आप यह कहानी Nonveg Story Dot Com पर पढ़ रहे हैं, जहाँ हर कामुक सीन आपकी हवस को चरम पर ले जाता है। मैं, माया, 24 साल की, और मेरी दोस्त निकिता, 23 साल की, गोवा की एक रंगीन रात में अपने दोस्तों, रोहन (26 साल), विक्रांत (27 साल), और आदित्य (25 साल) के साथ एक दारू पार्टी में थीं। मैं गोरी, लंबे बालों वाली, और टाइट ड्रेस में उभरती चूचियों और मटकती गांड वाली हसीना थी, जबकि निकिता सांवली, कर्वी फिगर और रसभरे बूब्स वाली सेक्सी लड़की थी। गोवा के एक बीच विला में, जहाँ समंदर की लहरें और शराब की मस्ती माहौल को गर्म कर रही थी, हमारी पार्टी ने एक ऐसी चुदाई का रूप ले लिया, जिसमें मेरी और निकिता की चूत और गांड ने चार लंडों का स्वागत किया।
उस रात गोवा का मौसम गर्म और उमस भरा था। हमने विला के खुले लॉन में म्यूज़िक, लाइट्स, और व्हिस्की की बोतलें सजा रखी थीं। मैंने एक टाइट ब्लैक मिनी ड्रेस पहनी थी, जो मेरी चूचियों और जांघों को बमुश्किल ढक रही थी, और निकिता ने रेड ऑफ-शोल्डर टॉप और शॉर्ट्स में अपनी गांड और बूब्स को उभारा था। रोहन, विक्रांत, और आदित्य शॉर्ट्स और टी-शर्ट में थे, उनके गठीले जिस्म शराब की गर्मी में चमक रहे थे। “माया, तू आज आग लगा रही है,” रोहन ने शरारत से कहा, उसका गिलास मेरी ओर उठाते हुए। मैंने हँसकर जवाब दिया, “रोहन, मेरी चूत की आग बुझाने की हिम्मत है?” निकिता ने हँसते हुए ताली बजाई, और माहौल में हवस की चिंगारी भड़क उठी।
शराब के दौर चलते रहे, और हम सब नशे में डूब गए। म्यूज़िक की धुन पर मैं और निकिता नाचने लगीं, हमारी चूचियाँ और गांड हवा में उछल रही थी। विक्रांत ने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरी कमर पर हाथ फेरा। “माया, तेरी गांड तो लंड माँग रही है,” उसने फुसफुसाया। मैंने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, “विक्रांत, मेरी चूत और गांड दोनों तैयार हैं।” निकिता ने आदित्य को अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को चूम लिया। उनका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी साँसें तेज़ हो गईं। रोहन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरे होंठों को चूम लिया, उसकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी।
रोहन ने मेरी ड्रेस का ज़िप खींचा, और मेरी काली ब्रा में कैद चूचियाँ सामने आईं। उसने ब्रा का हुक खोला, और मेरे भरे हुए बूब्स आज़ाद हो गए। “माया, तेरी चूचियाँ तो रस से भरी हैं,” रोहन ने कराहते हुए कहा। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। मेरी सिसकियाँ लॉन में गूंजने लगीं। विक्रांत ने मेरी ड्रेस पूरी तरह उतार दी, और मेरी काली पैंटी मेरी गीली चूत से चिपक चुकी थी। उसने पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया, और मेरी सिसकियाँ और तेज़ हो गईं। निकिता का टॉप और शॉर्ट्स आदित्य ने उतार दिए, और उसकी लाल ब्रा और पैंटी में उसकी चूचियाँ और गांड चमक रही थीं।
आदित्य ने निकिता को घास पर लिटाया और उसकी ब्रा उतार दी। उसने निकिता की चूचियाँ चूसीं, और निकिता की सिसकियाँ हवा में तैरने लगीं। “आदित्य, मेरी चूत को चोद दे,” निकिता ने कराहते हुए कहा। मैंने रोहन की टी-शर्ट उतारी और उसकी शॉर्ट्स के ऊपर से उसके लंड को सहलाया। “रोहन, तेरा लंड तो मेरी चूत के लिए बना है,” मैंने सेक्सी अंदाज़ में कहा। मैंने उसकी शॉर्ट्स उतारी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था, 7 इंच का, सख्त और गर्म। मैंने उसे अपने हाथों में लिया और चूसना शुरू किया, मेरी जीभ उसके सिरे पर नाच रही थी। विक्रांत ने मेरी पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, धीरे-धीरे रगड़ते हुए।
रोहन ने मुझे घास पर लिटाया और मेरी जांघें चौड़ी कीं। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। मेरी एक हल्की चीख निकली, क्योंकि उसका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था। “माया, तेरी चूत कितनी टाइट है,” रोहन ने कराहते हुए कहा। उसने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। विक्रांत ने मेरे मुँह में अपना लंड डाला, और मैं उसे चूसने लगी। उसकी सिसकियाँ तेज़ हो गईं, और उसने मेरे बाल पकड़ लिए। आदित्य ने निकिता की चूत में अपना लंड डाला, और निकिता की चीखें लॉन में गूंजने लगीं। “आदित्य, मेरी चूत चोद दे,” उसने सिसकते हुए कहा।
विक्रांत ने मुझे घोड़ी बनाया और अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ा। “माया, तेरी गांड भी चोदूँगा,” उसने शरारत से कहा। मैंने कराहते हुए जवाब दिया, “विक्रांत, मेरी गांड भी ले लो, बस मेरी चूत को तृप्त कर दो।” उसने धीरे से लंड मेरी गांड में डाला, और मेरी ज़ोरदार चीख निकली। “विक्रांत, धीरे,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और मेरी गांड उसके लंड को निगल रही थी। रोहन ने मेरी चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और मेरे जिस्म में दो लंड थे—चूत और गांड में। निकिता को आदित्य और रोहन का दोस्त, करण (26 साल, मज़बूत), जो बाद में पार्टी में आया, ने पकड़ लिया। उसने निकिता की गांड में अपना लंड डाला, और निकिता की चीखें और तेज़ हो गईं।
मेरी और निकिता की सिसकियाँ लॉन में गूंज रही थीं। रोहन की चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरा जिस्म थरथरा रहा था, और विक्रांत का लंड मेरी गांड को गहरे तक चोद रहा था। आदित्य ने निकिता की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और करण ने उसकी गांड में अपने लंड को तेज़ी से चलाया। “निकिता, तेरी चूत और गांड ने हमें पागल कर दिया,” आदित्य ने कराहते हुए कहा। निकिता ने चीखते हुए जवाब दिया, “मेरी चूत और गांड तुम सबके लंड की गुलाम हैं।” मैंने भी सिसकते हुए कहा, “रोहन, विक्रांत, मेरी चूत और गांड को और चोदो।” मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और विक्रांत ने उन्हें कस के दबाया।
करण ने निकिता को अपने मुँह में लंड लेने को कहा, और निकिता ने उसका लंड चूसना शुरू किया। मैंने रोहन के होंठों को चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, और विक्रांत ने मेरी गांड को थप्पड़ मारा। मेरा जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था। समंदर की लहरों की आवाज़ और हमारी सिसकियाँ माहौल को और कामुक बना रही थीं। रोहन ने मेरी चूत में और तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “माया, मेरी चूत में छोड़ दे,” मैंने चीखते हुए कहा। रोहन ने मेरी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी, और विक्रांत ने मेरी गांड में अपने रस बिखेरे।
आदित्य ने निकिता की चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी, और करण ने उसकी गांड में अपने रस छोड़े। निकिता ने करण का लंड मुँह से निकाला, और उसने उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी छीट दी। हमारा जिस्म पसीने और तृप्ती से गीला था, और हमारी चूत और गांड की प्यास बुझ चुकी थी। हमने घास पर लेटकर साँसें लीं, और शराब की मस्ती अब भी हमारे जिस्म में थी। रोहन ने मुझे अपनी बाहों में लिया और फुसफुसाया, “माया, तूने पार्टी को जन्नत बना दिया।” मैंने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, “रोहन, मेरी चूत और गांड तुम सबके लंड की दीवानी हैं।”
सुबह होने से पहले हमने कपड़े ठीक किए और विला के अंदर चले गए। मेरे और निकिता के जिस्म पर चुदाई के निशान थे—मेरी चूचियों पर रोहन के दाँतों के निशान, मेरी गांड पर विक्रांत के थप्पड़ों के लाल निशान, और निकिता की चूचियों पर आदित्य की खरोंचें। अगले दिन ब्रंच के दौरान हमारी नज़रें मिलीं, और सबकी आँखों में वही शरारत थी। निकिता ने हँसते हुए कहा, “माया, अगली पार्टी और ज़ोरदार होगी।” मैंने जवाब दिया, “निकिता, मेरी चूत और गांड अगले लंडों के लिए तैयार हैं।” हमारी हँसी हवा में गूंजी, और हम जानते थे कि गोवा की ये रातें रुकने वाली नहीं थीं।