गोवा से पुणे स्लीपर बस में चुदाई

Sleepar Bus Sex Story : गोवा की चमकती रातें और समुद्र की लहरें अनन्या को हमेशा से लुभाती थीं। 26 साल की अनन्या, गोरी, लंबे काले बाल, और कातिलाना फिगर वाली लड़की थी। उसकी टाइट जीन्स और काले टॉप में उसके बूब्स और गांड इतने उभरे हुए थे कि कोई भी उसे देखकर अपनी साँसें रोक ले। गोवा में दोस्तों के साथ छुट्टियाँ बिताने के बाद, वो पुणे वापस जा रही थी, एक स्लीपर बस में, जहाँ उसकी सुहागरात से भी ज़्यादा हॉट रात होने वाली थी।

बस रात के 10 बजे गोवा से चली। अनन्या अपनी स्लीपर बर्थ में लेटी थी, खिड़की से बाहर की ठंडी हवा का मज़ा ले रही थी। उसकी बर्थ के बगल में विक्रम था, 30 साल का, मज़बूत जिस्म और आकर्षक मुस्कान वाला लड़का। विक्रम की आँखों में एक कामुक चमक थी, और उसका लंड अनन्या की हॉटनेस को देखकर पहले ही बेचैन था। “कम्फर्टेबल हो?” विक्रम ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा, और अनन्या ने अपने होंठों को हल्का सा काटते हुए कहा, “हाँ, लेकिन रात अभी बाकी है।” उसकी आवाज़ में एक सेक्सी इशारा था।

बस की मद्धम रोशनी और हल्की ठंडक ने माहौल को और कामुक बना दिया। अनन्या ने अपनी टॉप की नेकलाइन को हल्का सा नीचे खींचा, जिससे उसके बूब्स की गहरी लकीर दिखने लगी। विक्रम की नज़रें उसकी चूचियों पर टिक गईं, और उसका लंड उसकी जीन्स में तनने लगा। “तुम्हें ठंड नहीं लग रही?” अनन्या ने शरारत से पूछा, और विक्रम ने करीब आते हुए कहा, “तुम्हारी गर्मी मुझे गर्म कर रही है।” उसने अनन्या का हाथ पकड़ा, और उनकी उंगलियाँ आपस में उलझ गईं।

विक्रम ने अनन्या को अपनी बर्थ की ओर खींचा, और पर्दा खींचकर उनकी छोटी सी दुनिया को और निजी बना लिया। उसने अनन्या के होंठों को चूमा, पहले धीरे, फिर गहराई से, उसकी जीभ को चूसते हुए। अनन्या की चूत में एक सिहरन दौड़ गई, और उसने विक्रम की शर्ट में उंगलियाँ डालकर उसे और करीब खींच लिया। “तेरे होंठ कितने रसीले हैं,” विक्रम ने फुसफुसाया, और अनन्या ने जवाब दिया, “तो मेरी चूत का स्वाद भी ले लो।” उसकी बात ने विक्रम के लंड को और सख्त कर दिया।

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विक्रम ने अनन्या की टॉप उतारी, और उसकी काली ब्रा में कैद चूचियाँ देखकर उसका लंड उछलने लगा। उसने ब्रा का हुक खोला, और अनन्या की भारी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। उसने उन्हें कस के दबाया, उनके निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। अनन्या की सिसकियाँ बस की खामोशी में गूंजने लगीं। “मेरे बूब्स को और चूस,” उसने कराहते हुए कहा, और विक्रम ने उसकी चूचियों को और ज़ोर से दबाया, उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। अनन्या की चूत अब गीली हो चुकी थी।

अनन्या ने विक्रम की जीन्स खोली, और उसका सख्त लंड बाहर आया। उसने उसे अपने हाथों में लिया, धीरे-धीरे सहलाया, और फिर अपने होंठों से चूमा। “तेरा लंड कितना मोटा है,” अनन्या ने सेक्सी अंदाज़ में कहा, और उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। विक्रम की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने अनन्या के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। अनन्या की जीभ उसके लंड पर नाच रही थी, और उसकी चूत में चुदाई की प्यास बढ़ रही थी।

विक्रम ने अनन्या को बर्थ पर लिटाया और उसकी जीन्स उतारी। उसकी काली पैंटी पहले ही उसकी गीली चूत से चिपक चुकी थी। उसने पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ अनन्या की चूत में डालीं, उसे धीरे-धीरे रगड़ते हुए। “तेरी चूत कितनी गर्म है,” विक्रम ने कहा, और अनन्या ने कराहते हुए जवाब दिया, “तो अपने लंड से इसे और गर्म कर दे।” विक्रम ने अपने लंड को अनन्या की चूत पर रगड़ा, और फिर एक धीमे धक्के के साथ उसे अंदर डाल दिया। अनन्या की एक हल्की सी चीख निकली, लेकिन उसने विक्रम को और करीब खींच लिया।

विक्रम ने अनन्या की चूत में अपने लंड को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। हर धक्के के साथ अनन्या की चूचियाँ उछल रही थीं, और उसकी सिसकियाँ बस की खामोशी को तोड़ रही थीं। “हाँ, मेरी चूत को चोद,” अनन्या ने फुसफुसाया, और विक्रम ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसका लंड अनन्या की चूत की गहराई को छू रहा था, और उसकी गांड हर धक्के के साथ बर्थ पर रगड़ रही थी। अनन्या ने अपनी जांघें और चौड़ी कर दीं, जैसे विक्रम के लंड को और गहरे तक बुला रही हो।

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तभी बस में एक और यात्री, करण, 28 साल का, मज़बूत जिस्म और शरारती मुस्कान वाला लड़का, उनकी बर्थ के पास आया। उसने पर्दा हल्का सा हटाया और अनन्या की नंगी चूचियाँ और चुदाई देखकर उसका लंड तन गया। “मुझे भी शामिल कर लो,” करण ने हँसते हुए कहा, और अनन्या ने एक सेक्सी मुस्कान के साथ कहा, “आ जा, मेरी चूत और गांड दोनों तैयार हैं।” विक्रम ने हँसते हुए करण को पास बुलाया, और दोनों ने अनन्या को अपनी भूख का शिकार बनाया।

करण ने अनन्या की गांड को कस के पकड़ा और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी मस्त है,” उसने कहा, और अपनी उंगलियाँ अनन्या की गांड के छेद पर फेरी। उसने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली, और अनन्या की सिसकी और तेज़ हो गई। “मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। विक्रम ने अनन्या की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि करण ने अपने लंड को अनन्या की गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। अनन्या की चीख अब एक कामुक संगीत बन चुकी थी।

अनन्या के जिस्म में दो लंड एक साथ थे—विक्रम उसकी चूत चोद रहा था, और करण उसकी गांड। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” उसने सिसकते हुए कहा। विक्रम ने अनन्या के होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, जबकि करण ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उन्हें चूसा। अनन्या का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था।

तभी बस का ड्राइवर, राजेश, 45 साल का, अनुभवी और मज़बूत मर्द, उनकी बर्थ के पास रुका। उसने पर्दा हटाया और अनन्या की चुदाई देखकर उसका लंड तन गया। “ये क्या मज़ा चल रहा है?” राजेश ने गहरी आवाज़ में कहा, और अनन्या ने उसे एक सेक्सी नज़र दी। “ड्राइवर साहब, मेरे बूब्स और मुँह भी बेकार हैं,” उसने कहा। राजेश ने अपनी पैंट उतारी और अपना मोटा लंड अनन्या के मुँह में डाल दिया। अनन्या ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके लंड को सहलाते हुए।

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विक्रम अब अनन्या की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, उसका लंड हर धक्के में उसकी चूत की गहराई को छू रहा था। करण ने उसकी गांड में अपने लंड को और गहरे तक धकेला, और अनन्या की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। राजेश ने अनन्या के बाल पकड़कर अपने लंड को उसके मुँह में और गहरे तक डाला, और अनन्या ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा लंड कितना अच्छा लग रहा है,” राजेश ने कराहते हुए कहा।

चुदाई का ये खेल घंटों चला। अनन्या की चूत, गांड, और मुँह तीनों मर्दों के लंड से भरे थे। विक्रम ने अनन्या की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। करण ने उसकी गांड को चोदते हुए अपने लंड का रस उसकी गांड में छोड़ा। राजेश ने अनन्या के मुँह से अपना लंड निकाला और उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। अनन्या का जिस्म पसीने, चुदाई, और तृप्ति से गीला था।

बस सुबह पुणे पहुँची, और अनन्या ने तीनों मर्दों को एक सेक्सी मुस्कान दी। “ये रात मेरी चूत और गांड हमेशा याद रखेंगी,” उसने फुसफुसाया। विक्रम, करण, और राजेश ने उसे अपनी बाहों में लिया, और बस की ठंडक में उनकी चुदाई की गर्मी अभी भी बाकी थी।