एक उमस भरी, गर्म चांदनी रात थी। गाँव की हवेली की छत पर चांदनी पिघल रही थी, और हवा में कामुकता की महक तैर रही थी। आरव, एक 28 साल का जवान, मर्दाना जिस्म वाला लड़का, अपनी भाभी मायरा के साथ उस रात अकेला था। मायरा, 32 साल की गोरी, गदराई भाभी, जिसकी चूचियां उसकी टाइट ब्लाउज में कैद होने को तड़प रही थीं, और उसकी मटकती गांड हर कदम पर ललचा रही थी। उसकी गहरी नाभि और सांवली चूतड़ों की उभरी लकीरें आरव को रातों-रात पागल कर रही थीं।
मायरा का पति, यानी आरव का बड़ा भाई, शहर में नौकरी के सिलसिले में गया हुआ था। हवेली में सिर्फ आरव, मायरा, और उनकी बेकाबू वासना थी। उस रात, मायरा ने एक पतली, पारदर्शी साड़ी पहनी थी, जो उसकी गोरी चूचियों और गहरी क्लीवेज को बमुश्किल छुपा रही थी। उसकी नंगी कमर पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, और उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरककर उसकी मोटी गांड को उभार रहा था। आरव की नजरें मायरा की चूतड़ों पर अटकी थीं, और उसका लंड उसके पायजामे में तनकर बेकरार हो रहा था।
छत पर मुलाकात
रात के 11 बजे, मायरा छत पर चांदनी का मजा लेने आई। उसने अपने बाल खोल रखे थे, जो उसकी नंगी पीठ पर लहरा रहे थे। आरव, जो पहले से छत पर लेटा था, मायरा को देखकर उठ खड़ा हुआ। उसकी चौड़ी छाती और पसीने से चमकती बांहें मायरा को ललचा रही थीं। “भाभी, इतनी रात को छत पर? नींद नहीं आ रही?” आरव ने शरारती लहजे में पूछा, उसकी नजरें मायरा की चूचियों पर टिकी थीं।
मायरा ने अपने होंठ गीले किए, और एक कामुक मुस्कान के साथ बोली, “नींद तो आएगी, देवर जी, मगर पहले ये गर्मी तो बुझा लो।” उसने अपनी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरकाया, और उसकी गोरी चूचियां ब्लाउज में उभर आईं। आरव का लंड अब पायजामे में फड़फड़ा रहा था। “भाभी, तुम ये आग लगाकर मुझे जलाने का इरादा रखती हो?” उसने कहा, और एक कदम मायरा की ओर बढ़ाया।
मायरा ने अपनी चूड़ियों को खनकाते हुए, आरव की छाती पर उंगलियां फिराईं और बोली, “जलने दे, देवर जी। देखते हैं तुम कितना बर्दाश्त कर पाते हो।” उसकी आवाज में वो नशा था जो आरव को बावला कर गया। उसने मायरा की कमर पकड़ी, और उसे अपनी बाहों में खींच लिया। मायरा की चूचियां आरव की छाती से टकराईं, और उसकी सांसें गर्म हो गईं।
वासना की शुरुआत
आरव ने मायरा के होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया। उसका चूमन इतना गहरा था कि मायरा की सिसकियां हवा में गूंज उठीं। उसने मायरा की जीभ को चूसा, और मायरा ने उसके होंठों को काट लिया। “उफ्फ, भाभी, तुम्हारे होंठ तो शहद से मीठे हैं,” आरव ने फुसफुसाया, और उसकी उंगलियां मायरा की साड़ी के नीचे फिसल गईं। उसने मायरा की नंगी कमर को सहलाया, और फिर उसकी मोटी गांड को जोर से दबाया। मायरा की चूत में आग लग चुकी थी, और उसकी साड़ी अब उसकी जांघों तक सरक गई थी।
“देवर जी, तुम्हारा ये जोश मेरी चूत को तड़पा रहा है,” मायरा ने सिसकते हुए कहा, और उसने आरव के पायजामे के ऊपर से उसके तने हुए लंड को सहलाया। आरव ने एक गुर्राहट के साथ मायरा की साड़ी को पूरी तरह खींचकर फेंक दिया। मायरा अब सिर्फ अपने टाइट ब्लाउज और पेटीकोट में थी, उसकी गोरी चूचियां ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थीं। आरव ने मायरा के ब्लाउज के बटन खोले, और उसकी मोटी, नरम चूचियां उसके हाथों में आ गईं। उसने मायरा के निप्पल्स को अपनी उंगलियों से मसला, और फिर उन्हें अपनी जीभ से चाटा। मायरा की चीखें चांदनी रात में गूंज उठीं। “उफ्फ, देवर जी, मेरी चूचियां चूसो, और जोर से!” उसने कहा, और उसकी उंगलियां आरव के बालों में उलझ गईं।
चुदाई की आग
आरव ने मायरा को छत की रेलिंग के सहारे झुकाया। उसने मायरा का पेटीकोट ऊपर उठाया, और उसकी सांवली, गीली चूत को अपनी उंगलियों से सहलाया। मायरा की चूत इतनी गर्म थी कि आरव का लंड और सख्त हो गया। “भाभी, तुम्हारी चूत तो रस से लबालब है,” उसने कहा, और अपनी दो उंगलियां मायरा की चूत में डाल दीं। मायरा की सिसकियां अब चीखों में बदल गईं। “हाय, देवर जी, मेरी चूत फाड़ दो!” उसने चिल्लाया, और उसकी गांड पीछे की ओर उछलने लगी।
आरव ने अपना पायजामा उतारा, और उसका मोटा, 8 इंच का लंड चांदनी में चमक उठा। मायरा ने आरव के लंड को अपने हाथों में लिया, और उसे जोर-जोर से हिलाया। “उफ्फ, देवर जी, तेरा लंड तो मेरी चूत का काल है,” उसने कहा, और अपने होंठों से आरव के लंड को चूसने लगी। उसकी जीभ आरव के लंड के टिप पर घूम रही थी, और आरव की सांसें रुक रही थीं। “भाभी, तू तो रंडी से भी गजब चूसती है,” उसने गुर्राया, और मायरा के बालों को जकड़कर उसके मुंह में अपना लंड और गहरा ठूंस दिया।
मायरा ने आरव के लंड को चूसकर गीला कर दिया, और फिर उसे छत की चारपाई पर लेटा दिया। उसने अपनी चूत को आरव के लंड पर रगड़ा, और फिर धीरे से उसे अंदर लिया। “हाय राम, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मायरा ने चीखा, और उसकी चूचियां उछलने लगीं। आरव ने मायरा की गांड को दोनों हाथों से पकड़ा, और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ मायरा की चूत रस छोड़ रही थी, और उसकी चीखें छत पर गूंज रही थीं। “चोद मुझे, देवर जी! मेरी चूत फाड़ दो! मेरी गांड मारो!” मायरा चिल्ला रही थी, और आरव का लंड उसकी चूत में तूफान मचा रहा था।
गांड की चुदाई
आरव ने मायरा को चारपाई पर उल्टा लिटाया, और उसकी मोटी, गोल गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गया। उसने मायरा की गांड पर थप्पड़ मारे, और उसकी चूतड़ों को चाटने लगा। “भाभी, तेरी गांड तो जन्नत है,” उसने कहा, और अपनी जीभ मायरा की गांड के छेद में घुमाई। मायरा की सिसकियां अब रोने में बदल गई थीं। “हाय, देवर जी, मेरी गांड में आग लग रही है!” उसने कहा, और अपनी गांड को और ऊपर उठा दिया।
आरव ने अपने लंड को मायरा की चूत के रस से गीला किया, और फिर धीरे से उसकी टाइट गांड में डाला। मायरा की चीख रात को चीर गई। “हाय मर गई! तेरा लंड मेरी गांड फाड़ देगा!” उसने चिल्लाया, मगर उसकी गांड अब आरव के लंड को लय में ले रही थी। आरव ने मायरा की चूचियों को पीछे से पकड़ा, और उसकी गांड को जोर-जोर से चोदा। हर धक्के के साथ मायरा की चूत रस टपका रही थी, और उसकी गांड आरव के लंड को निगल रही थी। “चोद मुझे, देवर जी! मेरी गांड और चूत दोनों तबाह कर दो!” मायरा चिल्ला रही थी, और आरव का लंड उसकी गांड में आंधी मचा रहा था।
चरम सुख
रात के 2 बज चुके थे, और चांदनी अब भी उनकी चुदाई का गवाह थी। आरव ने मायरा को अपनी गोद में उठाया, और उसे रेलिंग के सहारे चोदने लगा। मायरा की चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत आरव के लंड को जकड़ रही थी। “भाभी, तू तो मेरी रंडी बन गई है,” आरव ने गुर्राया, और मायरा की चूत में और गहरा धक्का मारा। मायरा ने आरव के होंठों को चूसा, और चिल्लाई, “हां, देवर जी, मैं तेरी रंडी हूं! मेरी चूत को अपना माल दे दे!”
आरव का लंड अब फटने को था। उसने मायरा की चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। मायरा की चूत रस और माल से लबालब हो गई, और उसकी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं। दोनों पसीने से तर-बतर चारपाई पर गिर पड़े, उनकी सांसें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। मायरा ने आरव के लंड को फिर से सहलाया, और बोली, “देवर जी, ये तो बस शुरुआत है। अगली रात मेरी गांड और चूत फिर तैयार रहेंगी।”
अंत: उस रात की चुदाई की गर्मी हवेली की छत पर बसी रही। मायरा की साड़ी, उसकी चूड़ियों के टुकड़े, और उनकी चुदाई का रस चारपाई पर बिखरा पड़ा था। वो किताब, “कामसूत्र का रस,” अब उनके बिस्तर के नीचे पड़ी थी, जिसके पन्नों पर उनकी वासना की स्याही छप चुकी थी।