मैं, रोहन, 24 साल का जवान लड़का, पुणे में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था। मेरा मस्कुलर जिस्म और 8 इंच का मोटा लंड कॉलेज की लड़कियों को दीवाना बना देता था, लेकिन मेरी नजरें हमेशा अपनी बड़ी बहन, अनु दीदी, पर टिकी रहती थीं। अनु दीदी, 28 साल की, एक फ्रीलांस डिजाइनर थीं, और उनका जिस्म किसी मॉडल से कम नहीं था। उनकी टाइट ड्रेस में उभरे रसीले बूब्स, पतली कमर और गोल नितंब मेरे लंड में हर बार आग लगा देते थे। उनकी गहरी आँखें और रसीले होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों। हम दोनों के बीच हमेशा एक खास बॉन्ड था, लेकिन हाल के सालों में उनकी शरारती मुस्कान और मेरे जिस्म को घूरने वाली नजरें मेरे मन में वासना जगा रही थीं।
हमारे मम्मी-पापा दिल्ली में रहते थे, और इस बार अनु दीदी पुणे में एक क्लाइंट मीटिंग के लिए आई थीं। मैंने उन्हें अपने फ्लैट में रुकने को कहा, लेकिन दीदी ने हँसते हुए कहा, “रोहन, मैं होटल में रुकूँगी। तू भी मेरे साथ आ जा, हम दोनों रात भर गप्पे मारेंगे।” उनकी बात में एक शरारत थी, और मेरे मन में ख्याल आया कि शायद ये रात सिर्फ़ गप्पों तक सीमित नहीं रहेगी। मैंने तुरंत हामी भर दी, और हम दोनों पुणे के एक लग्जरी होटल में चेक-इन कर गए।
होटल का कमरा शानदार था—मखमली चादरों वाला बड़ा बेड, मंद रोशनी और बाहर की बारिश की फुहारें, जो माहौल को और कामुक बना रही थीं। अनु दीदी ने एक टाइट ब्लैक ड्रेस पहनी थी, जो उनके बूब्स और टाइट चूत को उभार रही थी। मैंने उन्हें देखा और कहा, “दीदी, तुम इस ड्रेस में इतनी हॉट लग रही हो कि मेरा लंड तड़प रहा है।” दीदी ने हँसते हुए कहा, “रोहन, तेरा लंड इतना बेकरार है, तो मेरी चूत को क्यों तड़पा रहा है?” उनकी बात सुनकर मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स में तन गया।
मैंने दीदी को अपनी बाहों में खींच लिया और उनके रसीले होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरे मस्कुलर सीने पर अपने नाखून फिराए। “रोहन, तेरा जिस्म तो पत्थर जैसा है,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उनकी ड्रेस का जिप खोला, और वो फर्श पर सरक गई। उनकी काली लेस ब्रा और पैंटी में उनका जिस्म चमक रहा था। मैंने उनकी ब्रा उतार दी, और उनके रसीले बूब्स मेरे सामने थे, गोल और टाइट।
मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए। दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज उठीं। “हाँ, रोहन… और जोर से… मेरे बूब्स को दबा,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मैंने उनकी पैंटी उतार दी, और उनकी टाइट चूत मेरे सामने थी, गीली और गुलाबी। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई, और दीदी की चीखें होटल के कमरे में गूँज उठीं। “रोहन, मेरी चूत को चाट… और गहरा,” उन्होंने चिल्लाया, और अपनी टाँगें मेरे कंधों पर रख दीं। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की गहराइयों में डाली, और उनका रस मेरे मुँह में बहने लगा।
दीदी ने मेरे शॉर्ट्स खोल दिए, और मेरा 8 इंच का मोटा लंड उनके सामने तनकर खड़ा था। “ये लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा, रोहन,” उन्होंने शरारत से कहा, और मेरे लंड को अपने मुँह में लिया। उनकी जीभ मेरे लंड पर लपलपाती रही, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “दीदी, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उनके बालों को कसकर पकड़ लिया। उन्होंने मेरे लंड को गहराई तक चूसा, और मैंने महसूस किया कि मेरा रस उनके मुँह में जाने वाला है।
मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगें फैलाकर अपने मोटे लंड को उनकी टाइट चूत में डाला। दीदी चीख पड़ीं, “रोहन, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, रोहन… मेरी चूत को फाड़ दे,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ उनके बूब्स उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए, और दीदी की चीखें और तेज हो गईं।
मैंने उन्हें पलट दिया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। मेरा मोटा लंड उनकी टाइट चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। “हाँ, रोहन… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” दीदी चिल्ला रही थीं। मैंने उनके नितंबों को थपथपाया, और उनकी चीखें और तेज हो गईं। मैंने उनके बाल पकड़े और उन्हें और जोर से चोदा, जैसे मेरी सारी वासना उनकी चूत में उतर रही हो।
पूरी रात, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। मैंने दीदी को बेड के हर कोने में चोदा—कभी उनकी चूत को, कभी उनके बूब्स को चूसते हुए, और कभी उनके नितंबों को सहलाते हुए। दीदी ने मेरे मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उनकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया। “रोहन, तेरा लंड मेरी चूत का राजा है,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और मुझे और जोर से चोदने के लिए उकसाया।
रात के चार बजे, जब बारिश और तेज हो गई, दीदी ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और उसे फिर से चूसने लगीं। मैंने उन्हें अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, दीदी ऊपर थीं, और उनकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। “तेरी टाइट चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, दीदी,” मैंने कहा, और उन्होंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी।
जब सुबह की पहली किरण होटल की खिड़की से छनकर आई, हम दोनों नंगे, पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। दीदी ने मेरे सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “रोहन, तूने इस होटल की रात को मेरी चूत के लिए यादगार बना दिया।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “दीदी, तेरी टाइट चूत ने मेरे लंड को अपना दीवाना बना लिया।”
दीदी ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी ड्रेस पहनी, और एक मादक मुस्कान के साथ बोलीं, “रोहन, अगली बार जब पुणे आऊँगी, होटल में फिर रुकेंगे। मेरी चूत तेरा इंतज़ार करेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “तो मेरा मोटा लंड हर बार हाजिर रहेगा, दीदी।”
जैसे ही दीदी कमरे से बाहर निकलीं, उन्होंने पलटकर देखा और एक शरारती पलक झपकी। “ये रात हमारी थी, रोहन। लेकिन ये खेल कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानता था, अनु दीदी की टाइट चूत की आग मेरे मोटे लंड में हमेशा सुलगती रहेगी, और हर होटल की रात अब हमारी वासना का नया अड्डा बनेगी।