मेरा नाम रीना है, उमर कोई 28 बरस की। गोरा-चिट्टा रंग, भरा हुआ बदन, कसी हुई चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड, जो मेरे पति विशाल को हमेशा बेकरार रखती थी। विशाल का 7 इंच का लंड मेरी चूत को रात-रात भर तृप्त करता था, पर सच कहूँ, मेरी चुदास कभी पूरी ना होती थी। हम दिल्ली में रहते हैं, एक पॉश कॉलोनी में, जहाँ हर घर की अपनी कहानी होती है। विशाल का दोस्त, करण, अक्सर हमारे घर आता था। 35 साल का करण, लंबा-चौड़ा, गठीला मर्द, जिसकी आँखों में एक अजीब सी भूख थी। उसकी नजरें मेरी चूचियों और गांड पर टिकती थीं, और मैं भी जान-बूझकर टाइट सलवार-कमीज या नाइटी पहन लेती थी, ताकि वो और तड़पे। उसकी भूखी नजरें मेरी चूत में सिहरन पैदा करती थीं।
एक रात की बात है, बाहर बारिश की रिमझिम थी, और बिजली गुल। विशाल को ऑफिस के काम से रात को ही मुंबई जाना पड़ा। मैं घर में अकेली थी, और मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। बारिश की ठंडक मेरे बदन को और गर्म कर रही थी। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी, जिसमें मेरे सख्त निप्पल और गीली चूत साफ झलक रहे थे। तभी दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने करण खड़ा था, भीगा हुआ, शर्ट बदन से चिपकी हुई, और उसका गठीला सीना साफ दिख रहा था। “रीना, विशाल है क्या? मेरा फोन डेड हो गया, थोड़ा चार्ज कर लूँ,” उसने कहा, पर उसकी नजरें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “विशाल तो मुंबई गए हैं, पर तुम अंदर आ जाओ।”
करण अंदर आया, और मैंने उसे सोफे पर बिठाया। बारिश की आवाज और अंधेरा कमरे में एक मादक माहौल बना रहा था। मैंने जान-बूझकर अपनी नाइटी का पल्लू थोड़ा सरकाया, ताकि मेरी चूचियाँ और सख्त निप्पल उसे दिखें। करण की साँसें तेज हो रही थीं, और उसकी पैंट में उभार साफ दिख रहा था। “रीना, तू आज कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही है,” उसने मादक आवाज में कहा। मैंने शरारत से जवाब दिया, “करण, मेरी चूत भी आज कुछ ज्यादा ही गर्म है।” मेरी बात ने उसकी चुदास को और भड़का दिया। उसने मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपनी गोद में खींच लिया।
उसके गर्म हाथों ने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाना शुरू किया। मैं सिसकारी लेते हुए बोली, “करण, ये गलत है… विशाल को पता चलेगा।” पर मेरी चूत की गर्मी मुझे बेकाबू कर रही थी। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक गहरा, अश्लील चुंबन दे दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरा बदन उसकी छुअन से काँप रहा था। उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी बड़ी, नंगी चूचियाँ उसके सामने उछल पड़ीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और मेरी गीली चूत उसकी जाँघों पर रगड़ रही थी। “रीना, तेरी चूत तो मेरे लंड की दीवानी है,” उसने गुर्राते हुए कहा।
मैंने उसकी पैंट उतार दी, और उसका 8 इंच का मोटा, काला लंड मेरे सामने तन गया। उसकी नसें फूली हुई थीं, और मेरी चूत ने उसे देखकर और रस छोड़ा। मैंने उसके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया और गहराई तक चूसने लगी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “रीना, तू तो रंडी से भी बढ़कर चूस रही है,” उसने मेरे बाल पकड़कर कहा। मैंने उसका लंड और जोर से चूसा, और उसकी चुदास मेरे मुँह में साफ महसूस हो रही थी। उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी जाँघें चौड़ी कीं। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मैं अपनी गांड हिलाकर उसका मुँह अपनी चूत में और गहरा दबा रही थी।
मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और मेरी सिसकारियाँ बारिश की आवाज में मिल रही थीं। “करण… मेरी चूत को चोद… इसे फाड़ दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने अपना मोटा, काला लंड मेरी गीली चूत के मुहाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। मैं सुख से चीख पड़ी, और उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वह जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और मेरे चूचे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं अपनी गांड हिलाकर उसका लंड और गहरा ले रही थी। उसने मेरे चूचियों को मसला, मेरे निप्पलों को चूसा, और मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा।
मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “रीना, तेरी चूत तो मेरे लंड की गुलाम है,” उसने गुर्राते हुए कहा। मैंने चुदास में जवाब दिया, “करण, मेरी चूत को और जोर से चोद… इसे सुजा दे।” उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गोल गांड को थप्पड़ मारते हुए अपना लंड मेरी चूत में फिर से डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी। फिर उसने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया और धीरे-धीरे अपना मोटा लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं दर्द और सुख में चीख पड़ी, पर मेरी गांड ने उसके लंड को गले लगा लिया।
करण मेरी गांड को जमकर चोद रहा था, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। “करण… मेरी गांड को चोद… मेरी चूत को फाड़ दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने मेरे चूचियों को मसला, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, और मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। मेरी चूत बार-बार झड़ रही थी, और मेरा रस उसकी जाँघों पर टपक रहा था। चुदाई का दौर घंटों चला। उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से उछाला। मेरे चूचे उसके चेहरे पर उछल रहे थे, और वह मेरे निप्पलों को चूस रहा था।
फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से धक्के मारे। मेरी चीखें और सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “रीना, मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ,” करण ने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, करण… मेरी चूत को अपने माल से भर दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने अपने धक्के और तेज किए, और फिर अपने गर्म, गाढ़े वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में मारी। मैं सुख से चीख पड़ी, और मेरी चूत उसके वीर्य से लबालब भर गई। उसने मेरे चूचियों और होंठों पर भी अपना माल छोड़ा, और मैंने उसे अपनी जीभ से चाट लिया।
करण ने मेरी गांड में फिर से लंड डाला और वहाँ भी अपने वीर्य की पिचकारी मारी। मेरा बदन उसके माल से गीला और चिपचिपा हो गया था। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरी चूत और गांड चुदाई से सुज गई थी। उस रात की चुदाई ने मेरी चुदास को एक नया रंग दे दिया। सुबह तक हम नंगे ही एक-दूसरे की बाहों में पड़े रहे। करण ने मेरे कान में फुसफुसाया, “रीना, तेरी चूत ने मुझे दीवाना बना दिया।” मैंने हँसकर कहा, “करण, तेरा लंड मेरी चूत का राजा है।”
उस रात के बाद, जब भी विशाल घर पर नहीं होता, करण मेरे घर आता। हमारी चुदाई का सिलसिला चल पड़ा। एक बार उसने मुझे रसोई में चोदा। मैंने टाइट सलवार-कमीज पहनी थी, और उसने मुझे काउंटर पर झुकाकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मेरी चीखें रसोई में गूँज रही थीं। दूसरी बार, हमने बाथरूम में चुदाई की। उसने मुझे शावर के नीचे खड़ा किया और मेरी गांड में लंड डालकर चोदा। पानी मेरे चूचों पर टपक रहा था, और मेरी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं।
कभी-कभी, करण रात को चुपके से मेरे बेडरूम में आता। एक रात, उसने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा, और मैंने उसके लंड को चूसकर उसे और उत्तेजित किया। फिर उसने मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। मेरी चूत उसके वीर्य से चमक रही थी। विशाल को कभी शक नहीं हुआ, क्योंकि मैं और करण चुपके से अपनी रंगरलियाँ मनाते थे। एक बार, जब करण मेरी चूत चोद रहा था, विशाल का फोन आया। मैंने फोन उठाया, और करण ने मेरी गांड में लंड डाल दिया। मैं सिसकारियों को दबाते हुए विशाल से बात कर रही थी, और मेरी चूत उसके वीर्य से भर रही थी।
करण का मोटा, काला लंड मेरी चूत और गांड का दीवाना था। उसकी चुदाई ने मुझे उसका गुलाम बना दिया। हर बार जब वह मेरी चूत को चोदता, मेरी सिसकारियाँ घर में गूँजती थीं। मैंने सोचा कि विशाल के दोस्त के साथ ये रंगरलियाँ मेरी जिंदगी का सबसे मादक अनुभव हैं। मेरी चूत और गांड उसके लंड की गुलाम बन चुकी थीं। हमारी चुदाई की आग कभी ठंडी नहीं हुई, और हर बार बारिश की रात में करण मेरे लिए एक तूफान बनकर आता था।
मुझे कभी-कभी गिल्ट होता कि मैं अपने पति के साथ धोखा कर रही हूँ, पर मेरी चुदास मुझे हर बार करण की बाहों में खींच ले जाती। उसकी मर्दानगी, उसका रसीला लंड, और उसकी भूखी चुदाई ने मुझे दीवाना बना दिया था। मैं जानती थी कि ये गलत है, पर मेरी चूत की आग मुझे रुकने ना देती। करण भी मेरी चूत का दीवाना था, और वो हर बार मुझे चोदकर जन्नत का सुख देता।
उस एक रात की रंगरलियों ने मेरी जिंदगी को बदल दिया। अब मैं हर बार बारिश का इंतजार करती हूँ, ताकि करण मेरे घर आए और मेरी चूत को अपने लंड से तृप्त करे। मेरी चूत और गांड उसके लंड की भूखी रहती हैं, और उसकी चुदाई मेरे लिए एक नशा बन चुकी है। मैंने सोचा, जिंदगी में थोड़ा मसाला तो बनता है, और करण का लंड मेरी जिंदगी का वो मसाला है, जो मुझे हर रात जन्नत की सैर कराता है।