भाई ने भाभी समझकर बहन की चुदाई की

ये मेरी पहली सेक्स कहानी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर, आपने भाई बहन की कई कहानियां पढ़ी होंगी पर आज जो मैं कहानी आपको सुनाने जा रही हूँ वो सबसे अलग है। मेरा नाम सीमा है, 21 साल की हूँ, और मैं अपने भाई अजय के साथ दिल्ली में एक छोटे से फ्लैट में रहती हूँ। हमारे माता-पिता गांव में हैं, इसलिए हम दोनों अकेले शहर की जिंदगी काटते हैं। अजय 26 का है, जॉब करता है, और उसकी शादी को अभी छह महीने ही हुए हैं। उसकी बीवी, यानी मेरी भाभी, रीता, गांव में मायके गई हुई थीं – किसी फैमिली फंक्शन में। घर में सिर्फ मैं और अजय। कल रात जो हुआ, वो एक गलती थी, लेकिन वो गलती इतनी हॉट और जंगली थी कि आज भी मेरी चूत में सिहरन दौड़ जाती है। अजय ने अंधेरे में मुझे भाभी समझ लिया, और जो चुदाई हुई, वो कभी न भूलने वाली।

कल शाम सब नॉर्मल था। अजय ऑफिस से लौटा, थका-हारा। मैंने डिनर बनाया – रोटी, सब्जी, दाल। हम साथ खाए, टीवी देखा। रात के 11 बज गए। भाभी का फोन आया, वो बोलीं कि कल सुबह लौटेंगी। अजय उदास-सा था, बोला, “सीमा, रीता नहीं है तो घर सूना लगता है।” मैंने हँसकर कहा, “भैया, मैं तो हूँ ना। सो जाओ, कल जल्दी उठना है।” हमारा फ्लैट छोटा है – एक बेडरूम, जिसमें डबल बेड है। अजय हमेशा बेड पर सोता, मैं सोफे पर। लेकिन कल रात गर्मी ज्यादा थी, AC खराब हो गया। अजय बोला, “सीमा, आज बेड पर ही सो ले। मैं लाइट बुझा दूँगा, तू एक तरफ सो जाना।” मैंने हामी भरी।

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मैंने नाइट गाउन पहना – पतला सा, नीचे कुछ नहीं। बाल खुले, थकान से आँखें लग गईं। अजय भी आया, शॉर्ट्स में। लाइट बुझ गई, कमरा अंधेरा। मैं बेड के एक किनारे लेटी, वो दूसरी तरफ। लेकिन नींद नहीं आ रही थी। रात के 1 बजे, मैं पलटी मार रही थी। तभी महसूस हुआ कि अजय करीब आ गया। शायद वो नींद में था। उसके हाथ मेरी कमर पर आए। “रीता…” वो बुदबुदाया। मैं चौंक गई, लेकिन सोचा शायद सपना देख रहा है। उसके हाथ ऊपर गए, मेरी चूचियों पर। “भैया…” मैं धीरे से बोली, लेकिन आवाज दबी। वो नहीं रुका। “रीता, आज रात तेरी बारी है। तू कितनी हॉट लग रही है।” वो मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।

मेरा दिल धड़क रहा था। भागना चाहिए था, लेकिन उसके स्पर्श में कुछ था – वो गर्माहट, जो मैं कभी महसूस नहीं कर पाई। भैया का बदन मस्कुलर, साँसें तेज। वो मेरे होंठों पर होंठ रख दिए। किस इतना गहरा, जीभ अंदर। मैं सिहर उठी। “भैया, मैं सीमा हूँ…” लेकिन मेरी आवाज कहीं खो गई। वो बोला, “रीता, चुप… आज चोद दूँगा तुझे। तेरी चूत की याद आ रही थी।” अंधेरा था, वो मुझे भाभी समझ रहा था। मैंने हल्का सा धक्का दिया, लेकिन उसके हाथ मेरी नाइट गाउन ऊपर कर चुके थे। मेरी चूचियाँ नंगी, निप्पल हार्ड। वो एक चूची मुँह में ले लिया। “आह… रीता… तेरे चुचे कितने मस्त हैं।” चूसने लगा, जीभ से निप्पल घुमाया, दांत से काटा।

मैं पिघल रही थी। “भैया… मत…” लेकिन मेरी चूत गीली हो गई। उसके हाथ नीचे गए, मेरी जांघों पर। “रीता, तू तो बिना पैंटी के सो रही है। तेरी चूत गीली हो गई।” उंगली चूत पर रगड़ी। मैं सिसकारी भर आई, “आह…” वो उंगली अंदर डाली। “कितनी टाइट है तेरी चूत आज।” दो उंगलियाँ, घुमाई। मैं कमर हिलाने लगी। दिमाग कह रहा था रुको, लेकिन बदन बेकाबू। वो बोला, “रीता, आज डॉगी में चोदूँगा।” मुझे पलटा, घुटनों पर खड़ा किया। पीछे से उसका लंड महसूस हुआ – मोटा, खड़ा। शॉर्ट्स उतार दिया।

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“भैया… रुको…” लेकिन देर हो चुकी। उसने लंड चूत पर रगड़ा। थूक लगाया, और एक झटके में अंदर। “आआआ… भैया… दर्द…” मैं चीखी। मेरा वर्जिन होना, वो नहीं जानता था। खून निकला, लेकिन वो नहीं रुका। “रीता, आज तू कितनी टाइट लग रही… ले मेरा लंड…” धक्के शुरू। थप-थप की आवाज, कमरा गूँज रहा। मेरी चूत फट रही थी, लेकिन मजा भी आ रहा। “भैया… जोर से… चोदो…” मैं खुद बोल रही थी। वो बाल पकड़कर खींचा, “रीता रंडी, तेरी चूत फाड़ दूँगा।” धक्के तेज, लंड पूरा अंदर-बाहर। मेरी चूचियाँ लटक रही थीं, वो हाथ से दबा रहा।

मैं झड़ने लगी। “भैया… मैं… आह…” रस निकला, चूत कांप रही। वो बोला, “रीता, अब तेरी गांड की बारी।” लंड निकाला, गांड पर रगड़ा। “नहीं भैया… दर्द होगा…” लेकिन वो थूक लगाकर सुपारा अंदर दबाया। “आआआ… मर गई…” टाइट गांड फट रही थी। धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर। “क्या मस्त गांड है तेरी, रीता।” धक्के मारे। दर्द मजा में बदल गया। “भैया… चोदो… गांड फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी। वो हाथ से चूत रगड़ रहा, उंगली अंदर। हम पागल हो चुके थे।

पोजिशन बदली। मैं ऊपर आ गई। काउगर्ल। लंड चूत में लिया, उछलने लगी। “रीता… तू आज जंगली हो गई।” उसके चेहरे पर, मैंने चुचे दबाए। नीचे से धक्के। फिर 69। मैंने उसका लंड चूसा – मोटा, नमकीन स्वाद। वो मेरी चूत चाट रहा था। “रीता… तेरा रस मीठा है।” जीभ अंदर, क्लिट चूसा। मैं लंड गले तक ले रही थी। आखिर में मिशनरी। वो ऊपर, धक्के मारे। “झड़ने वाला हूँ रीता।” मैं बोली, “अंदर… चूत में डालो भैया।” वो झड़ गया, गर्म माल चूत में। मैं भी झड़ी।

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सुबह हुई। लाइट जली। अजय चौंक गया। “सीमा… तू…?” मैं रो पड़ी, लेकिन बोली, “भैया, गलती हुई… लेकिन मजा आया।” वो शरमा गया, लेकिन बोला, “सीमा, ये हमारा राज रहेगा।” अब भाभी लौट आई, लेकिन रातें… कभी-कभी अंधेरे में वही गलती दोहराते हैं। कल रात की गलती – भाई की चुदाई, जो प्यार बन गई। हॉट, गुनहगार, और कभी न भूलने वाली।

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