उम्रदराज पति और मेरी कुंवारी चूत

मेरा नाम रानी है। मैं 22 साल की थी, गोरी, गदराई, और कुंवारी, जब मेरी शादी 55 साल के उम्रदराज सेठ रामलाल से हुई। गाँव में लोग कहते थे कि सेठ जी का धन-दौलत मेरे परिवार को डूबने से बचाएगा, लेकिन मेरे मन में शादी की पहली रात को लेकर एक अजीब सा डर और उत्साह था। मेरी चूचियां टाइट ब्लाउज में उभरी हुई थीं, और मेरी मटकती गांड लाल जोड़े में ललचा रही थी। मेरी गहरी नाभि और सांवली चूतड़ हर मर्द की आंखों को भटकाने के लिए काफी थे। लेकिन सेठ जी? वो तो उम्र में मेरे बाप जितने थे। फिर भी, उनकी चौड़ी छाती, भारी मूंछें, और गहरी आवाज में कुछ तो बात थी जो मेरी कुंवारी चूत में सनसनी पैदा करती थी।

शादी की रात, हवेली का बड़ा सा कमरा फूलों और अगरबत्तियों की खुशबू से महक रहा था। मैं लाल जोड़े में सजी, पलंग पर बैठी थी, मेरी चूड़ियां खनक रही थीं, और मेरी चूत में शादी की पहली रात की गर्मी सुलग रही थी। सेठ जी कमरे में आए, उनका कुरता खुला था, और उनकी चौड़ी छाती पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं। “रानी, मेरी रानी, आज तू मेरी मालकिन बनने वाली है,” उन्होंने गहरी आवाज में कहा, और मेरे पास बैठ गए। मेरी सांसें तेज हो गईं। “सेठ जी, मैं… मैं डर रही हूं,” मैंने सिसकते हुए कहा, मेरी नजरें उनकी मर्दाना देह पर टिकी थीं।

“डरने की कोई बात नहीं, मेरी जान। आज मैं तेरी कुंवारी चूत को स्वर्ग दिखाऊंगा,” उन्होंने कहा, और मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया। उनके होंठ मेरे होंठों से टकराए, और मैं उनके गहरे चूमन में खो गई। उनकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और उन्होंने मेरे होंठों को चूस लिया। “उफ्फ, सेठ जी, मेरी चूत में कुछ हो रहा है,” मैंने सिसकते हुए कहा, मेरी चूचियां अब ब्लाउज में तन गई थीं।

सेठ जी ने मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। मेरी गोरी चूचियां ब्लाउज में कैद थीं, और मेरी नंगी कमर चांदनी में चमक रही थी। “रानी, तेरी चूचियां तो दूध की कटोरी हैं,” उन्होंने गुर्राया, और मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए। मेरी मोटी, नरम चूचियां आजाद हो गईं, उनके गुलाबी निप्पल्स तनकर खड़े थे। सेठ जी ने मेरी चूचियों को अपने बड़े हाथों में भरा, और उन्हें जोर-जोर से मसला। “हाय, सेठ जी, मेरी चूचियां दुख रही हैं,” मैंने सिसकिया, मगर मेरी चूत अब रस टपका रही थी।

उन्होंने मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, और उन्हें चूसने लगे। मेरी सिसकियां अब चीखों में बदल गईं। “उफ्फ, सेठ जी, मेरी चूचियां चूसो, और जोर से!” मैंने चिल्लाया, और मेरी उंगलियां उनके बालों में उलझ गईं। सेठ जी ने मेरी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और मेरा पेटीकोट भी खींचकर फेंक दिया। मैं अब पूरी नंगी थी, मेरी गोरी चूत और मोटी गांड चांदनी में चमक रही थी। “रानी, तेरी कुंवारी चूत तो रसभरी है,” उन्होंने कहा, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं।

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मेरी चूत इतनी गर्म थी कि मैं चीख पड़ी। “हाय, सेठ जी, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैंने चिल्लाया, और मेरी गांड पीछे की ओर उछलने लगी। सेठ जी ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा, उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को सहला रही थी। मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “सेठ जी, मेरी चूत चाटो! मुझे चोद दो!” मैं चिल्ला रही थी, और मेरी चूत रस से लबालब हो गई थी।

सेठ जी ने अपना कुरता और धोती उतार दी। उनका मोटा, 9 इंच का लंड चांदनी में चमक उठा, उसकी नसें फूल रही थीं। मैंने उनके लंड को देखा, और मेरी आंखें चमक उठीं। “उफ्फ, सेठ जी, आपका लंड तो मेरी चूत का काल है,” मैंने कहा, और उनके लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया। मैंने उनके लंड को जोर-जोर से हिलाया, और फिर अपने होंठों से उसे चूसने लगी। मेरी जीभ उनके लंड के टिप पर घूम रही थी, और सेठ जी की सांसें रुक रही थीं। “रानी, तू तो रंडी से भी गजब चूसती है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरे बालों को जकड़कर मेरे मुंह में अपना लंड और गहरा ठूंस दिया।

मैंने उनके लंड को चूसकर गीला कर दिया, और फिर पलंग पर लेट गई। मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी गांड सेठ जी के सामने थी। “सेठ जी, मेरी कुंवारी चूत में अपना लंड डालो, और मुझे चोदो!” मैंने चिल्लाया, और अपनी गांड को और ऊपर उठा दिया। सेठ जी ने मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ मारे, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उसे और गीला किया। “रानी, तेरी चूत मेरे लंड की प्यासी है,” उन्होंने कहा, और अपना मोटा लंड मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया।

मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय मर गई! आपका लंड मेरी चूत फाड़ देगा!” मैंने चिल्लाया, मगर मेरी चूत अब उनके लंड को लय में ले रही थी। सेठ जी ने मेरी चूचियों को पकड़ा, और मेरी चूत को जोर-जोर से चोदने लगे। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस छोड़ रही थी, और मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “चोद मुझे, सेठ जी! मेरी चूत फाड़ दो! मेरी गांड मारो!” मैं चिल्ला रही थी, और उनका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था।

सेठ जी ने मुझे पलंग से उठाया, और दीवार के सहारे खड़ा किया। उन्होंने मेरी एक टांग उठाई, और मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाला। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। “सेठ जी, आपका लंड मेरी चूत को तबाह कर देगा!” मैंने चीखा, और उनके होंठों को चूसने लगी। सेठ जी ने मेरी चूत में गहरे धक्के मारे, और मेरी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया। “रानी, तेरी चूत तो स्वर्ग है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरी चूत में और गहरा धक्का मारा।

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अब उनकी नजर मेरी मोटी गांड पर थी। उन्होंने मुझे पलंग पर उल्टा लिटाया, और मेरी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गए। “रानी, तेरी गांड तो जन्नत का दरवाजा है,” उन्होंने कहा, और मेरी गांड पर थप्पड़ मारे। उन्होंने मेरी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया, और मेरी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “सेठ जी, मेरी गांड में मत डालो, मैं मर जाऊंगी!” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी गांड अब उनके लंड की प्यासी थी।

सेठ जी ने अपने लंड को मेरी चूत के रस से गीला किया, और धीरे से मेरी टाइट गांड में डाला। मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय राम! आपका लंड मेरी गांड फाड़ देगा!” मैंने चिल्लाया, मगर मेरी गांड अब उनके लंड को लय में ले रही थी। सेठ जी ने मेरी चूचियों को पीछे से पकड़ा, और मेरी गांड को जोर-जोर से चोदा। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी गांड उनके लंड को निगल रही थी। “चोद मुझे, सेठ जी! मेरी गांड और चूत दोनों तबाह कर दो!” मैं चिल्ला रही थी, और उनका लंड मेरी गांड में आंधी मचा रहा था।

रात के 3 बज चुके थे, और चांदनी अब भी हमारी चुदाई का गवाह थी। सेठ जी ने मुझे अपनी गोद में उठाया, और पलंग के किनारे चोदने लगे। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। “सेठ जी, आप मेरे मालिक हो,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उनके होंठों को चूसने लगी। उनका लंड अब फटने को था। उन्होंने मेरी चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। मेरी चूत रस और माल से लबालब हो गई, और मेरी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं।

हम दोनों पसीने से तर-बतर पलंग पर गिर पड़े, हमारी सांसें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। मैंने सेठ जी के लंड को फिर से सहलाया, और बोली, “सेठ जी, मेरी कुंवारी चूत का उद्घाटन आपने कर दिया।” सेठ जी ने मेरी चूचियों को चूमा, और कहा, “रानी, अब तू मेरी रंडी है। हर रात मैं तेरी चूत और गांड चोदूंगा।”

उस रात की चुदाई की गर्मी हवेली के कमरे में बसी रही। मेरी साड़ी, मेरी चूड़ियां, और हमारी चुदाई का रस पलंग पर बिखरा पड़ा था। अगली सुबह, जब सेठ जी ने मुझे फिर से अपनी बाहों में लिया, मैं समझ गई कि ये सिर्फ शुरुआत थी। लेकिन मेरे मन में एक और आग सुलग रही थी। मैंने फैसला किया कि इस आग को बुझाने के लिए मुझे कुछ और करना होगा।

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तब मैंने ये किया

कुछ दिन बाद, हवेली में सेठ जी का भतीजा, 25 साल का जवान और मर्दाना रवि, आया। रवि की चौड़ी छाती और मांसल बाहें मुझे देखते ही ललचा उठीं। एक रात, जब सेठ जी गहरी नींद में थे, मैं रवि के कमरे में चली गई। मैंने एक पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जो मेरी चूचियों और गांड को बमुश्किल छुपा रही थी। “रवि, मुझे नींद नहीं आ रही,” मैंने शरारती लहजे में कहा, और उसके पास बैठ गई।

रवि की नजरें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। “भाभी, तुम ये आग लगाकर मुझे जलाने आई हो?” उसने कहा, और मेरी कमर पकड़ ली। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और उसे चूमने लगी। “रवि, मेरी चूत में फिर से आग लग रही है,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उसका लंड पकड़ लिया। उसका लंड सेठ जी से भी मोटा और लंबा था।

रवि ने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी चूचियों को चूसने लगा। “भाभी, तेरी चूचियां तो रसभरी हैं,” उसने कहा, और मेरी चूत में अपनी उंगलियां डाल दीं। मैं चीख पड़ी। “रवि, मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने चिल्लाया, और उसने अपना लंड मेरी चूत में ठूंस दिया। उस रात, रवि ने मुझे इतना चोदा कि मेरी चूत और गांड दोनों तबाह हो गईं। हर धक्के के साथ मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “चोद मुझे, रवि! मेरी चूत और गांड दोनों ले ले!” मैं चिल्ला रही थी, और उसका लंड मेरी चूत में आंधी मचा रहा था।

उस रात के बाद, मैं दिन में सेठ जी की रानी थी, और रात में रवि की रंडी। मेरी कुंवारी चूत अब हर रात दो लंडों की प्यासी थी।

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