देर रात ससुर जी ने मेरी चूत फाड़ दी

Sasur Bahu Sex Story : राजस्थान के एक गाँव में, जहाँ रेत के टीलों और पुरानी हवेलियों का जादू बिखरा रहता था, मैं, प्रिया, अपने ससुराल में रहती थी। मैं 26 साल की थी, गोरी, लंबे बालों वाली, और ऐसी फिगर वाली कि गाँव के मर्द मेरी एक झलक के लिए तरसते थे। मेरी टाइट साड़ी मेरे भरे हुए बूब्स और गोल चूतड़ को और उभारती थी। मेरा पति, विनोद, 30 साल का, ट्रक ड्राइवर था और हफ्तों घर से बाहर रहता था। मेरी वासना की आग बेकाबू हो रही थी, और मेरे ससुर, हरिसिंह, 52 साल के, मज़बूत जिस्म और गहरी नज़रों वाले मर्द, मेरी इस आग को भाँप चुके थे। एक देर रात, उन्होंने मेरी चूत की ऐसी चुदाई की कि मेरी सारी हवस मिट गई।

उस रात गाँव में सन्नाटा था। आसमान में बादल छाए थे, और हल्की-हल्की बारिश की फुहारें पड़ रही थीं। मैं अपने कमरे में अकेली थी, पतली साड़ी में, जिसका पल्लू बार-बार मेरी चूचियों से सरक रहा था। मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी, और मैं बेचैन होकर बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। हरिसिंह, सिर्फ धोती और बनियान में, मेरे कमरे के दरवाज़े पर आए। उनकी नज़रें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। “प्रिया, नींद नहीं आ रही?” उन्होंने गहरी आवाज़ में पूछा। मैंने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया, “ससुर जी, मेरी चूत में आग लगी है, कोई बुझाने वाला नहीं।” मेरी बात सुनकर उनकी आँखों में चमक आ गई, और उनका लंड धोती में तन गया।

हरिसिंह ने दरवाज़ा बंद किया और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गए। उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों को चूम लिया। उनका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी साँसें रुक गईं। मैंने उनकी बनियान पकड़कर उन्हें और करीब खींच लिया। “ससुर जी, तेरे होंठ कितने गर्म हैं,” मैंने सिसकते हुए कहा। उन्होंने जवाब दिया, “प्रिया, तेरी चूत की आग मैं बुझाऊँगा।” उनकी बात ने मेरी चूत को और गीला कर दिया। मैंने उनकी धोती में हाथ डाला और उनके मोटे लंड को पकड़ लिया। “ससुर जी, तेरा लंड तो मेरी चूत के लिए बना है,” मैंने शरारत से कहा।

हरिसिंह ने मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। मेरा ब्लाउज़ मेरी चूचियों को मुश्किल से समेटे था। उन्होंने ब्लाउज़ के बटन खोले और मेरी काली ब्रा देखकर उनकी साँसें तेज़ हो गईं। ब्रा का हुक खुलते ही मेरी भारी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। उन्होंने मेरे बूब्स को दोनों हाथों से दबाया, निप्पल्स को चूसा, और धीरे से काटा। “प्रिया, तेरी चूचियाँ कितनी रसीली हैं,” उन्होंने कराहते हुए कहा। मेरी सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगीं। मैंने अपनी जांघें चौड़ी कीं, और हरिसिंह ने मेरी साड़ी ऊपर उठाकर मेरी चूत को पेटीकोट के ऊपर से सहलाया। मेरी चूत पहले ही गीली थी, और उनकी उंगलियों ने मेरी वासना को और भड़का दिया।

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मैंने हरिसिंह की धोती खोल दी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने था। “ससुर जी, ये तो पत्थर जैसा सख्त है,” मैंने कहा और उसे अपने हाथों में लेकर सहलाया। मैंने उनके लंड को अपने होंठों से चूमा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। हरिसिंह की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उन्होंने मेरे बाल पकड़कर मुझे और गहरे तक चूसने को कहा। उनकी गर्मी मेरे मुँह में फैल रही थी, और मेरी चूत चुदाई के लिए तड़प रही थी। “प्रिया, तू तो मेरे लंड की रानी है,” उन्होंने गहरी आवाज़ में कहा। मैंने जवाब दिया, “ससुर जी, अब मेरी चूत को चोद दो।”

हरिसिंह ने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। मेरी काली पैंटी मेरी गीली चूत से चिपक चुकी थी। उन्होंने पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, उसे धीरे-धीरे रगड़ते हुए। “तेरी चूत कितनी टाइट और गीली है,” उन्होंने फुसफुसाया। मैंने कराहते हुए कहा, “ससुर जी, अपने लंड से मेरी चूत फाड़ दो।” उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी जांघें चौड़ी कीं। उनका मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा, और फिर धीरे से अंदर घुस गया। मैंने एक ज़ोरदार चीख मारी, क्योंकि उनका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था। “आह, ससुर जी, दर्द हो रहा है,” मैंने सिसकते हुए कहा।

हरिसिंह ने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। “प्रिया, थोड़ा दर्द सह ले, फिर मज़ा आएगा,” उन्होंने कहा। उनका लंड मेरी चूत की गहराई को छू रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था, और मेरी सिसकियाँ अब कामुक कराह में तब्दील हो गई थीं। हरिसिंह ने रफ्तार बढ़ा दी, और उनकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरा जिस्म हिल रहा था। “ससुर जी, मेरी चूत को और चोदो,” मैंने कराहते हुए कहा। उन्होंने मेरी चूचियाँ फिर से दबाईं और उन्हें चूसने लगे, जिससे मेरी चूत और गीली हो गई।

तभी हरिसिंह का भाई, किशन, 48 साल का, मज़बूत और चालाक मर्द, कमरे में आ गया। उसने हमें देखा और हँसते हुए बोला, “प्रिया, मुझे भी मज़ा चाहिए।” मैं पहले घबरा गई, लेकिन मेरी चूत की भूख ने मुझे बोल्ड बना दिया। “आ जा, किशन जी, मेरी गांड और मुँह बाकी हैं,” मैंने सेक्सी अंदाज़ में कहा। हरिसिंह ने किशन को पास बुलाया, और दोनों ने मुझे अपनी वासना का शिकार बनाया। किशन ने मेरी गांड को सहलाया और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी रसभरी है,” उसने कहा, और अपनी उंगली मेरी गांड में डाली।

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मेरी सिसकियाँ और तेज़ हो गईं। “किशन जी, मेरी गांड भी चोदो,” मैंने कराहते हुए कहा। हरिसिंह मेरी चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चला रहे थे, जबकि किशन ने अपनी धोती उतारी और अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ा। उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मेरी ज़ोरदार चीख निकली। “आह, धीरे,” मैंने सिसकते हुए कहा, लेकिन किशन ने और ज़ोर से धक्का मारा। “रंडी, तेरी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” उसने कहा, और मैंने जवाब दिया, “तो चोद दे, मेरी गांड को।”

अब मेरे जिस्म में दो लंड थे—हरिसिंह का लंड मेरी चूत को चोद रहा था, और किशन का लंड मेरी गांड को। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैंने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” मैंने सिसकते हुए कहा। हरिसिंह ने मेरे होंठों को फिर से चूमा, मेरी जीभ को चूसते हुए, और किशन ने मेरी चूचियाँ दबाईं। मेरा जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था। मेरी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में गूंज रही थीं, और बारिश की फुहारें माहौल को और कामुक बना रही थीं।

तभी गाँव का एक और मर्द, भोला, 40 साल का, मज़बूत और अनुभवी, कमरे में आया। उसने मेरी चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “प्रिया, मुझे भी मज़ा दे,” उसने गहरी आवाज़ में कहा। मैंने उसे एक सेक्सी नज़र दी और बोली, “भोला जी, मेरे मुँह में जगह है।” भोला ने अपनी धोती उतारी और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चूसना शुरू किया, मेरी जीभ से उसके लंड को सहलाते हुए। भोला की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने मेरे बाल पकड़कर मुझे और तेज़ी से चूसने को कहा। “साली, तू तो मेरे लंड की दीवानी है,” उसने बोला।

हरिसिंह अब मेरी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहे थे, उनका लंड हर धक्के में मेरी चूत की गहराई को छू रहा था। किशन ने मेरी गांड में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और मेरी सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। भोला ने मेरे मुँह में अपने लंड को और गहरे तक डाला, और मैंने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा लंड कितना मस्त लग रहा है,” भोला ने कराहते हुए कहा। मेरा जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था, और मेरी चूत की चुदाई चरम पर थी।

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हमारी चुदाई रातभर चली। मेरी चूत, गांड, और मुँह तीनों उनके लंड से भरे थे। हरिसिंह ने मेरी चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार मेरी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। किशन ने मेरी गांड में अपने रस छोड़े, और भोला ने मेरे मुँह से लंड निकालकर मेरी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। मेरा जिस्म पसीने और तृप्ति से गीला था, और मेरी चूत की आग पूरी तरह बुझ चुकी थी।

सुबह होने से पहले हरिसिंह ने मुझे अपनी बाहों में लिया और फुसफुसाया, “प्रिया, तेरी चूत फाड़ने का मज़ा ही अलग था।” मैंने एक शरारती मुस्कान दी और बोली, “ससुर जी, मेरी चूत और गांड अब तुम्हारी गुलाम हैं।” हमने कपड़े ठीक किए और चुपके से अपने कमरों में चले गए। सुबह जब मैं हरिसिंह से मिली, तो उनकी आँखों में वही भूख थी, और मेरी चूत फिर से सुलगने लगी।

सुबह के नाश्ते पर मेरे जिस्म पर चुदाई के हल्के निशान थे—मेरी चूचियों और चूतड़ पर लाल निशान उस रात की कहानी बयान कर रहे थे। मैंने हरिसिंह को एक चोर नज़र से देखा, और उनकी मुस्कान ने बता दिया कि ये चुदाई का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ था।