आप सभी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के सभी पाठको को मेरा प्यार भरा नमस्कार,ये मेरी पहली कहानी है इस वेबसाइट पर। मेरा नाम राहुल है, 26 साल का हूँ, और मैं गुरुग्राम में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब करता हूँ। ये कहानी मेरी और एक देसी लड़की, काव्या, की है, जो मेरे ऑफिस में इंटर्न थी। काव्या 22 साल की थी, गाँव से थी, लेकिन शहर में पढ़ाई और जॉब के लिए आई थी। उसका रंग साँवला, आँखें बड़ी-बड़ी, और फिगर ऐसा कि बस देखते ही दिल धक-धक करने लगे। उसके स्तन भरे हुए, कमर पतली, और हिप्स गोल-मटोल। हमारी बातचीत ऑफिस में छोटी-मोटी हाय-हैलो से शुरू हुई, लेकिन धीरे-धीरे व्हाट्सएप पर देर रात तक चैट होने लगी। एक रात, जब उसका रूममेट बाहर था, उसने मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया। जो हुआ, वो मेरी जिंदगी की सबसे यादगार रात थी.
उस रात मैं काव्या के फ्लैट पर पहुँचा। उसने दरवाजा खोला, तो मैं उसे देखकर रुक गया। वो नीली कुरती और लेगिंग्स में थी, बाल खुले, और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान। “आओ ना, राहुल,” उसने कहा, और मुझे अंदर ले गई। उसका फ्लैट छोटा था, लेकिन सजा हुआ। हम सोफे पर बैठे, और उसने कॉफी बनाई। बातें शुरू हुईं – ऑफिस, जिंदगी, और फिर थोड़ी पर्सनल। उसने बताया कि गाँव में उसकी जिंदगी बंधी-बंधी थी, यहाँ वो खुलकर जीना चाहती थी। “तुम्हें मजा आता है ना, राहुल? जिंदगी में थोड़ा रिस्क लेना?” उसकी आँखों में शरारत थी। मैंने हँसकर कहा, “हाँ, लेकिन तू बता, कितना रिस्क लेती है?” वो करीब आई, “आज पता चल जाएगा।”
कॉफी खत्म हुई, और माहौल बदलने लगा। वो मेरे पास सरक आई, उसका हाथ मेरे कंधे पर। “राहुल, तुम मुझे अच्छे लगते हो,” उसने धीरे से कहा। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, “काव्या, तू बहुत खूबसूरत है।” और फिर मैंने उसे किस कर लिया। उसके होंठ नरम, गर्म, और थोड़े कॉफी के स्वाद वाले। वो भी मुझे जोश से चूमने लगी, उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। हम बेकाबू हो रहे थे।
मैंने उसकी कुरती उतारी। उसने अंदर सफेद ब्रा पहनी थी, जिसमें उसके स्तन उभरे हुए थे। मैंने ब्रा का हुक खोला, और उसके स्तन आजाद हो गए। “काव्या, तेरे स्तन कितने सुंदर हैं,” मैंने कहा। वो शरमाई, लेकिन बोली, “तो इन्हें प्यार करो ना।” मैंने एक स्तन मुँह में लिया, निप्पल को चूसा, हल्के से काटा। वो सिहर उठी, “आह… राहुल… और जोर से… मेरे स्तन चूसो…” मैंने दोनों स्तनों को बारी-बारी चूसा, दबाया, और जीभ से निप्पल्स पर गोल-गोल घुमाया। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी, “हाय… कितना अच्छा लग रहा… और करो…”
मैंने उसकी लेगिंग्स खींची। उसने काली पैंटी पहनी थी, जो थोड़ी गीली थी। “काव्या, तू तो पहले से तैयार है,” मैंने मजाक किया। वो हँसी, “तुझ जैसा लड़का सामने हो, तो कौन रोक पाएगा?” मैंने पैंटी उतारी। उसकी योनि – साँवली, हल्के बाल, और रस से चमकती हुई। मैंने उंगली से छुआ, वो सिहर उठी। मैं नीचे झुका और उसकी योनि चाटने लगा। मेरी जीभ उसके क्लिट पर घूमी, फिर अंदर तक गई। “राहुल… हाय… चाटो… मेरी चूत को चाटो…” वो कमर हिलाने लगी। मैंने जीभ से उसकी योनि को चोदा, क्लिट को चूसा, और दो उंगलियाँ अंदर डालीं। वो चिल्लाई, “हाय… मैं पिघल रही हूँ… और जोर से…” उसका रस निकला, मैंने उसे चाट लिया – स्वाद तीखा, देसी, गर्म।
“अब मेरी बारी,” उसने कहा और मेरी शर्ट उतारी। उसने मेरा पैंट खोला, और मेरा लंड बाहर आया – 7 इंच, मोटा, सुपारा गुलाबी। “राहुल, ये तो कमाल है!” उसने लंड को हाथ में लिया, सहलाया, और मुँह में डाल लिया। वो जीभ से सुपारा चाट रही थी, लंड को गले तक ले रही थी। “चूस… काव्या… और जोर से…” मैंने उसके सिर को पकड़ा। वो थूक से लंड को गीला करके चूस रही थी, बॉल्स को चाटा। “तू तो जादू कर रही है…” मैं सिसकारियाँ ले रहा था। वो बोली, “देसी लड़की का जादू देख।”
मैंने उसे बेड पर लिटाया। उसके पैर फैलाए, योनि खुली थी, गीली और गर्म। मैंने लंड को उसकी योनि पर रगड़ा। “काव्या, तैयार है?” वो बोली, “हाँ… डाल दे… मेरी चूत में तेरा लंड…” मैंने धीरे से लंड अंदर डाला। “आह… कितना बड़ा है…” वो सिहरी। मैंने धक्के शुरू किए, धीरे-धीरे तेज। “ले काव्या… ले मेरा लंड… तेरी चूत कितनी गर्म है…” थप-थप की आवाज कमरे में गूँज रही थी। उसके स्तन उछल रहे थे, मैंने उन्हें दबाया, निप्पल्स को मसला। वो चिल्ला रही थी, “राहुल… और जोर से… मेरी चूत को चोद… तेरा लंड गहराई तक जा रहा…”
हमने पोजिशन बदली। वो घुटनों पर, पीछे से। उसकी गांड गोल, साँवली, मस्त। मैंने लंड उसकी योनि में डाला, कमर पकड़कर धक्के मारे। “हाय… पीछे से कितना मजा… चोदो मुझे…” मैंने उसके बाल पकड़े, हल्का खींचा। फिर गांड पर हल्का थप्पड़ मारा। “काव्या, तेरी गांड भी मारूँ?” वो हँसी, “पहले चूत तो फाड़ दे…” मैंने तेज धक्के मारे, लंड पूरा अंदर-बाहर। उसकी योनि रस से चिपचिपी थी, लंड को जकड़ रही थी। फिर मैंने उंगली उसकी गांड में डाली, थूक से गीली करके। “आह… राहुल… गांड में भी…” मैंने लंड योनि से निकाला, गांड पर रगड़ा, और धीरे से सुपारा अंदर डाला। “हाय… दर्द… लेकिन मत रुक…” मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड घुसाया, गांड चोदने लगा। “उफ्फ… तेरी गांड कितनी टाइट…” वो सिसकारी, “चोद… मेरी गांड चोद… और जोर से…”
फिर वो मेरे ऊपर आई। लंड को योनि में लिया और उछलने लगी। “अब मैं तुझे चोदूँगी, राहुल।” उसके स्तन मेरे चेहरे पर, मैंने चूसे। “तेरा लंड मेरी चूत का मालिक है…” मैं नीचे से धक्के मारता। फिर वो उल्टी होकर उछली, गांड मेरी तरफ। मैंने गांड दबाई, थप्पड़ मारे। “काव्या… तू जंगली है…” वो हँसी, “देसी लड़की हूँ, जंगली ही होऊँगी।”
फिर हम 69 में आए। मैंने उसकी योनि चाटी, जीभ अंदर, क्लिट चूसी। वो मेरा लंड चूस रही थी, बॉल्स चाट रही थी। “हाय… तेरी चूत का स्वाद… तू मेरा लंड चूस…” हम दोनों बेकाबू। फिर आखिरी राउंड – मैं ऊपर, धक्के मारे। “काव्या, मैं झड़ने वाला हूँ।” वो बोली, “अंदर डाल… मेरी चूत में…” मैं झड़ गया, गर्म वीर्य उसकी योनि में। वो भी झड़ी, पैर काँप रहे थे।
रात भर हमने चार राउंड किए। बाथरूम में, किचन में, हर कोने में। काव्या की चुदाई – योनि, गांड, स्तन – सब कुछ देसी, और सच्चा। अब हम जब भी मौका मिलता है, मिलते हैं। वो रात मेरी जिंदगी की सबसे गर्म रात थी।