एक ठंडी सर्द रात थी, जब गाँव की पुरानी हवेली में शादी की शहनाइयाँ थम चुकी थीं। राधा, 24 साल की गोरी, गदराई नई-नवेली दुल्हन, अपनी शादी की पहली रात के लिए सज-धजकर कमरे में बैठी थी। उसकी लाल जोड़ा साड़ी उसके नरम, गोरे जिस्म को लपेटे हुए थी, और उसकी मोटी चूचियां ब्लाउज में कैद होने को तड़प रही थीं। उसकी गहरी नाभि और मटकती गांड साड़ी के नीचे से ललचा रही थी। राधा की काजल वाली आंखें और गुलाबी होंठ किसी को भी पागल कर सकते थे। उसका पति, वीरू, 28 साल का जवान मर्द, शहर से शादी के लिए आया था, मगर उस रात उसकी तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर ने उसे दवा देकर सुला दिया, और राधा अकेली अपने सजे हुए कमरे में पलंग पर बैठी थी, उसकी चूत में शादी की पहली रात की प्यास जल रही थी।
हवेली में वीरू का बाप, 50 साल का बलदेव, एक तगड़ा, मर्दाना ससुर, अपनी बहू राधा को सुबह से ही घूर रहा था। बलदेव की भारी मूंछें और चौड़ी छाती गाँव की औरतों को दीवाना बनाती थी। उसका लंड, जो अभी भी जवान मर्दों को मात देता था, राधा की गोरी चूचियों और मोटी गांड को देखकर दिन भर फड़फड़ा रहा था। जब उसे पता चला कि वीरू सो गया है, उसकी आंखों में वासना की चमक आ गई। “आज रात बहू की चूत का उद्घाटन मैं ही करूँगा,” उसने मन में सोचा, और राधा के कमरे की ओर बढ़ गया।
राधा अपने पलंग पर बैठी थी, उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक गया था, और उसकी गोरी चूचियां ब्लाउज में उभर रही थीं। उसकी चूत में शादी की पहली रात की गर्मी सुलग रही थी, और वो सोच रही थी कि वीरू कब आएगा। तभी दरवाजा खुला, और बलदेव अंदर आया। उसका कुरता खुला था, और उसकी चौड़ी छाती पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं। राधा ने उसे देखकर अपनी साड़ी ठीक की, और शरमाते हुए बोली, “ससुर जी, आप? इतनी रात को?”
बलदेव ने दरवाजा बंद किया, और राधा की ओर बढ़ा। उसकी आंखें राधा की चूचियों पर टिकी थीं। “हां, बहू, वीरू तो सो गया, मगर तुझे अकेला छोड़ना मुझे गवारा नहीं,” उसने गहरी आवाज में कहा, और राधा के पास बैठ गया। राधा की सांसें तेज हो गईं। उसने अपनी चूड़ियां खनकाईं, और बोली, “ससुर जी, ये ठीक नहीं। वीरू…”
बलदेव ने राधा का हाथ पकड़ा, और उसे अपनी ओर खींचा। “चुप, बहू। वीरू की जगह आज मैं तुझे वो सुख दूंगा जो तू सोच भी नहीं सकती,” उसने कहा, और राधा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। राधा ने विरोध करने की कोशिश की, मगर बलदेव का चूमन इतना गहरा था कि उसकी चूत गीली होने लगी। बलदेव ने राधा की जीभ को चूसा, और उसके होंठों को काट लिया। “उफ्फ, ससुर जी, ये गलत है,” राधा ने सिसकते हुए कहा, मगर उसकी चूचियां अब ब्लाउज में तन गई थीं।
बलदेव ने राधा की साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। उसकी गोरी चूचियां ब्लाउज में कैद थीं, और उसकी गहरी नाभि चांदनी में चमक रही थी। “बहू, तेरी चूचियां तो दूध की कटोरी हैं,” उसने गुर्राया, और राधा के ब्लाउज के बटन खोल दिए। राधा की मोटी, नरम चूचियां आजाद हो गईं, और उनके गुलाबी निप्पल्स तनकर खड़े थे। बलदेव ने राधा की चूचियों को अपने हाथों में भरा, और उन्हें जोर-जोर से मसला। “हाय, ससुर जी, मेरी चूचियां दुख रही हैं,” राधा ने सिसकिया, मगर उसकी चूत अब रस टपका रही थी।
बलदेव ने राधा के निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, और उन्हें चूसने लगा। राधा की सिसकियां अब चीखों में बदल गईं। “उफ्फ, ससुर जी, मेरी चूचियां चूसो, और जोर से!” उसने चिल्लाया, और उसकी उंगलियां बलदेव के बालों में उलझ गईं। बलदेव ने राधा की साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और उसका पेटीकोट भी खींचकर फेंक दिया। राधा अब पूरी नंगी थी, उसकी गोरी चूत और मोटी गांड चांदनी में चमक रही थी। “बहू, तेरी चूत तो रसभरी है,” बलदेव ने कहा, और अपनी उंगलियां राधा की गीली चूत में डाल दीं।
राधा की चूत इतनी गर्म थी कि बलदेव का लंड उसके कुरते में फटने को तैयार था। “हाय, ससुर जी, मेरी चूत में आग लग रही है!” राधा ने चीखा, और उसकी गांड पीछे की ओर उछलने लगी। बलदेव ने राधा को पलंग पर लिटाया, और उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ राधा की चूत के दाने को सहला रही थी, और राधा की चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “ससुर जी, मेरी चूत चाटो! मुझे चोद दो!” राधा चिल्ला रही थी, और उसकी चूत रस से लबालब हो गई थी।
बलदेव ने अपना कुरता और धोती उतार दी। उसका मोटा, 9 इंच का लंड चांदनी में चमक उठा, और उसकी नसें फूल रही थीं। राधा ने बलदेव के लंड को देखा, और उसकी आंखें चमक उठीं। “उफ्फ, ससुर जी, तेरा लंड तो मेरी चूत का काल है,” उसने कहा, और बलदेव के लंड को अपने हाथों में लिया। उसने बलदेव के लंड को जोर-जोर से हिलाया, और फिर अपने होंठों से उसे चूसने लगी। उसकी जीभ बलदेव के लंड के टिप पर घूम रही थी, और बलदेव की सांसें रुक रही थीं। “बहू, तू तो रंडी से भी गजब चूसती है,” उसने गुर्राया, और राधा के बालों को जकड़कर उसके मुंह में अपना लंड और गहरा ठूंस दिया।
राधा ने बलदेव के लंड को चूसकर गीला कर दिया, और फिर पलंग पर उल्टा लेट गई। उसकी मोटी गांड बलदेव के सामने थी, और उसकी चूत रस टपका रही थी। “ससुर जी, मेरी चूत में अपना लंड डालो, और मुझे चोदो!” राधा ने चिल्लाया, और अपनी गांड को और ऊपर उठा दिया। बलदेव ने राधा की चूतड़ों पर थप्पड़ मारे, और अपनी उंगलियां उसकी चूत में डालकर उसे और गीला किया। “बहू, तेरी चूत तो मेरे लंड की प्यासी है,” उसने कहा, और अपना मोटा लंड राधा की चूत में एक झटके में डाल दिया।
राधा की चीख रात को चीर गई। “हाय मर गई! तेरा लंड मेरी चूत फाड़ देगा!” उसने चिल्लाया, मगर उसकी चूत अब बलदेव के लंड को लय में ले रही थी। बलदेव ने राधा की चूचियों को पीछे से पकड़ा, और उसकी चूत को जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ राधा की चूत रस छोड़ रही थी, और उसकी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “चोद मुझे, ससुर जी! मेरी चूत फाड़ दो! मेरी गांड मारो!” राधा चिल्ला रही थी, और बलदेव का लंड उसकी चूत में तूफान मचा रहा था।
बलदेव ने राधा को पलंग से उठाया, और उसे दीवार के सहारे खड़ा किया। उसने राधा की एक टांग उठाई, और उसकी चूत में फिर से अपना लंड डाला। राधा की चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत बलदेव के लंड को जकड़ रही थी। “ससुर जी, तेरा लंड मेरी चूत को तबाह कर देगा!” राधा ने चीखा, और बलदेव के होंठों को चूसने लगी। बलदेव ने राधा की चूत में गहरे धक्के मारे, और उसकी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया। “बहू, तेरी चूत तो स्वर्ग है,” उसने गुर्राया, और राधा की चूत में और गहरा धक्का मारा।
अब बलदेव की नजर राधा की मोटी गांड पर थी। उसने राधा को पलंग पर उल्टा लिटाया, और उसकी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गया। “बहू, तेरी गांड तो जन्नत का दरवाजा है,” उसने कहा, और राधा की गांड पर थप्पड़ मारे। उसने राधा की चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया, और उसकी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “ससुर जी, मेरी गांड में मत डालो, मैं मर जाऊँगी!” राधा ने सिसकते हुए कहा, मगर उसकी गांड अब बलदेव के लंड की प्यासी थी।
बलदेव ने अपने लंड को राधा की चूत के रस से गीला किया, और धीरे से उसकी टाइट गांड में डाला। राधा की चीख रात को चीर गई। “हाय राम! तेरा लंड मेरी गांड फाड़ देगा!” उसने चिल्लाया, मगर उसकी गांड अब बलदेव के लंड को लय में ले रही थी। बलदेव ने राधा की चूचियों को पीछे से पकड़ा, और उसकी गांड को जोर-जोर से चोदा। हर धक्के के साथ राधा की चूत रस टपका रही थी, और उसकी गांड बलदेव के लंड को निगल रही थी। “चोद मुझे, ससुर जी! मेरी गांड और चूत दोनों तबाह कर दो!” राधा चिल्ला रही थी, और बलदेव का लंड उसकी गांड में आंधी मचा रहा था।
रात के 3 बज चुके थे, और चांदनी अब भी उनकी चुदाई का गवाह थी। बलदेव ने राधा को अपनी गोद में उठाया, और उसे पलंग के किनारे चोदने लगा। राधा की चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत बलदेव के लंड को जकड़ रही थी। “ससुर जी, तू तो मेरा मालिक है,” राधा ने सिसकते हुए कहा, और बलदेव के होंठों को चूसने लगी। बलदेव का लंड अब फटने को था। उसने राधा की चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। राधा की चूत रस और माल से लबालब हो गई, और उसकी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं।
दोनों पसीने से तर-बतर पलंग पर गिर पड़े, उनकी सांसें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। राधा ने बलदेव के लंड को फिर से सहलाया, और बोली, “ससुर जी, ये शादी की पहली रात मैं कभी नहीं भूलूँगी।” बलदेव ने राधा की चूचियों को चूमा, और कहा, “बहू, जब तक वीरू है, मैं तुझे रोज चोदूंगा।”
उस रात की चुदाई की गर्मी हवेली के कमरे में बसी रही। राधा की साड़ी, उसकी चूड़ियां, और उनकी चुदाई का रस पलंग पर बिखरा पड़ा था। अगली सुबह, जब वीरू उठा, उसे कुछ पता नहीं था कि उसकी दुल्हन की चूत और गांड का उद्घाटन उसके बाप ने कर दिया था।