बिहार के एक छोटे से गाँव में, जहाँ खेतों की हरियाली और मिट्टी की सोंधी खुशबू हर तरफ बिखरी रहती थी, मैं, अमन, अपनी मौसी के घर छुट्टियाँ बिताने गया था। मैं 23 साल का था, लंबा, गठीला, और चेहरे पर एक शरारती मुस्कान लिए। मौसी की लड़की, कविता, 21 साल की, गोरी, लंबे घने बालों वाली, और ऐसी फिगर वाली कि गाँव के सारे लड़के उसकी एक झलक पाने को तरसते थे। उसकी टाइट कुर्ती और चूड़ीदार उसके भरे हुए बूब्स और गोल चूतड़ को और उभारते थे। हम बचपन से दोस्त जैसे थे, लेकिन इस बार जब मैं मौसी के घर पहुंचा, तो कविता की आँखों में एक अलग सी चमक थी। एक रात, उसने मेरी सारी हसरतें पूरी कर दीं।
मौसी का घर पुराना था, मिट्टी की दीवारों और छप्पर की छत वाला। रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने कमरों में चले गए। मैं और कविता छत पर बैठे गपशप कर रहे थे। आसमान में चाँद चमक रहा था, और ठंडी हवा हमारी बातों को और हल्का कर रही थी। कविता ने एक पतली शॉल ओढ़ रखी थी, लेकिन उसकी कुर्ती के गले से उसकी चूचियों की झलक साफ दिख रही थी। “अमन, तू तो शहर में जाकर बड़ा स्मार्ट हो गया है,” उसने हँसते हुए कहा। मैंने शरारत से जवाब दिया, “कविता, तू भी तो अब इतनी हॉट हो गई है कि मेरी नज़र तेरी चूत पर टिक जाती है।” मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी, लेकिन उसकी आँखों में एक कामुक चमक उभर आई।
कविता ने अपनी शॉल हटाई और मेरे और करीब सरक आई। उसकी साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। “अमन, अगर तुझे मेरी चूत चाहिए, तो ले ले,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। उसकी बात ने मेरे लंड को तुरंत सख्त कर दिया। मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों को चूम लिया। उसका होंठ इतना नरम था कि मैं पागल हो गया। हमारी जीभें एक-दूसरे से मिलीं, और कविता ने मेरी कमर को कस के पकड़ लिया। “तेरे होंठ तो शहद जैसे हैं,” मैंने कहा, और उसने सिसकते हुए जवाब दिया, “तो मेरी चूत का स्वाद भी ले ले।”
मैंने कविता की कुर्ती के बटन खोलने शुरू किए। उसने नीचे काली ब्रा पहनी थी, जो उसके गोरे बूब्स को और उभार रही थी। मैंने ब्रा का हुक खोला, और कविता की चूचियाँ मेरे सामने थीं—गोरी, भरी हुई, और निप्पल्स सख्त। मैंने उन्हें दोनों हाथों से दबाया, धीरे से मसला, और फिर एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। कविता की सिसकियाँ निकलने लगीं, “अमन, आह, और चूस।” उसकी आवाज़ में वासना थी, और मेरे लंड में तनाव बढ़ता जा रहा था। मैंने उसकी चूचियों को बारी-बारी चूसा, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी।
कविता ने मेरी शर्ट उतारी और मेरी छाती पर हाथ फेरा। “तेरा जिस्म कितना मज़बूत है,” उसने कहा, और मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसकी चूड़ीदार का नाड़ा खोला, और उसकी काली पैंटी दिखी, जो उसकी गीली चूत से चिपक चुकी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को रगड़ा, और कविता की सिसकियाँ और तेज़ हो गईं। “अमन, मेरी चूत को चोद दे,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी गोरी, टाइट चूत को देखकर मेरा लंड बेकाबू हो गया।
मैंने कविता को छत पर बिछी चटाई पर लिटाया और उसकी जांघें चौड़ी कीं। उसकी चूत गीली और गुलाबी थी, मानो मेरे लंड का इंतज़ार कर रही हो। मैंने अपनी जीन्स उतारी, और मेरा मोटा लंड बाहर आया। कविता ने उसे देखकर अपने होंठ चाटे और बोली, “अमन, तेरा लंड तो मेरी चूत के लिए बना है।” उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, धीरे-धीरे सहलाया, और फिर अपने होंठों से चूम लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसली, और मैं सिसकियाँ लेने लगा। “कविता, तू तो मेरे लंड को पागल कर देगी,” मैंने कहा, और उसने और तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया।
मैंने कविता को फिर से लिटाया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। उसकी सिसकियाँ बढ़ गईं, और उसने अपनी कमर उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश की। मैंने धीरे से लंड अंदर डाला, और कविता की एक हल्की चीख निकली। “अमन, धीरे, ये मेरी पहली बार है,” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने उसकी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में उसकी गहराई को महसूस कर रहा था। कविता की चूचियाँ उछल रही थीं, और उसकी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में गूंज रही थीं।
दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था, और कविता ने अपनी जांघें और चौड़ी कर दीं। “अमन, और ज़ोर से चोद,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और मेरा लंड उसकी चूत को गहरे तक चोद रहा था। कविता ने मेरी कमर को कस के पकड़ लिया, और उसकी सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। मैंने उसकी चूचियाँ फिर से दबाईं और उन्हें चूसने लगा, जिससे उसकी चूत और गीली हो गई। “साला, तेरी चूत चोदने का मज़ा ही अलग है,” मैंने कहा, और कविता ने जवाब दिया, “अमन, मेरी चूत तेरे लंड की गुलाम हो गई।”
तभी गाँव का हमारा दोस्त, रवि, 24 साल का, मज़बूत और शरारती, छत पर आ गया। उसने हमें देखा और हँसते हुए बोला, “कविता, मुझे भी मज़ा दे दे।” कविता ने पहले झिझक दिखाई, लेकिन उसकी वासना भारी पड़ गई। “आ जा, रवि, मेरी गांड और मुँह बाकी हैं,” उसने सेक्सी अंदाज़ में कहा। मैंने रवि को पास बुलाया, और हम दोनों ने कविता को अपनी भूख का शिकार बनाया। रवि ने कविता की गांड को सहलाया और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी मस्त है,” उसने कहा, और अपनी उंगली कविता की गांड में डाली।
कविता की सिसकी और तेज़ हो गई। “रवि, मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने कविता की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि रवि ने अपनी पैंट उतारी और अपने लंड को कविता की गांड पर रगड़ा। उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और कविता की ज़ोरदार चीख निकली। “आह, धीरे,” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन रवि ने और ज़ोर से धक्का मारा। “रंडी, तेरी गांड मेरे लंड के लिए बनी है,” रवि ने कहा, और कविता ने जवाब दिया, “तो चोद दे, मेरी गांड को।”
अब कविता के जिस्म में दो लंड थे—मेरा लंड उसकी चूत को चोद रहा था, और रवि का लंड उसकी गांड को। उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, और उसने हमें कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” कविता ने सिसकते हुए कहा। मैंने उसके होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, और रवि ने उसकी चूचियाँ दबाईं। कविता का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था। उसकी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में गूंज रही थीं, और चाँदनी हमारी इस कामुकता का गवाह बन रही थी।
तभी मौसी का नौकर, मंगल, 28 साल का, मज़बूत और चालाक, छत पर आया। उसने कविता की चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “कविता, मुझे भी मज़ा दे,” उसने गहरी आवाज़ में कहा। कविता ने उसे एक सेक्सी नज़र दी और बोली, “मंगल, मेरे मुँह में जगह है।” मंगल ने अपनी धोती उतारी और अपना मोटा लंड कविता के मुँह में डाल दिया। कविता ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके लंड को सहलाते हुए। मंगल की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने कविता के बाल पकड़कर उसे और तेज़ी से चूसने को कहा। “साली, तू तो मेरे लंड की दीवानी है,” मंगल ने बोला।
मैं अब कविता की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, मेरा लंड हर धक्के में उसकी गहराई को छू रहा था। रवि ने उसकी गांड में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और कविता की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। मंगल ने कविता के मुँह में अपने लंड को और गहरे तक डाला, और कविता ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा लंड कितना मस्त लग रहा है,” मंगल ने कराहते हुए कहा। कविता का जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था, और उसकी चुदाई चरम पर थी।
हमारी चुदाई रातभर चली। कविता की चूत, गांड, और मुँह तीनों हमारे लंड से भरे थे। मैंने कविता की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। रवि ने उसकी गांड में अपने रस छोड़े, और मंगल ने कविता के मुँह से लंड निकालकर उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। कविता का जिस्म पसीने और तृप्ति से गीला था, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
सुबह होने से पहले हमने कपड़े ठीक किए और चुपके से अपने कमरों में चले गए। कविता ने मुझे एक शरारती मुस्कान दी और फुसफुसाया, “अमन, तूने मेरी चूत और गांड को यादगार बना दिया।” मैंने उसकी कमर दबाकर जवाब दिया, “कविता, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम बन चुकी है।” सुबह जब हम नाश्ते की मेज़ पर मिले, तो कविता की आँखों में वही शरारत थी, और मेरे मन में उस रात की गर्मी अब भी ज़मीन थी।