दूध वाले अंकल ने मेरी माँ को चोदा

दिल्ली की एक तंग गली में, जहाँ सुबह की शांति और वासना की गर्मी एक साथ साँस लेती थी, वहाँ हमारा छोटा सा घर था। मेरी माँ, रेखा, 40 साल की थीं, मगर उनका जिस्म किसी 30 साल की औरत को मात देता था। उनकी टाइट साड़ी में उभरे रसीले बूब्स, पतली कमर और गोल नितंब हर मर्द के लंड में हलचल मचा देते थे। उनकी कजरारी आँखें और गुलाबी होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों। मेरे पिताजी एक ट्रक ड्राइवर थे, जो हफ्तों घर से बाहर रहते थे, और माँ की रातें अकेली और बेचैन गुजरती थीं।

हर सुबह हमारे घर दूध देने आता था श्याम अंकल, 45 साल का तगड़ा मर्द। श्याम अंकल का साँवला, मस्कुलर जिस्म और वो गहरी आवाज माँ को हमेशा बेचैन कर देती थी। वह दूध की गगरी लिए आता, और उसकी नजरें माँ के जिस्म पर अटक जाती थीं। माँ भी जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू सरकने देतीं, ताकि उनके बूब्स का क्लीवेज श्याम अंकल को दिखे। मैं, 20 साल का राहुल, कॉलेज जाता था, मगर सुबह-सुबह माँ और श्याम अंकल की वो नजरबाजी मुझे सब कुछ समझा देती थी।

एक सुबह की गर्मी

वो एक जुलाई की गर्म सुबह थी। पिताजी गाँव गए थे, और मैं कॉलेज के लिए निकलने वाला था। माँ रसोई में थीं, एक पतली सी साड़ी में, जो उनके पसीने से भीग चुकी थी। उनका ब्लाउज उनके बूब्स पर चिपक गया था, और उनकी टाइट चूत उनकी साड़ी में साफ़ झलक रही थी। श्याम अंकल दूध की गगरी लेकर आए, और माँ ने दरवाजा खोला। “रेखा जी, आज दूध ताजा है, मगर तुम्हारा ये जिस्म उससे भी ज्यादा ताजा लग रहा है,” श्याम अंकल ने शरारत भरे लहजे में कहा, उनकी आँखें माँ के बूब्स पर टिकी थीं।

माँ ने हँसते हुए कहा, “श्याम जी, मेरी ये गर्मी बुझाने के लिए कोई ताजा दवा लाए हो?” उनकी बात सुनकर श्याम अंकल का लंड उनकी पैंट में तन गया। मैं रसोई के पास खड़ा ये सब सुन रहा था, और मेरे मन में एक अजीब सी उत्तेजना जाग रही थी। माँ ने मुझे देखा और बोलीं, “राहुल, तू कॉलेज जा, आज थोड़ा लेट हो जाएगा।” मैं समझ गया कि कुछ होने वाला है, मगर मैंने कुछ नहीं कहा और घर से निकल गया। लेकिन उत्सुकता ने मुझे वापस खींच लिया, और मैं चुपके से घर के पीछे की खिड़की से झाँकने लगा।

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रसोई में वासना का तूफान

माँ ने श्याम अंकल को रसोई में बुलाया। “श्याम जी, मेरी चूत की गर्मी को ठंडा कर दो,” माँ ने फुसफुसाते हुए कहा, और अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया। उनके रसीले बूब्स ब्लाउज में कैद थे, और श्याम अंकल की साँसें तेज हो गईं। उन्होंने माँ को रसोई के स्लैब पर बिठाया और उनके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो किस इतना गहरा और गर्म था कि माँ की चूत गीली हो गई।

श्याम अंकल ने माँ की साड़ी खोल दी और उनका ब्लाउज उतार फेंका। माँ की काली लेस ब्रा में उनके बूब्स जैसे बाहर निकलने को बेताब थे। “रेखा, तेरे ये बूब्स मुझे पागल कर रहे हैं,” श्याम अंकल ने कहा, और माँ की ब्रा खोलकर उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया। माँ की सिसकारियाँ रसोई में गूँज उठीं। “हाँ, श्याम जी… और जोर से चूसो… मेरे बूब्स को दबाओ,” माँ ने चिल्लाते हुए कहा।

माँ ने श्याम अंकल की पैंट का बटन खोला और उनका मोटा लंड बाहर निकाला। “ये लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा,” माँ ने शरारत से कहा, और उनके लंड को अपने मुँह में लिया। उनकी जीभ श्याम अंकल के मोटे लंड पर लपलपाती रही, और श्याम अंकल की सिसकारियाँ तेज हो गईं। “रेखा, तेरा मुँह मेरे लंड को निचोड़ रहा है,” उन्होंने कहा, और माँ के बालों को कसकर पकड़ लिया।

बेडरूम में चुदाई की आग

श्याम अंकल ने माँ को रसोई से उठाया और बेडरूम में ले गए। हवेली का बेडरूम मंद रोशनी और मखमली चादरों से सजा था, जो उनकी वासना को और भड़का रहा था। माँ ने अपनी साड़ी और पैंटी उतार दी, और उनकी टाइट चूत श्याम अंकल के सामने थी, गीली और गुलाबी। “मुझे चोद दो, श्याम जी,” माँ ने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और बेड पर लेट गई।

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श्याम अंकल ने अपने मोटे लंड को माँ की टाइट चूत में डाला और धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। माँ की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, और उन्होंने अपनी टाँगें श्याम अंकल की कमर के चारों ओर लपेट लीं। “और जोर से, श्याम जी… मेरी चूत को फाड़ दो,” माँ ने चीखते हुए कहा। श्याम अंकल ने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ माँ के बूब्स उछल रहे थे। उन्होंने माँ के निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए, और माँ की चीखें और तेज हो गईं।

श्याम अंकल ने माँ को पलट दिया और उसे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उनका मोटा लंड माँ की टाइट चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि दोनों के जिस्म एक-दूसरे में पूरी तरह घुल गए। “हाँ, श्याम जी… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” माँ चिल्ला रही थीं। श्याम अंकल ने माँ के नितंबों को थपथपाया, और उनकी चीखें और तेज हो गईं।

पूरी सुबह का जुनून

पूरी सुबह, दोनों ने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। श्याम अंकल ने माँ को बेड के हर कोने में चोदा—कभी उनकी चूत को, कभी उनके बूब्स को चूसते हुए, और कभी उनके नितंबों को सहलाते हुए। माँ ने श्याम अंकल के मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उनकी जीभ ने श्याम अंकल को पागल कर दिया। “तेरा लंड मेरी चूत का बादशाह है, श्याम जी,” माँ ने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और श्याम अंकल को और जोर से चोदने के लिए उकसाया।

कमरे में सिर्फ़ उनकी सिसकारियाँ, बेड की चरमराहट और चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। माँ के नाखून श्याम अंकल की पीठ पर गहरे निशान छोड़ रहे थे, और श्याम अंकल के दाँत माँ के बूब्स पर हल्के-हल्के काट रहे थे। दोपहर होने को आई, जब दोनों थककर बेड पर लेट गए। माँ ने श्याम अंकल के लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और उसे फिर से चूसने लगीं।

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श्याम अंकल ने माँ को अपनी गोद में बिठाया और उसे फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, माँ ऊपर थीं, और उनकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। “तेरी टाइट चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, रेखा,” श्याम अंकल ने कहा, और माँ ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। दोनों ने एक-दूसरे को तब तक चोदा, जब तक सूरज ढलने को नहीं आया।

दोपहर का वादा

जब दोपहर की धूप कमरे में फैली, माँ और श्याम अंकल नंगे एक-दूसरे की बाहों में लेटे थे। माँ ने श्याम अंकल के सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “श्याम जी, आपने मेरी चूत को रंगीन कर दिया। ये चुदाई मेरे जिस्म में हमेशा रहेगी।” श्याम अंकल ने उनकी आँखों में देखा और कहा, “रेखा, तेरी टाइट चूत मेरे मोटे लंड की गुलाम बन गई है।”

माँ ने एक आखिरी बार श्याम अंकल के होंठों को चूमा, अपनी साड़ी पहनी, और एक मादक मुस्कान के साथ बोलीं, “पिताजी अगले हफ्ते फिर बाहर जाएँगे। मेरी चूत आपका इंतज़ार करेगी।” श्याम अंकल ने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “तो मेरा मोटा लंड हाजिर रहेगा।”

जैसे ही माँ बेडरूम से बाहर निकलीं, उन्होंने पलटकर देखा और कहा, “ये सुबह हमारी थी, श्याम जी। लेकिन ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ।” श्याम अंकल जानता था, माँ की टाइट चूत की आग उसके लंड में हमेशा सुलगती रहेगी।

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