ससुर जी ने मेरी वासना की आग बुझाई

उत्तर प्रदेश के एक गाँव में, जहाँ खेतों की हरियाली और पुराने ज़माने की हवेलियाँ एक अलग ही रंग बिखेरती थीं, राधिका अपने ससुराल में नई-नवेली बहू बनकर आई थी। राधिका, 24 साल की, गोरी, लंबे काले बालों वाली, और कातिलाना फिगर वाली हॉट जवान औरत थी। उसकी टाइट साड़ी उसके भरे हुए बूब्स और गोल चूतड़ को उभारती थी, और उसकी गहरी आँखों में वासना की एक छिपी आग थी। उसका पति, अजय, 28 साल का, शहर में नौकरी करता था और महीनों घर से दूर रहता था। राधिका की वासना की आग को बुझाने वाला कोई नहीं था, सिवाय उसके ससुर, रामलाल, 50 साल के, मज़बूत जिस्म और गहरी आवाज़ वाले मर्द। एक रात, रामलाल ने राधिका की वासना की आग बुझा दी।

गर्मी की एक रात थी, और गाँव में बिजली गुल थी। राधिका अपने कमरे में अकेली थी, पतली साड़ी में पसीने से तर-बतर। उसकी चूत में वासना की आग धधक रही थी, और वह बेचैन होकर बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। रामलाल, लुंगी और बनियान में, राधिका के कमरे में आए और बोले, “बेटी, नींद नहीं आ रही? गर्मी बहुत है।” उनकी नज़रें राधिका की चूचियों पर टिकी थीं, जो साड़ी के नीचे साफ़ उभर रही थीं। राधिका ने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया, “ससुर जी, मेरी चूत में आग लगी है, इसे बुझाने वाला कोई नहीं।” उसकी बोल्ड बात ने रामलाल के लंड को तुरंत सख्त कर दिया, और उन्होंने राधिका को अपनी भूख का शिकार बनाने का इरादा बना लिया।

रामलाल ने राधिका को बिस्तर पर खींच लिया और उसके होंठों को चूम लिया, पहले धीरे, फिर गहराई से, उसकी जीभ को चूसते हुए। राधिका की चूत में सिहरन दौड़ गई, और उसने रामलाल की बनियान में उंगलियाँ डालकर उन्हें और करीब खींच लिया। “ससुर जी, तेरे होंठ कितने गर्म हैं,” राधिका ने सिसकते हुए कहा। रामलाल ने जवाब दिया, “तो तेरी चूत का स्वाद भी लूँगा, और तेरी वासना की आग बुझाऊँगा।” उसकी बात ने राधिका की चूत को और गीला कर दिया। उन्होंने राधिका की साड़ी का पल्लू हटाया, और उसकी टाइट ब्लाउज़ में कैद चूचियाँ देखकर उनका लंड लुंगी में उछलने लगा।

रामलाल ने राधिका का ब्लाउज़ उतारा और उसकी काली ब्रा का हुक खोला। राधिका के भारी बूब्स आज़ाद हो गए, और रामलाल ने उन्हें कस के दबाया, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। “तेरी चूचियाँ कितनी रसभरी हैं,” रामलाल ने कराहते हुए कहा, और राधिका की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगीं। उसने अपनी जांघें चौड़ी कीं, और रामलाल ने उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया, जो पहले ही गीली हो चुकी थी। “तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए तरस रही है,” रामलाल ने कहा, और राधिका ने सिसकते हुए जवाब दिया, “ससुर जी, अपने लंड से मेरी वासना की आग बुझा दो।”

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राधिका ने रामलाल की लुंगी खोली, और उनका मोटा लंड बाहर आया। “वाह, ससुर जी, तेरा लंड तो बहुत मोटा है,” राधिका ने सेक्सी अंदाज़ में कहा, और उसे अपने हाथों में लेकर सहलाया। उसने रामलाल के लंड को अपने होंठों से चूमा, फिर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। रामलाल की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उन्होंने राधिका के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। राधिका की जीभ उनके लंड पर नाच रही थी, और उसकी चूत में चुदाई की प्यास बढ़ रही थी। “रंडी, तू तो मेरे लंड की दीवानी हो गई,” रामलाल ने गाली देते हुए कहा, और राधिका ने कामुक मुस्कान के साथ जवाब दिया, “तो चोद दे, ससुर जी, मेरी चूत को।”

रामलाल ने राधिका की साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। उसकी काली पैंटी उसकी चूत से चिपक चुकी थी। उन्होंने पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ राधिका की चूत में डालीं, उसे रगड़ते हुए। “तेरी चूत कितनी गीली और गर्म है,” रामलाल ने फुसफुसाया, और राधिका ने कराहते हुए कहा, “ससुर जी, अपने मोटे लंड से इसे चोद दो।” रामलाल ने राधिका को बिस्तर पर लिटाया और उसकी जांघें चौड़ी कीं। उन्होंने अपने लंड को राधिका की चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। राधिका की एक हल्की चीख निकली, क्योंकि रामलाल का लंड उसकी चूत को पूरा भर रहा था।

रामलाल ने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और हर धक्के के साथ राधिका की चूचियाँ उछल रही थीं। उसकी सिसकियाँ और कराहना कमरे में गूंज रहा था। “ससुर जी, मेरी चूत को और चोदो,” राधिका ने सिसकते हुए कहा। रामलाल ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उनका लंड राधिका की चूत की गहराई को छू रहा था। राधिका की गांड हर धक्के के साथ बिस्तर पर रगड़ रही थी, और उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर दीं। “साला, तेरी चूत चोदने का मज़ा ही अलग है,” रामलाल ने गाली देते हुए कहा, और राधिका ने कामुक अंदाज़ में जवाब दिया, “ससुर जी, मेरी वासना की आग बुझा दो।”

तभी रामलाल का भतीजा, मोहन, 32 साल का, मज़बूत जिस्म और शरारती मुस्कान वाला मर्द, कमरे में आया। उसने राधिका की चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “भाभी, मुझे भी मज़ा चाहिए,” मोहन ने हँसते हुए कहा। राधिका ने एक सेक्सी मुस्कान दी और बोली, “आ जा, मोहन, मेरी गांड और मुँह बाकी हैं।” रामलाल ने हँसते हुए मोहन को पास बुलाया, और दोनों ने राधिका को अपनी भूख का शिकार बनाया। मोहन ने राधिका की गांड को कस के पकड़ा और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी रसभरी है,” उसने कहा, और अपनी उंगलियाँ राधिका की गांड के छेद पर फेरी।

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मोहन ने अपनी उंगली राधिका की गांड में डाली, और राधिका की सिसकी और तेज़ हो गई। “मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। रामलाल ने राधिका की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि मोहन ने अपने लंड को राधिका की गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। राधिका की एक ज़ोरदार चीख निकली, क्योंकि मोहन का लंड उसकी गांड को दर्द दे रहा था। “आह, धीरे,” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन मोहन ने और ज़ोर से धक्का मारा। “रंडी, तेरी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” मोहन ने गाली देते हुए कहा, और राधिका ने कामुक अंदाज़ में जवाब दिया, “तो चोद दे, मेरी गांड को।”

राधिका के जिस्म में दो लंड एक साथ थे—रामलाल का लंड उसकी चूत को चोद रहा था, और मोहन का लंड उसकी गांड को। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” राधिका ने सिसकते हुए कहा, दर्द और मज़े के बीच झूलते हुए। रामलाल ने राधिका के होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, जबकि मोहन ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उन्हें चूसा। राधिका का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था।

तभी गाँव का एक और मर्द, श्याम, 40 साल का, मज़बूत और अनुभवी, कमरे में आया। उसने राधिका की चुदाई देखकर अपना मोटा लंड पकड़ लिया। “राधिका, मुझे भी बुला ले,” उसने गहरी आवाज़ में कहा। राधिका ने उसे एक सेक्सी नज़र दी और बोली, “श्याम जी, मेरे मुँह में जगह है।” श्याम ने अपनी लुंगी उतारी और अपना मोटा लंड राधिका के मुँह में डाल दिया। राधिका ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके मोटे लंड को सहलाते हुए। श्याम की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने राधिका के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। “रंडी, तू तो मेरे लंड की दीवानी है,” श्याम ने गाली देते हुए कहा।

रामलाल अब राधिका की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, उसका लंड हर धक्के में उसकी चूत की गहराई को छू रहा था। मोहन ने उसकी गांड में अपने लंड को और गहरे तक धकेला, और राधिका की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। श्याम ने राधिका के मुँह में अपने मोटे लंड को और तेज़ी से चलाया, और राधिका ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा लंड कितना अच्छा लग रहा है,” श्याम ने कराहते हुए कहा। राधिका का जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था, और उसकी वासना की आग पूरी तरह बुझ रही थी।

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चुदाई का ये खेल पूरी रात चला। राधिका की चूत, गांड, और मुँह तीनों मर्दों के लंड से भरे थे। रामलाल ने राधिका की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। मोहन ने उसकी गांड को चोदते हुए अपने लंड का रस उसकी गांड में छोड़ा। श्याम ने राधिका के मुँह से अपना मोटा लंड निकाला और उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। राधिका का जिस्म पसीने, दर्द, और तृप्ति से गीला था, और उसकी वासना की आग पूरी तरह बुझ चुकी थी।

रात के आखिरी पहर में राधिका ने तीनों को एक सेक्सी मुस्कान दी और फुसफुसाया, “ससुर जी, तुमने मेरी वासना की आग बुझा दी। मेरी चूत और गांड तुम्हें हमेशा याद करेंगी।” रामलाल, मोहन, और श्याम ने उसे अपनी बाहों में लिया, और गाँव की ठंडी रात में उनकी चुदाई की गर्मी सुबह तक बाकी थी। राधिका ने हँसते हुए कहा, “ससुर जी, जब अजय न हो, तो मेरी चूत को फिर चोदना।” रामलाल ने उसकी चूचियाँ दबाकर जवाब दिया, “रंडी, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम बन चुकी है।”

सुबह होने पर राधिका ने अपने जिस्म पर चुदाई के निशान देखे—हल्के लाल निशान उसकी चूचियों और चूतड़ पर थे, जो उसकी वासना की आग बुझने की कहानी कह रहे थे। उसने रामलाल को एक शरारती मुस्कान दी और चुपके से कहा, “ससुर जी, ये रात मेरी चूत हमेशा याद रखेगी।” रामलाल ने हँसकर उसकी कमर दबा दी, और राधिका की कामवासना फिर से जाग उठी।