भाई बहन सेक्स स्टोरी, (Brother Sister Sex Story) मैं, आरव, 21 साल का एक जवान और फिट लड़का, अपने माता-पिता और अपनी कजिन दीदी, प्रिया, के साथ मुंबई के एक अपार्टमेंट में रहता था। प्रिया दीदी, 26 साल की, एक ऐसी औरत थीं जिनकी खूबसूरती और कामुकता किसी को भी दीवाना बना सकती थी। उनका गोरा रंग, लंबे घने बाल, भरे हुए चूचे, और कसी हुई कमर मुझे हर बार बेचैन कर देती थी। दीदी की कामुक नजरें और उनकी टाइट ड्रेस में झलकती चूचियां मेरे मन में अजीब सी हलचल पैदा करती थीं। हम दोनों का रिश्ता भाई-बहन का था, लेकिन उनकी नजरों में कुछ ऐसा था जो मुझे हर बार अपनी ओर खींचता था। ये कहानी उस रात की है, जब दीदी की कामुक नजरों ने मुझे फिसला दिया और हम एक अनकहे जुनून में डूब गए। आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
गर्मी भरी रात में कैसे शुरू हुई चुदाई की खेल
उस रात गर्मी बहुत थी, और हमारे घर का एसी खराब हो गया था। मम्मी-पापा अपने दोस्तों के साथ एक शादी में गए थे और अगली सुबह तक लौटने वाले थे। मैं अपने कमरे में सिर्फ एक बनियान और शॉर्ट्स में लेटा हुआ था, जब दीदी मेरे कमरे में आईं। उन्होंने एक पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी थी, जो उनकी चूचियों और जांघों को बमुश्किल ढक रही थी। “आरव, गर्मी में नींद नहीं आ रही, थोड़ा बात करें?” दीदी ने अपनी मधुर आवाज में कहा। उनकी नजरें मेरे शरीर पर थीं, और मैं उनकी कामुक आँखों में खो सा गया।
मैंने हंसते हुए कहा, “दीदी, आप इतनी हॉट लग रही हैं, गर्मी तो और बढ़ रही है।” दीदी ने शरारती अंदाज में मुस्कुराया और मेरे बगल में बेड पर बैठ गईं। “बदमाश, तू मुझे रोज़ ऐसी नजरों से देखता है, मुझे सब पता है,” दीदी ने मेरी जांघ पर हल्के से थपकी देते हुए कहा। उनकी छुअन से मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, आपकी ये कामुक नजरें मुझे पागल कर देती हैं।” दीदी की आँखों में एक चमक थी, और उन्होंने मेरे करीब आकर फुसफुसाया, “तो आज रात मेरे साथ पागलपन कर ले, आरव।”
प्रिया दीदी की चुदाई की शुरुआत
दीदी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुंबन इतना गहरा और उत्तेजक था कि मैं सब कुछ भूल गया। उनकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी नाइटी के ऊपर से उनकी चूचियों पर चले गए। “दीदी, आपकी चूचियां तो जन्नत हैं,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उनकी नाइटी का गला नीचे सरकाया। उनकी गोरी, टाइट चूचियां मेरे सामने थीं, और उनके गुलाबी निप्पल्स मुझे बुला रहे थे। मैंने उनके एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। दीदी सिसक उठीं, “आह… आरव, मेरी चूचियां चूस… और जोर से!”
उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने एक चूच को चूसा और दूसरे को अपने हाथों से दबाया। दीदी की सांसें तेज़ हो रही थीं, और उनका बदन गर्मी से तप रहा था। “आरव, मेरी चूत को छू… वो तड़प रही है,” दीदी ने कातरते हुए कहा। मैंने उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया, और उनकी काली पैंटी में उनकी चिकनी चूत साफ झलक रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाया, और वो पहले से ही गीली थी। “दीदी, आपकी चूत तो रस से भरी है,” मैंने हंसते हुए कहा और उनकी पैंटी उतार दी।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर रखी और चाटना शुरू किया। दीदी चीख पड़ीं, “आह… आरव, मेरी चूत को चाट… और गहरा!” उनकी चूत का रस मेरे मुँह में था, और मैं उसे चूस-चूसकर पागल कर रहा था। दीदी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुँह को अपनी चूत में दबा लिया। “आरव, तू मेरी चूत का दीवाना है,” वो सिसकते हुए बोलीं। मैंने उनकी चूत को इतना चाटा कि वो झड़ने के कगार पर पहुंच गईं।
दीदी को ऐसे चोदा की तूफ़ान आ गया
दीदी ने मेरी बनियान और शॉर्ट्स उतार दी। मेरा तना हुआ लंड देखकर वो बोलीं, “आरव, तेरा लंड तो मोटा और तगड़ा है!” उन्होंने मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और इसके टोपे को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे लंड की नसों पर नाच रही थी। “दीदी, आपका मुँह तो स्वर्ग है,” मैं सिसकते हुए बोला। दीदी ने मेरा लंड गहराई तक अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैं उनके चूचों को दबा रहा था, और उनकी सिसकारियां मेरे लंड को और तनाव दे रही थीं।
“आरव, अब डाल दे… मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है,” दीदी ने चिल्लाते हुए कहा। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में गहराई तक उतर गया। “आह… आरव, तेरा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है!” दीदी चीखीं। मैंने उनके चूतड़ पकड़ लिए और जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं।
मैंने फिर से उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। एक चूच को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था, और दूसरे को अपने हाथों से दबा रहा था। “आरव, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… मुझे जन्नत दिखा दे!” दीदी की सिसकारियां और तेज हो गईं। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उनकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी। कमरा हमारी सिसकारियों और बेड की चरमराहट से भर गया था।
दीदी की गांड की मस्त चुदाई
मैंने दीदी को पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उनकी गोल-मटोल चूतड़ मेरे सामने थे, और मैंने उस पर एक हल्की सी चपत मारी। “दीदी, आपकी गांड भी चोदने लायक है,” मैंने कहा। दीदी ने शरारती अंदाज में जवाब दिया, “तो चोद ना, आरव… मेरी गांड तेरे लिए ही है!” मैंने अपनी उंगलियां उनकी चूत के रस से गीली कीं और उनकी टाइट गांड में डालीं। दीदी सिसक उठीं, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला।
मैंने अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… आरव, तेरा लंड मेरी गांड चीर रहा है!” दीदी चीखीं, लेकिन उनकी आवाज में सुख की लहर थी। मैंने धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाई, और मेरा लंड उनकी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और उनके चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे। मैंने फिर से उनकी चूचियां पकड़ लीं और उन्हें दबाते हुए उनकी गांड चोदी। “आरव, मेरी चूचियां और गांड… दोनों को रगड़ दे!” दीदी चिल्लाईं।
मैंने दीदी को फिर से पलटाया और उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं। मेरा लंड उनकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे सामने उछल रही थीं, और मैंने फिर से उनके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। “आरव, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… मुझे जन्नत दिखा दे!” दीदी की सिसकारियां और तेज हो गईं। मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी।
चरमसुख पाया दीदी को चोदकर
“दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैंने कराहते हुए कहा। दीदी ने अपनी चूत को और सिकोड़कर कहा, “आरव, मेरे अंदर झड़… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!” मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उनकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उनकी चूत में भर गया। दीदी भी उसी पल झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा।
हम दोनों हांफते हुए बेड पर गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। दीदी ने मेरे गाल पर एक चुम्मी दी और बोलीं, “आरव, तेरी वजह से मेरी चूत को जन्नत मिली।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “दीदी, आपकी कामुक नजरों ने मुझे फिसला दिया।” हम दोनों हंस पड़े, और उस रात हमने फिर से दो बार चुदाई की।
नया रिश्ता बन गया मेरी बहन के साथ
उस रात के बाद, मेरा और दीदी का रिश्ता बदल गया। जब भी मम्मी-पापा घर से बाहर होते, दीदी मेरे बेड पर होतीं। उनकी चूचियां और चूत अब मेरे लिए एक नशा बन चुकी थीं। एक बार दीदी ने मुझे बाथरूम में खींच लिया और शॉवर के नीचे मेरे लंड की सवारी की। उनकी चीखें और मेरी सिसकारियां बाथरूम में गूंज रही थीं। एक और बार हमने छत पर चुदाई की, जहाँ मैंने उनकी चूचियों को चूसते हुए उनकी चूत और गांड को रगड़ा।
दीदी की कामुक नजरें मेरे लिए एक जाल बन चुकी थीं। उनकी चूत का रस मेरे लंड का पसंदीदा स्वाद था। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। दीदी की चूचियां, उनकी चूत, और उनकी गांड मेरे लिए एक ऐसी दुनिया थी, जहाँ मैं बार-बार खो जाना चाहता था।
चुदाई के बाद आखिरी मुलाकात
कुछ महीनों बाद, दीदी को उनकी जॉब के लिए बैंगलोर जाना था। जाने से पहले की रात, दीदी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। “आरव, तूने मेरी चूत को इतना प्यार दिया, मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उनकी साड़ी उतारी और उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। उस रात हमने घंटों तक चुदाई की। दीदी की चूत और गांड मेरे लंड से रगड़ खा रही थीं, और उनकी सिसकारियां मेरे लिए एक संगीत थीं।
अगली सुबह, जब दीदी बैंगलोर के लिए निकल रही थीं, उन्होंने मुझे गले लगाया और फुसफुसाया, “आरव, जब भी मुंबई आऊंगी, मेरी चूत फिर से तेरे लंड की गुलाम बनेगी।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “दीदी, आपकी कामुक नजरें मेरे दिल में हमेशा रहेंगी।” उनकी मुस्कान और मेरी नजरों में वही जुनून फिर से जल उठा। मैं अपनी दूसरी कहानी जल्द ही नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर लिखने वाला हूँ।