दीदी की वासना को शांत किया

Bahan Bhai Sex Kahani – मैं, अमन, 22 साल का एक जवान और फिट लड़का, दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहता था। मेरी राखी दीदी, शिखा, 28 साल की एक गोरी और सेक्सी औरत थीं, जो हमारे पड़ोस में रहती थीं। शिखा दीदी की शादी को पांच साल हो चुके थे, लेकिन उनका पति ज्यादातर विदेश में रहता था, जिसके चलते वो अक्सर अकेली रहती थीं। दीदी की लंबी काली जुल्फें, भरे हुए चूचे, और पतली कमर किसी को भी दीवाना बना सकती थी। हर रक्षाबंधन पर वो मुझे राखी बांधती थीं, लेकिन मेरे मन में उनके लिए हमेशा एक अलग ही आकर्षण था। उनकी भूखी नजरें और कामुक मुस्कान मुझे रातों को जगा देती थीं।

उस दिन शाम का समय था। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के घर गए थे, और मैं घर पर अकेला था। गर्मी की वजह से मैंने सिर्फ एक बनियान और शॉर्ट्स पहने थे। अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने शिखा दीदी खड़ी थीं। उन्होंने एक टाइट लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें उनकी क्लीवेज और चूतड़ साफ दिख रहे थे। “अमन, तेरा भाई-भाभी घर पर हैं?” उन्होंने अपनी मधुर आवाज में पूछा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं दीदी, वो बाहर गए हैं। लेकिन आप अंदर आ जाओ।”

दीदी अंदर आईं और सोफे पर बैठ गईं। मैं उनके लिए पानी लाया, और जानबूझकर उनके सामने झुका, ताकि मेरी मस्कुलर बाहें और छाती उन्हें दिखे। उनकी नजरें मेरे शरीर पर ठहर गईं, और उनकी सांसें भारी हो गईं। “अमन, तू तो अब बड़ा मर्द हो गया है,” उन्होंने शरारती अंदाज में कहा। मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “दीदी, आप भी तो दिन-ब-दिन और हॉट होती जा रही हो।” मेरी बात सुनकर उनका चेहरा लाल हो गया, लेकिन उनकी आंखों में एक कामुक चमक थी।

मैं उनके बगल में बैठ गया। हमारी जांघें एक-दूसरे को छू रही थीं। “दीदी, आप अकेले इतना समय कैसे काटती हो?” मैंने धीरे से पूछा। उन्होंने आह भरते हुए कहा, “अमन, औरत की वासना को कोई नहीं समझता। मेरा पति साल में दो बार आता है, और मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं।” उनकी बात सुनकर मेरा लंड तन गया। मैंने उनकी आंखों में देखा और फुसफुसाया, “दीदी, अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी वो आग बुझा सकता हूं।”

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दीदी की सांसें रुक गईं। उन्होंने मेरी तरफ देखा और धीरे से मेरी जांघ पर हाथ रखा। “अमन, तू सचमुच मेरी वासना शांत करना चाहता है?” मैंने जवाब देने की बजाय उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। मेरी जीभ उनकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी साड़ी के ऊपर से उनके चूचों पर चले गए। “अमन, मेरी चूत को चोद… मुझे तेरे लंड की सैर चाहिए,” दीदी कातरते हुए बोलीं।

मैंने उनकी साड़ी को खींचकर उतार दिया। उनकी काली ब्रा और पैंटी में उनकी गोरी देह चमक रही थी। मैंने उनकी ब्रा खींचकर फेंक दी, और उनके शक्त निप्पल मेरे मुंह में ले लिए। मैं उन्हें जोर-जोर से चूसने लगा, और दीदी सिसकारियां लेने लगीं, “आह… अमन, मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे।” मैंने उनकी पैंटी उतारी, और उनकी चिकनी, भरी हुई चूत मेरे सामने थी। मेरी उंगलियां उनकी चूत पर फिसलने लगीं, और उनका रस मेरे हाथों पर चिपक गया।

“तेरी चूत तो पहले से ही टपक रही है, दीदी,” मैंने कहा और अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर रख दी। दीदी चीख पड़ीं, “आह… चाट ले मेरी चूत को… और जोर से!” मेरी जीभ उनकी चूत की गहराइयों में थी, और उनका शरीर हर चाट पर कांप रहा था। उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे और गहराई में दबाया। मैंने उनकी चूत का रस चाट-चाटकर उन्हें पागल कर दिया। दीदी ने कराहते हुए कहा, “अमन, अब मेरी चूत में तेरा लंड डाल… मुझे चोद दे!”

मैंने अपनी बनियान और शॉर्ट्स उतारे, और मेरा मोटा, तना हुआ लंड उनके सामने था। दीदी की आंखें चमक उठीं। “अमन, तेरा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है,” उन्होंने हंसते हुए कहा और मेरे लंड को अपने हाथ में लिया। उन्होंने इसके टोपे को चाटना शुरू किया, और उनकी जीभ मेरी नसों पर नाचने लगी। “आह… दीदी, तेरा मुंह तो जन्नत है,” मैं सिसकते हुए बोला। उन्होंने मेरा लंड गहराई तक अपने मुंह में लिया, और मैं उनके चूचों को दबाने लगा।

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मैंने दीदी को सोफे पर लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। धीरे-धीरे मैंने इसे अंदर धकेला। “आह… अमन, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है,” दीदी कराहते हुए बोलीं। मैंने उनकी चूतड़ पकड़ लिए और उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उनकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी, और उनके चूचे हवा में उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा, और दीदी चीख पड़ीं, “और जोर से, अमन… मेरी चूत को रगड़ दे!”

मैंने उन्हें पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उनकी गांड मेरे सामने थी, और मैंने उस पर एक चपत मारी। “तेरी ये सेक्सी गांड… इसे भी चोदना है,” मैंने कहा। दीदी ने हंसते हुए जवाब दिया, “तो चोद ना, अमन… मेरी गांड तेरी है।” मैंने अपनी उंगलियां उनकी चूत के रस से गीली कीं और उनकी टाइट गांड में डालीं। दीदी सिसकारीं, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला। मैंने अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा लंड मेरी गांड को चीर रहा है!” दीदी चीखीं, लेकिन उनकी आवाज में सुख की लहर थी।

मेरी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी, और मेरा लंड उनकी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और उनकी चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रही थीं। मैंने उन्हें फिर से पलटाया और उनकी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरा लंड उनकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। “तेरी चूत इतनी टाइट है, दीदी… मैं झड़ने वाला हूं,” मैंने कराहते हुए कहा। दीदी ने अपनी चूत को और सिकोड़ा और बोलीं, “मेरे अंदर झड़, अमन… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”

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मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उनकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उनकी चूत में भर गया। दीदी भी उसी पल झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उनकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हंसा, “दीदी, तेरी वासना ने मुझे पागल कर दिया।”

दीदी ने मेरे चूतड़ पर हल्के से थपकी दी और बोलीं, “अमन, तेरा लंड मेरी चूत की प्यास बुझाने के लिए ही बना है।” उस रात के बाद, शिखा दीदी और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी उनका पति विदेश में होता, दीदी मेरे पास आतीं। उनकी भूखी नजरें और मेरे लंड का जुनून एक-दूसरे के लिए तड़पने लगा। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, दीदी की चूत की गर्मी मेरे दिमाग में घूमने लगती थी।

अगली सुबह, जब मैं किचन में चाय बना रहा था, दीदी फिर से आईं। “अमन, मेरी चूत फिर से तड़प रही है,” उन्होंने फुसफुसाया और मुझे काउंटर पर झुकाकर फिर से चोदना शुरू कर दिया। हमारी चुदाई की वो आग कभी बुझने वाली नहीं थी।