Bhatiji Sex Story – जवान और शरारती भतीजी नेहा ने अपने चाचा रमेश को अपनी जलती चूत की आग में फंसा लिया। भारी चूचियां, मटकती गांड, और जोशीली चुदाई से भरी ये देसी कहानी आपके जिस्म में सनसनी जगा देगी। नेहा की चुदक्कड़ हरकतों और चाचा के तगड़े लंड की दास्तान पढ़ें और जुनून की लहरों में गोता लगाएं!
मैं रमेश, 40 साल का दमदार और रौबदार मर्द, जिसका गठीला बदन, सांवली चमक, और गहरी मूंछें गाँव की औरतों को ललचाती थीं। शहर में मेरा छोटा-मोटा कारोबार था, और गाँव की पुरानी हवेली में मैं अकेला रहता था। मेरी भतीजी, नेहा, 19 साल की चंचल और आग सी जलती लड़की थी, जो कॉलेज की छुट्टियों में मेरे पास गाँव आई थी। नेहा का रंग दूध सा उजला, चूचियां भारी और उभरी हुई, कमर पतली, और गांड गोल-मटोल थी। उसकी टाइट शॉर्ट्स और फिटिंग टॉप में उसकी चूचियां और गहरी नाभि मुझे हर बार बेचैन कर देती थीं।
नेहा मेरे साथ बिंदास बातें करती, कभी मेरी बांह पकड़ लेती, तो कभी जानबूझकर झुककर अपनी चूचियां दिखाती। उसकी चटपटी नजरें मेरे लंड को उकसाती थीं। मैं उसकी जवानी को चुपके-चुपके ताड़ता, और मेरी चूत उसकी चुलबुलेपन की दीवानी थी। लेकिन वो मेरी भतीजी थी, और मैं रिश्ते की लाज रखने की कोशिश करता था। फिर वो रात आई, जब नेहा ने सारी दीवारें ढहा दीं और मुझे दिखा दिया कि वो कितनी चुदक्कड़ है।
कल रात गाँव में अंधेरा छाया था, बिजली गायब थी। हवेली में सिर्फ दीयों की मद्धम रोशनी थी, और बाहर बारिश की बूंदें हल्के-हल्के टपक रही थीं। नेहा ने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो उसके गीले जिस्म से चिपककर उसकी चूचियों और गांड को उघाड़ रही थी। मैं छत पर खटिया डालकर लेटा था, जब नेहा मेरे पास चली आई। “चाचा, इस गर्मी में नींद ही नहीं आती,” उसने मादक अंदाज में कहा और मेरे बगल में खटिया पर बैठ गई। उसकी नाइटी का गला ढीला था, और उसकी गहरी दरार दीये की रोशनी में चमक रही थी।
“नेहा, तू इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है?” मैंने थोड़ा संकोच के साथ कहा, लेकिन मेरी आँखें उसकी चूचियों पर टिक गईं। “चाचा, आपकी बातों में मजा है, सोचा आपके साथ गप्पे मार लूं,” उसने शरारती लहजे में कहा और मेरी जांघ पर हल्का सा हाथ फेर दिया। मेरी चूत में करंट सा दौड़ा। “नेहा, ये ठीक नहीं,” मैंने सिसकते हुए कहा, लेकिन मेरा लंड पायजामे में सलामी देने लगा। “चाचा, ठीक-गलत छोड़ो, मेरी चूत को तुम्हारी गर्मी चाहिए,” उसने बेशर्मी से कहा और मेरे लंड को पायजामे के ऊपर से दबा दिया।
मेरा लंड फटने को तैयार था। उसकी बेशर्म बातों ने मेरी सारी हिचक तोड़ दी। “नेहा, तू सच्ची में चुदक्कड़ है,” मैंने गुर्राते हुए कहा और उसे अपनी बाहों में खींच लिया। उसने मेरे होंठों पर अपने रसीले होंठ रख दिए। उसका चुम्बन ज्वालामुखी सा था, जिसमें मैं पिघल गया। उसकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी, और उसने मेरे होंठों को चूस लिया। “चाचा, तेरे होंठ मेरी चूत में तड़प मचा रहे हैं,” नेहा ने सिसकारी भरे अंदाज में कहा और मेरी कमर को जकड़ लिया।
मैंने नेहा की नाइटी को एक झटके में फाड़ डाला। उसकी गोरी चूचियां नंगी हो गईं, उनके भूरे निप्पल्स तनकर खड़े थे। “नेहा, तेरी चूचियां तो मिश्री की डलियां हैं,” मैंने लार टपकाते हुए कहा और उसकी चूचियों को अपने कड़क हाथों में भरा। मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया, और नेहा की सिसकियां चीखों में बदल गईं। “हाय चाचा, मेरी चूचियां तेरे हाथों में मसल रही हैं!” उसने चिल्लाया और मेरी पीठ को नाखूनों से नोच डाला।
मैंने नेहा के निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा और उन्हें चूसने लगा। उसकी चीखें छत पर गूंज रही थीं। “चाचा, मेरी चूचियां चूस, और जोर से!” नेहा ने चीखकर कहा और मेरे बालों को खींच लिया। मैंने उसकी शॉर्ट्स और पैंटी को एक साथ खींचकर फेंक दिया। उसकी चिकनी, गीली चूत मेरे सामने थी, उसका रस बारिश की बूंदों सा टपक रहा था। “नेहा, तेरी चूत तो जलता अंगारा है,” मैंने कहा और अपनी उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मैं सिहर उठा।
“हाय चाचा, मेरी चूत तेरे लिए पिघल रही है!” नेहा ने चीखा और उसकी गांड उछलने लगी। मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा, मेरी जीभ उसके चूत के दाने को सहला रही थी। उसकी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “चाचा, मेरी चूत चाट, इसे अपने प्यार से तर कर दे!” नेहा चिल्ला रही थी, और उसकी चूत रस से लबालब हो गई। मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डालीं और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी सिसकियां सुख की चीखों में बदल गईं।
मैंने अपना कुरता और पायजामा उतार फेंका। मेरा मोटा, 9 इंच का लंड उसके सामने तनकर खड़ा था, उसकी नसें उभरी हुई थीं। नेहा ने मेरे लंड को देखा, और उसकी आँखें लालच से चमक उठीं। “वाह चाचा, तेरा लंड तो मेरी चूत का बादशाह है!” उसने मादक अंदाज में कहा और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों में थाम लिया। उसने मेरे लंड को प्यार से सहलाया और फिर अपने गुलाबी होंठों से उसे चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे पर नाच रही थी, और मेरी सांसें थम रही थीं। “नेहा, तू मेरे लंड को स्वर्ग दिखा रही है,” मैंने गुर्राया और उसके बालों को जकड़ लिया।
नेहा ने मेरे लंड को चूसकर गीला कर दिया और फिर खटिया पर लेट गई। उसकी चूत रस से चमक रही थी, और उसकी गोल गांड मेरे सामने थी। “चाचा, मेरी जलती चूत में अपना तगड़ा लंड डाल और मुझे चोद डाल!” उसने चीखकर कहा और अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने नेहा की चूतड़ों पर चटाक-चटाक थप्पड़ मारे और अपनी उंगलियां उसकी चूत में डालकर उसे और गीला किया। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड की बेगम है,” मैंने कहा और अपना मोटा लंड उसकी चूत में एक धक्के से पेल दिया।
नेहा की चीख रात के सन्नाटे को चीर गई। “हाय मर गई! तेरा लंड मेरी चूत को चीर देगा!” उसने चिल्लाया, लेकिन उसकी चूत मेरे लंड को लय में समा रही थी। मैंने नेहा की चूचियों को थामा और उसकी चूत को जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उसकी चूत रस छोड़ रही थी, और उसकी चीखें छत पर गूंज रही थीं। “चोद मुझे, चाचा! मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे!” नेहा चिल्ला रही थी, और मेरा लंड उसकी चूत में तहलका मचा रहा था।
मैंने नेहा को खटिया से उठाया और छत की दीवार के सहारे खड़ा किया। मैंने उसकी एक टांग उठाई और उसकी चूत में फिर से अपना लंड ठूंस दिया। उसकी चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “चाचा, तेरा लंड मेरी चूत का जादू है!” उसने चीखा और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैंने उसकी चूत में गहरे धक्के मारे और उसकी चूतड़ों को जोर-जोर से मसला। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड का मंदिर है,” मैंने गुर्राया और उसकी चूत में और गहरा धक्का मारा।
अब मेरी नजर नेहा की मटकती गांड पर थी। मैंने उसे खटिया पर उल्टा लिटाया और उसकी गांड को देखकर पागल हो गया। “नेहा, तेरी गांड तो चांदनी रात है,” मैंने मस्ती भरे अंदाज में कहा और उसकी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए। मैंने उसकी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया और उसकी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “चाचा, मेरी गांड में मत डाल, मैं बिखर जाऊंगी!” नेहा ने सिसकते हुए कहा, लेकिन उसकी गांड मेरे लंड की भूखी थी।
मैंने अपने लंड को नेहा की चूत के रस से चिकना किया और धीरे से उसकी टाइट गांड में डाला। नेहा की चीख सितारों तक पहुंच गई। “हाय राम! तेरा लंड मेरी गांड फाड़ देगा!” उसने चिल्लाया, लेकिन उसकी गांड अब मेरे लंड को लय में ले रही थी। मैंने नेहा की चूचियों को पीछे से पकड़ा और उसकी गांड को जोर-जोर से चोदा। हर धक्के के साथ उसकी चूत रस टपका रही थी, और उसकी गांड मेरे लंड को निगल रही थी। “चोद मेरी गांड, चाचा! मेरी चूत और गांड दोनों तेरे लंड की दीवानी हैं!” नेहा चिल्ला रही थी।
रात के 2 बजे थे, और बारिश की बूंदें हमारी चुदाई का साथ दे रही थीं। मैंने नेहा को अपनी गोद में उठाया और खटिया के किनारे चोदने लगा। उसकी चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “चाचा, तू मेरी चूत और गांड का सुल्तान है,” नेहा ने सिसकते हुए कहा और मेरे होंठों को चूसने लगी। मेरा लंड अब फटने को था। मैंने उसकी चूत में आखिरी धक्का मारा और कंडोम में अपना गर्म माल उड़ेल दिया। नेहा की चूत रस से लबालब हो गई, और उसकी सिसकियां सुख की लहरों में डूब गईं।
हम दोनों पसीने से भीगे खटिया पर ढेर हो गए, हमारी सांसें एक-दूसरे में उलझी थीं। मैंने नेहा की चूचियों को फिर से सहलाया और बोला, “नेहा, तू सच्ची चुदक्कड़ है, तूने मुझे जन्नत दिखा दी।” नेहा ने मेरे लंड को चूमा और कहा, “चाचा, तू मेरा असली मर्द है। जब तक मैं गाँव में हूं, मेरी चूत और गांड तेरे लंड की गुलाम रहेंगी।”
एक तड़कता ट्विस्ट
कुछ दिन बाद, मेरी एक पुरानी दोस्त, कमला, जो गाँव में रहती थी, हवेली आई। एक रात, जब मैं और नेहा चुदाई में डूबे थे, कमला ने हमें देख लिया। मैं घबरा गया, लेकिन नेहा ने हंसते हुए कहा, “चाचा, कमला आंटी को भी मजे दो!” कमला ने अपनी साड़ी उतार दी, और मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला, जबकि नेहा ने कमला की चूचियां चूसीं। हम तीनों ने मिलकर ऐसी चुदाई की कि हवेली की दीवारें कांप उठीं। “चोदो हमें, रमेश! हमारी चूत और गांड दोनों ले लो!” वे चिल्ला रही थीं। उस रात, नेहा और कमला ने वो सुख पाया जो अनजाना था।
गाँव की रातों का जादू
अब नेहा और कमला मेरे साथ हर रात चुदाई का उत्सव मनाती थीं। एक बार, गाँव का एक जवान लड़का, मोहन, जो कमला का रिश्तेदार था, हमारी चुदाई में शामिल हो गया। मैंने नेहा की चूत चोदी, और मोहन ने कमला की गांड। हम चारों ने मिलकर ऐसी चुदाई की कि खटिया चरमरा उठी। “चोदो हमें, रमेश! हमारी चूत और गांड तेरे तगड़े लंड की भूखी हैं!” वे चिल्ला रही थीं।
नेहा की चुदक्कड़ हरकतों ने गाँव की रातों को आग बना दिया। मैं दिन में उसका चाचा था, और रात में उसका मालिक। उसकी चूत और गांड की प्यास हर रात बुझती थी, और मैं अपनी मर्दानगी का पूरा रंग जमा रहा था।