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पापा के रिटायर्ड दोस्त ने मेरी जवानी का मजा उठाया

फ्रेंड्स . मेरी उम्र इस समय करीब 20 साल है।पिछले 2 साल पहले मेरी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी और मुझे प्यार का अहसास कराया।असल में मेरे पापा के एक सीनियर दोस्त हैं और रिटायर हो चुके हैं,वो हमारे घर से करीब 4 किलोमीटर दूर रहते थे,उनका घर कॉलेज से आते हुए रस्ते में पड़ता था उनका हमरे यहाँ काफी आना जाना था,उनके रिटायरमेंट को 2 साल हो चुके थे,उनका एक बेटा था जो बंगलौर में काम करता है,आंटी की डेथ 6-7 साल पहले हो चुकीं थी।पापा कहा करते थे की कभी अपने अंकल के पास भी चली जाया करो उनके हाल चाल पूछ लिया करो,वो बेचारे अकेले रह गए है उन्होंने काम के लिए एक महिला रखी हुई थी,जो दिन का खाना बना कर चली जाया करती थी।मैं अक्सर उनके घर एक आध हफ्ते में चली जाती थी और वो मेरे लिए कोफ्फे या ड्रिंक बना देते थे,मै थोड़ी देर रेस्ट करके और kuch magzin पढ़ कर चली जाया करती थी कभी वो मुझे कार से भी छोड़ देते थे,
एक दिन मेने देखा की उनकी अलमारी में सेक्स की भी कुछ किताबें राखी हुई थी,में उनके बेडरूम में बैठ कर पढने लगी।में कुछ ऐसे दृश्य देख रही थी जो काफी हॉट थे और किस्सिंग सिन थे,मुझे पता नही चला की वो कब मेरे पास आ कर खड़े हो गए और वो भि पीछे।
वो झुके और पीछे से मेरा चेहरा पकड़ कर 3-4 बार किस कर लिया। किताब मेरे हाथ में ही थी।में सलवार और सूट में थी।

मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया,में उन्हें कुछ न कह सकी धीरे से उनके हाथ मेरे वक्ष की तरफ फिसलने लगे,और उन्होंने मेरी दुदियाँ जकड ली,मुझे उनसे यह उम्मीद नही थी,पर मेरी गलती यह थी की में वो किताब पढ़ रही थी।वो मेरी दुदियाँ मसलने लगे।पहली बार किसी मर्द ने मेरी छातियों पर हाथ रखा था। मेरी आँखे नशे से बंद होने लगी में छह कर भी उन्हें रोक नही पायी।फिर वो बगल से घूम कर आये और मेरी बगल में बैठ गए।उन्होंने उस समय तहमल और बनियान पहन राखी थी। फिर तो वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगे।में उनका बहुत सम्मान करती थी।मेने उन्हें धीरे से कहा की अंकल प्लीज ……नही उन्होंने धीरे से सेक्सी आवाज में कहा की मधु तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।और औरत मर्द के लिए ही बनी होती है।यह कह कर उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरे सलवार में डाल दिया .में चिहुंक उठी जब उन्हने मेरे दाना दबाया।उनकी हथेली मेरे गुप्तांग के बालों को सहला रहीथी।वो मुझे चूम भी रहे थे,मेरी दुददी भींच भी रहे थे और निचे हाथ से काम उत्तेजित भी कर रहे थे,
मुझे ऐसा आनंद आज तक नही मिला था।मुझे ऐसा लगा की मेरा पानी टपकने वाला है।उनकी ऊँगली मेरी गुप्तांग को सहला रही थी ,फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में किसी बच्चे की तरह उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।वो खुद भी मेरे ऊपर आ गए,टहमल तब भी था।उन्होंने मेरा कुरता ऊपर कर दिया और मेरे निप्पल अपने मुह में लेकर चूसने लगे।उनकी मूछें मेरे बदन को स्पर्श कर रही थी।
वो चुमते चुमते मेरे निचे की तरफ आ रहे थे अपर में ऐसी काम के अधीन हो चुकी थी वो मेरी नाभि तक आ गए,फिर उन्होंने मेरा नाडा खोल दिया।और मेरी काली कच्छी निचे सरका दी ,उनकी ऊँगली मेरे दाने पर गोल गोल घुमने लगी थी,में इतनी उत्तेजित ही गयी थी की मेने अपनी आँखें बंद कर ली मेरी सांस तेज तेज चल रही थी।इसके बाद वो फिर से मेरे होंठों को चूसने लगे।वो मेरी गर्दन और कानो के निचे चूम रहे थे,मुझे लगा की में अपने बस में नही हूँ।
उन्होंने अपनी टाँगें फेला ली थी और मुझे पानी जांघों के बिच में किसी सख्त लम्बी और गोल चीज़ का अनुभव हो रहा था।उन्होंने मेरी सलवार और कच्छी दोनों निकल दी,इसके बाद वो पता नही क्या करने लगे मेरे निचे।तभी मुझे अनुभव हुआ की कोई गरम अंडे की तरह की मांसल चीज मेरी योनी पर आकर टिक गयी है

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अंकल ने धीरे से मेरे दोनों पैर ऊपर किये और अपने बाएं हाथ में पकड लिए ,मेरे लिए ये बिलकुल नया अनुभव था।अंकल ने वो गर्म गर्म मांसल करीब 7 इंच लम्बा डंडा मेरे बिलकुल निचे से ऊपर तक की फांकों तक करीब 6-7 बार घिसा।मेरी छातियाँ ऊपर निचे होने लगी थी तभी अंकल ने अपने चूतडों से एक जोर से धक्का मारा और में बिलबिला गयी,मेरे अन्दर उन्होंने अपना काला डंडा घुसेड दिया था,मेने दर्द से उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मेरे गाल थपथपाए और कहा की मधु बस।।चला गया मत घबरा,,
बस इसके बाद अंकल धीरे धीरे उस काले मांसल डंडे को मेरे अन्दर धकेलने लगे।अब मुझे भी मजा आने लगा था।अंकल के चूतड जितनी तेजी से मचलते थे,मुझे उतना ही मजा आने लगा था,अंकल ने अब मेरी टाँगें छोड़ दी थी,पर आनंद के मारे मेने ही खुद फेला ली थी।अंकल मुझे इसी हालत में करीब 15 मिनट तक खूब चोदते रहे ,उन्होंने मेरे पूरा अन्दर दे दिया था।
मै समझती थी की बूढ़े मर्द लड़कियों को प्यार नही कर सकते।पर उन्होंने मेरा दावा गलत कर दिया था।आखिर में अंकल की स्पीड काफी बढ़ गयी और कमरे में उनकी सांसें और मेरी दबी दबी आहें भर गयी थी,तभी अंकल ने अपना मुह ऊपर की तरफ किया और सांड की तरह से गले से आनंद में आवाज निकली और मेरे अन्दर शयद बच्चेदानी पर अपनी 7-8 बार ऐसी मजेदार गरम पिचकारी मारी की मै मस्त हो गयी,अंकल धीरे से मेरे ऊपर लेट गए ,करीब 2 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे।इसके बाद अंकल ने मेरी चुम्मियां ली और फिर सीधे होकर बिस्तर पर मेरी बगल में लेट गये.
मेरी नजर उनके काले लंड पर टिक गयी ,जिस पर थोडा सा खून लगा हुआ था,साथ ही मेने अपनी जांघों के बिच में देखा ,उसके किनारे भी खून से सने हुए थे।में समझ गयी की अंकल ने मेरा कोमार्य भंग कर दिया है।
उनका काला मोटा लंड मुरझा गया था पर उसकी खाल अभी भी पीछे ही थी।अंकल का मुरझाया हुआ लंड भी करीब 5 इच का था,उफ्फ्फ।।।जब मेने ध्यान से देखा की हाय।।।।।मेरे इतना अन्दर गया होगा में सिहर उठी। अंकल की आँखें बंद थी,में रोने लगी ,अंकल ने मुझे चुप करा दिया,और कहा की बस पहली बार सभी लड़कियों के निकलता है, अंकल ने अपने तहमल से मेरा गुप्तांग और अपना लंड साफ कर दिया।
मेरी सारी झिझक मिट गयी थी।मेने उठ कर अपनी सलवार पहन ली,अंकल ने मुझे कहा की मधु कैसा लगा,मेने सर झुका कर कहा की अंकल आपने मेरे साथ क्या कर दिया ?उन्होंने कहा की हर लड़की के साथ मर्द ऐसे ही करते है पर किसी को मत बताना,मेने कहा की अंकल मुझे बहुत अच्छा लगा।उन्होंने कहा की जब भी मूड बने तो यहाँ आ जाया करना,इसके बाद उन्होंने मुझे चाय बनाने के लिए कहा और मार्किट चले गए ,उन्होंने मुझे 2 गोलियां खिलाई और कहा की अब तेरे पेट में बच्चा नही ठहरेग।
अंकल ने कहा की जल्दी से उठ और बाथरूम में जाकर के पजोर लगा कर पेशाब कर ले ,मेरा वीर्य अभी तेरे ही अन्दर होगा।
में जब पेशाब कर रही थी तो मेरे छेद से करीब 2 चमच्च सफ़ेद गाढ़ा घी जैसा पदार्थ निकला ,जो की उन्होंने मेरे अन्दर धकेल दिया था।
फिर बाद में कभी की आगे क्या हुआ?……….