मेरा नाम अर्जुन है, 28 साल का हूँ, दिल्ली में रहता हूँ और एक बड़ी कंपनी में काम करता हूँ। पिछले साल कंपनी ने मुझे मुंबई में एक बिजनेस मीटिंग के लिए भेजा। मैं एक फाइव-स्टार होटल, ग्रैंड हयात, में रुका। मीटिंग के बाद रात को मैं होटल के बार में गया। वहाँ माहौल शानदार था, डिम लाइट्स, म्यूजिक, और लोग ड्रिंक्स एंजॉय कर रहे थे। मैंने व्हिस्की ली और बार काउंटर पर बैठ गया। तभी मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी।
वो 25-26 साल की होगी, गोरी, लंबे बाल, रेड टाइट ड्रेस में, जिसने उसके बड़े-बड़े चुचे और मोटी गांड को उभारा हुआ था। वो अकेली थी, वाइन पी रही थी। उसने मुझे देखा, मैंने स्माइल दी, उसने भी जवाब में मुस्कुराया। मैंने हिम्मत की और उसके पास गया। “हाय, अकेले? मैं बैठ सकता हूँ?” वो बोली, “हाँ, क्यों नहीं? मैं माया हूँ।” उसकी आवाज में गजब की कशिश थी।
हम बात करने लगे। माया दिल्ली से थी, मुंबई में फैशन इवेंट के लिए आई थी। बातों-बातों में उसने बताया कि वो सिंगल है और “लाइफ को एंजॉय” करना पसंद करती है। दो-तीन ड्रिंक्स के बाद माहौल गर्म होने लगा। वो मेरे करीब आई, उसकी जांघ मेरी जांघ से टच हुई। “अर्जुन, तुम क्यूट हो,” उसने कहा और मेरे हाथ पर हाथ रख दिया। मेरे बदन में करंट दौड़ा। मैंने कहा, “माया, तुम तो आग हो।” वो हँसी, “आग को देखा ही कहाँ है अभी।”
वो बोली, “मेरा रूम ऊपर है, चलो ना, थोड़ा और चैट करते हैं।” मैं समझ गया कि आज रात खास होने वाली है। हम लिफ्ट में गए, वो मेरे इतने करीब थी कि उसकी साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। रूम में घुसते ही उसने दरवाजा बंद किया और मुझे दीवार से सटा लिया। “अर्जुन, मुझे लंड चाहिए। चोदो मुझे।” मैं चौंक गया, लेकिन मेरी चूत की प्यासी आँखें देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने उसे बाहों में लिया और होंठों पर किस किया। उसकी जीभ मेरे मुँह में, गर्म और गीली। मैंने उसकी ड्रेस उतारी। काली ब्रा में उसके चुचे और मस्त थे। मैंने ब्रा खींचकर फाड़ दी। “क्या मस्त चुचे हैं माया, उफ्फ!” मैंने एक चूची मुँह में ली, चूसने लगा। जीभ से निप्पल घुमाया, दांत से हल्का काटा। वो सिसकारी, “आह… चूसो… जोर से काटो मेरे निप्पल… दबाओ मेरे चुचे, अर्जुन…” मैंने दोनों चुचे दबाए, मसलते हुए चूसे। उसके निप्पल हार्ड हो गए, पिंक से लाल। वो मेरे सिर को दबा रही थी, “उफ्फ… तू चूस रहा है जैसे भूखा हो… मेरे चुचे तेरे हैं…”
मेरी उंगली उसकी पैंटी में गई। चूत गीली थी, रस टपक रहा था। “कितनी गीली है तेरी चूत, माया।” मैंने पैंटी उतारी, उसकी गोरी चूत चमक रही थी, क्लिट उभरी हुई। मैं घुटनों पर बैठा, उसकी चूत चाटने लगा। जीभ से लंबी चाट दी, ऊपर से नीचे। “आह… अर्जुन… जीभ अंदर डालो… चूसो मेरी चूत… क्लिट पर जीभ घुमाओ…” मैंने जीभ चूत के अंदर घुसाई, चोदने जैसे घुमाई। क्लिट को मुंह में लेकर चूसा, उंगली से चूत के होल को सहलाया। वो पैर फैलाती गई, “ओह गॉड… तू चाट रहा है जैसे प्रो… मैं पागल हो रही हूँ… जोर से चाट… रस निकाल…” मैंने दो उंगलियां अंदर डालीं, जीभ से क्लिट चूसते हुए उंगलियों से चोदा। वो कमर हिलाने लगी, “आह… फिंगर फक… हाँ… मैं झड़ रही हूँ…” और उसका रस फव्वारे जैसे निकला, मैंने सब चाट लिया, स्वाद नमकीन और मीठा।
“अब तू मेरा लंड चूस,” मैंने कहा। उसने मेरा पैंट उतारा। मेरा 7 इंच का लंड देखकर बोली, “वाह, कितना मोटा लंड! नसें फूली हुईं, सुपारा लाल।” उसने मुँह में लिया, चूसने लगी। जीभ से सुपारा चाटा, लंड की लंबाई पर जीभ फेरी। मैंने उसके बाल पकड़े, “चूस… गले तक ले माया… रंडी जैसे चूस…” वो गले तक ले रही थी, लंड पर थूक गिराकर चूसती। मैं मुँह चोद रहा था, “उफ्फ… तेरी जीभ कमाल है… चूसती जा… लंड हार्ड कर…” वो बॉल्स चाटी, लंड को हाथ से हिलाते हुए चूसा। मैं पागल हो रहा था, लंड और मोटा हो गया।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटाया। पैर फैलाए, चूत खुली थी, गीली और तैयार। मैंने लंड रगड़ा चूत पर, सुपारा क्लिट पर फेरा। “तैयार है?” वो बोली, “चोदो… फाड़ दो मेरी चूत।” एक झटके में आधा लंड अंदर। “आआआ… कितना मोटा है… दर्द हो रहा…” लेकिन वो कमर उछाली, “पूरा अंदर डालो…” मैंने दूसरा झटका मारा, पूरा लंड चूत में। टाइट थी चूत, लंड को जकड़ लिया। मैंने धक्के शुरू किए, धीरे-धीरे तेज। “ले माया, ले मेरा लंड… तेरी चूत कितनी टाइट है… गर्म और गीली…” थप-थप की आवाज, उसकी चूत से रस बह रहा था, लंड पर चिपक रहा। उसके चुचे उछल रहे थे, मैंने उन्हें दबाया, निप्पल पिंच किए। वो चिल्ला रही थी, “जोर से… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो… लंड पूरा अंदर… आह… हाँ… तेज धक्के…” मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड बाहर निकालकर फिर घुसाया, हर धक्के में सुपारा चूत की दीवारों से रगड़ता। वो नाखून मेरी पीठ पर गड़ाती, “उफ्फ… तू चोद रहा है जैसे जानवर… मजा आ रहा…”
पोजिशन बदली। डॉगी स्टाइल। वो घुटनों पर, गांड ऊपर। मैंने पीछे से लंड घुसाया चूत में। “अब और गहरा जाएगा।” मैंने कमर पकड़ी, धक्के मारे। “आह… हाँ… पीछे से चोदो… मेरी चूत तेरी है…” मैंने बाल पकड़े, सिर पीछे खींचा, धक्के तेज। फिर गांड पर थप्पड़ मारे, “क्या मस्त गांड है… अब गांड की बारी।” मैंने उंगली थूक से गीली की, गांड के होल में डाली। “टाइट है माया तेरी गांड।” वो बोली, “चोदो… गांड मारो…” मैंने लंड चूत से निकाला, गांड पर रगड़ा। धीरे से सुपारा अंदर डाला। “आह… दर्द… लेकिन मजा… जोर से…” मैंने धक्का मारा, आधा लंड गांड में। वो चिल्लाई, “मर गई… लेकिन चोदो… पूरा अंदर…” मैंने पूरा घुसाया, गांड चोदने लगा। टाइट गांड लंड को निचोड़ रही थी। “उफ्फ… तेरी गांड गर्म है… रंडी बन गई तू…” मैंने धक्के मारे, हाथ से चूत रगड़ता। वो कमर हिलाती, “हाँ… गांड फाड़ो… चूत में उंगली… मैं फिर झड़ रही…”
फिर पोजिशन चेंज – काउगर्ल। वो मेरे ऊपर बैठी, लंड चूत में लिया। “अब मैं चोदूंगी तुझे।” वो उछलने लगी, लंड पर ऊपर-नीचे। उसके चुचे मेरे चेहरे पर, मैंने चूसे। “तेरा लंड मेरी चूत का बादशाह है… उफ्फ… गहरा जा रहा…” मैं नीचे से धक्के मारता। वो स्पीड बढ़ाती, चूत लंड को निचोड़ती। फिर रिवर्स काउगर्ल – वो उल्टी होकर उछली, गांड मेरी तरफ, मैं गांड दबाता। “क्या गांड है… उछल… जोर से…”
फिर 69 पोजिशन। मैं नीचे, वो ऊपर। मैंने उसकी चूत चाटी, जीभ अंदर, क्लिट चूसी। वो मेरा लंड चूसती, बॉल्स चाटती। “उफ्फ… 69 में मजा… तेरी चूत का रस पी रहा… तू मेरा लंड चूस…” हम दोनों पागल, रस बह रहा, लंड चूसते-चाटते।
आखिर में मिशनरी। मैं ऊपर, धक्के मारे। “झड़ने वाला हूँ माया।” वो बोली, “चूत में डालो… माल अंदर चाहिए… साथ झड़ते हैं…” मैंने स्पीड बढ़ाई, वो पैर मेरी कमर पर लपेटे। मैं झड़ गया, गर्म वीर्य चूत में भरा। वो भी झड़ी, चूत कांपती, रस मिक्स हो गया। हम पसीने से भीगे, सांसें तेज।
फिर हमने शावर लिया, वहाँ फिर चुदाई। मैंने उसे दीवार से सटाकर चोदा, पानी बहता हुआ। “अर्जुन… फिर चोदो… मेरी चूत अभी भरी नहीं…” मैंने लंड घुसाया, धक्के मारे। वो साबुन से लंड सहलाती, चूसती। रात भर चुदाई – तीन-चार राउंड। सुबह वो चली गई। नंबर नहीं लिया, बस एक रात का धमाका था। फाइव-स्टार होटल में अजनबी लड़की की चुदाई – लंड, चूत, गांड, सब कुछ। वो रात मेरी जिंदगी की सबसे हॉट रात थी।