मेरा नाम विक्की है, 30 साल का, दिल्ली में एक मार्केटिंग कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं स्मार्ट हूँ, जिम जाता हूँ, और मेरा 8 इंच का मोटा लंड मोहल्ले की लड़कियों की नजरों में हमेशा रहता है। लेकिन मेरी कहानी की नायिका है राधिका, मेरे ऑफिस की नई इंटर्न। राधिका, 24 साल की, साँवली, लेकिन ऐसी साँवली कि उसका रंग चाँद की तरह चमकता था। उसका गदराया जिस्म, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल-मटोल गांड और लंबे, घने काले बाल, जो उसकी कमर तक लहराते थे, किसी को भी दीवाना कर सकते थे। उसकी गहरी आँखें और गुलाबी होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों। जब वो ऑफिस में टाइट कुर्ती और जीन्स में आती, तो उसकी चूचियाँ कुर्ती में उभरकर हर मर्द के लंड में आग लगा देती थीं।
राधिका का हँसना, उसकी बातें, और वो शरारती नजरें मुझे हमेशा बेचैन कर देती थीं। मैंने कई बार नोटिस किया कि जब मैं उसे प्रोजेक्ट्स समझाता, तो वो जानबूझकर मेरे करीब आती, और उसकी चूचियाँ मेरे कंधे को छू लेती थीं। उसकी वो नशीली खुशबू और गदराया जिस्म मेरी चूत में सिहरन पैदा कर देता था। मुझे यकीन था कि राधिका की टाइट चूत मेरे मोटे लंड की भूखी थी, और मैं बस सही मौके की तलाश में था।
वो एक अक्टूबर की ठंडी शाम थी। दिल्ली में हल्की बारिश हो रही थी, और ऑफिस में देर तक काम चल रहा था। मैं और राधिका एक प्रेजेंटेशन पर काम कर रहे थे, और बाकी स्टाफ जा चुका था। ऑफिस का माहौल शांत था, सिर्फ बारिश की आवाज और हमारे बीच का तनाव हवा में तैर रहा था। राधिका ने उस दिन एक टाइट लाल कुर्ती और काली जीन्स पहनी थी। उसकी चूचियाँ कुर्ती में इतनी उभरी हुई थीं कि मेरे लंड में हलचल मच गई। “विक्की, ये प्रेजेंटेशन थकानेवाला है। थोड़ा ब्रेक लें?” उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।
मैंने उसकी आँखों में देखा और बोला, “राधिका, ब्रेक तो लें, लेकिन तेरा गदराया जिस्म मुझे और थकाने वाला है।” उसने हँसते हुए मेरे कंधे पर हल्का सा थप्पड़ मारा और बोली, “विक्की, तेरा लंड मेरी चूत को तड़पा रहा है। कुछ कर ना।” मेरी साँसें रुक गईं। मैंने हिम्मत जुटाई और उसे अपनी बाहों में खींच लिया। उसके रसीले होंठों को मैंने अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। राधिका ने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरे मस्कुलर सीने पर अपने नाखून फिराए। “विक्की, तेरा जिस्म तो पत्थर जैसा है,” उसने फुसफुसाया, और मेरे सीने पर अपने होंठ फिराए।
मैंने उसकी कुर्ती का बटन खोला, और उसकी काली लेस ब्रा में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ कैद थीं, जैसे बाहर निकलने को बेताब हों। मैंने ब्रा उतार दी, और राधिका की चूचियाँ मेरे सामने थीं—गोल, रसीली, और निप्पल्स तने हुए। मैंने हौले-हौले उसकी चूचियों को अपने हाथों में लिया और दबाना शुरू किया। उसकी सिसकारियाँ ऑफिस के सन्नाटे में गूँज उठीं। “विक्की, मेरी चूचियों को और दबा… कितना मजा आ रहा है,” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने उसके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और हल्के से काटते हुए। राधिका ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपना सीना और आगे किया।
मैंने उसकी जीन्स उतार दी, और उसकी काली पैंटी में उसकी टाइट चूत की शेप साफ दिख रही थी। पैंटी गीली हो चुकी थी, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने पैंटी नीचे सरकाई, और राधिका की चूत मेरे सामने थी—गुलाबी, गीली और बिना बालों की। मैंने घुटनों के बल बैठकर अपनी जीभ उसकी चूत पर फिराई। राधिका की चीखें ऑफिस में गूँज उठीं। “विक्की, मेरी चूत को चाट… और गहरा,” उसने चिल्लाया। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराइयों में डाला, और उसका रस मेरे मुँह में बहने लगा। मैंने उसके क्लिट को चूसा, और राधिका की कमर उछलने लगी। “विक्की, तू मेरी चूत को पागल कर रहा है,” वह सिसक रही थी।
राधिका ने मेरी पैंट खींची और मेरा मोटा लंड बाहर निकाला। “विक्की, तेरा लंड तो हथौड़ा है,” उसने शरारत से कहा, और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी। फिर उसने उसे अपने मुँह में लिया। राधिका की जीभ मेरे लंड पर लपलपाती रही, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “राधिका, तेरा मुँह मेरे लंड को निचोड़ रहा है,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने मेरे लंड को गहराई तक चूसा, और मैंने उसके लंबे बाल पकड़ लिए। उसकी आँखें मेरी आँखों से मिल रही थीं, और वो मुस्कुराते हुए चूस रही थी।
मैंने राधिका को ऑफिस की टेबल पर बिठाया और उसके टाँगें फैलाईं। मैंने अपना मोटा लंड उसकी टाइट चूत में धीरे-धीरे डाला। राधिका चीख पड़ी, “विक्की, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मैंने हौले-हौले धक्के मारना शुरू किया, और उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, विक्की… मेरी चूत को फाड़ दे,” उसने चीखते हुए कहा। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने उसके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए, और राधिका की चीखें और तेज हो गईं।
मैंने उसे टेबल से उतारा और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उसका गदराया जिस्म और गोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उसके नितंबों को थपथपाया। “हाँ, विक्की… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” राधिका चिल्ला रही थी। मेरा लंड उसकी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। मैंने उसके लंबे बाल पकड़े और उसे और जोर से चोदा, जैसे मेरी सारी वासना उसकी चूत में उतर रही हो। राधिका ने अपनी कमर को मेरी रफ्तार के साथ मिलाया, और हमारी सिसकारियाँ ऑफिस की दीवारों से टकराकर गूँज रही थीं।
हमने ऑफिस के हर कोने में चुदाई की। टेबल से लेकर सोफे तक, और फिर फर्श पर भी। राधिका ने मेरे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उसकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया। “विक्की, तेरा लंड मेरी चूत का बादशाह है,” उसने सिसकारी भरे लहजे में कहा। बारिश की आवाज और हमारी चीखें एक-दूसरे में मिल रही थीं। रात के 10 बजे, जब ऑफिस पूरी तरह खाली था, मैंने राधिका को अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, वो ऊपर थी, और उसकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे चेहरे के सामने उछल रही थीं, और मैंने उन्हें चूसते हुए उसे और जोर से चोदा।
जब रात गहरी हो गई, हम दोनों पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। राधिका ने मेरे सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “विक्की, तूने मेरी साँवली चूत को रंगीन कर दिया। तेरा लंड मेरे जिस्म में आग लगा गया।” मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “राधिका, तेरा गदराया जिस्म और बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे लंड को दीवाना बना गईं।”
राधिका ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी कुर्ती पहनी, और एक मादक मुस्कान के साथ बोली, “विक्की, ये ऑफिस अब हमारी चुदाई का अड्डा है। जब भी मौका मिलेगा, मेरी चूत तेरा लंड माँगेगी।” मैंने उसकी कमर पकड़ी और कहा, “राधिका, मेरा लंड हर बार हाजिर रहेगा।”
जैसे ही राधिका ऑफिस से बाहर निकली, उसने पलटकर देखा और एक शरारती पलक झपकी। “ये रात हमारी थी, विक्की। लेकिन ये जुनून कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानता था, राधिका की साँवली चूत और गदराया जिस्म मेरे लंड की आग को हर रात सुलगाता रहेगा, और ऑफिस की वो दीवारें हमारी वासना की गवाह बनेंगी।