,” उसने कहा और मुझे सोफे पर लिटा दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा। “आह्ह्ह… गोपाल… क्या कर रहा है… मेरी चूत में आग लग रही है… ओहhh…” मैं सिसकार रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “उफ्फ… गोपाल… चाट ले… मेरी चूत को चूस डाल… आह्ह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं, और मैं दर्द से कराह उठी, “उफ्फ… गोपाल… धीरे… मेरी चूत फट रही है… आह्ह्ह…” मेरी चूत से रस टपक रहा था।

उसने अपनी लुंगी नीची की, और उसका मोटा, काला लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मैं उसे देखकर डर गई। “गोपाल… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” मैं काँप रही थी। उसने हँसते हुए कहा, “मालकिन, मालिक का लंड खड़ा नहीं होता, तो मेरे लंड से अपनी चूत को मज़ा दो।” उसने मेरा मुँह पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। “चूसो इसे, मालकिन। मेरे लिए तैयार हो जाओ,” उसने कहा। मैंने डरते-डरते उसका लंड मुँह में लिया। “उम्म… गोपाल… कितना मोटा है… उफ्फ…” मैं चूस रही थी, और उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। उसने मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदा, “चूसो, मालकिन… मेरे लंड को गीला कर दो… आह्ह्ह…”

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फिर उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत उसके सामने थी, गीली और तड़पती हुई। “मालकिन, अब आपकी चूत को चोदकर संतुष्ट कर दूँगा,” उसने कहा। “गोपाल… धीरे करना… उफ्फ…” मैंने कहा। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटका मारा। “आह्ह्ह्ह… मर गई… गोपाल… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर तक घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज उठी। “मालकिन, आपकी चूत को मेरा लंड मज़ा दे रहा है,” वो गंदी बात करते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहा था। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… गोपाल… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओहhh…”

धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और चिल्लाई, “चोद दो… अपनी मालकिन की चूत को फाड़ दो… आह्ह्ह…” वो मेरी चूत को जमकर चोद रहा था। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने थी, और उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मालकिन, आपकी गांड भी चोदूँगा। मालिक का लंड बेकार है, मेरा लंड आपका पूरा मज़ा लेगा,” उसने कहा। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ा। “गोपाल… गांड मत मार… उफ्फ… फट जाएगी…” मैं डर गई। लेकिन उसने मेरी कमर पकड़ी और अपना लंड मेरी गांड में सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मादरचोद… मर गई… निकाल दो… ओहhh…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। वो मेरी गांड को चोदने लगा, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… गोपाल… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे मज़ा आने लगा, और मैं चिल्लाई, “चोद दो… मेरी गांड को भी फाड़ दो… ओहhh…”

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दोपहर गहराने लगी थी। उसने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। “मालकिन, आपकी चूत को मालिक की जगह मैं संतुष्ट करूँगा,” वो गुर्रा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… गोपाल… चोदो… मेरी चूत को भर दो… उफ्फ…” उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। वो मेरी चूचियों को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी गांड में घुस रही थीं। “उफ्फ… गोपाल… मेरे दोनों छेद भर दो… आह्ह्ह…” मैं सिसकार रही थी। उसने मुझे जमकर चोदा। आखिर में उसका रस मेरी चूत में छूट गया। “आह्ह्ह… मालकिन… ले मेरा रस…” वो चिल्लाया। मैं भी झड़ गई, और हमारा रस सोफे पर फैल गया।

मैं थककर लेट गई। मेरी चूत और गांड सूज गई थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था। “गोपाल, तूने मुझे चोद दिया,” मैं हाँफते हुए बोली। वो हँसा, “मालकिन, मालिक का लंड खड़ा नहीं होता, तो मैं हूँ न।” उस दिन के बाद गोपाल मेरे जिस्म का मालिक बन गया। जब भी पति घर से बाहर जाता, गोपाल मेरी चूत और गांड की प्यास बुझाता। दोस्तों, मेरी ये हॉट कहानी आपको कैसी लगी?