किसान ने मुझे खेत में चोदा

आप यह कहानी Nonveg Story Dot Com पर पढ़ रहे हैं। मैं, रिया, 25 साल की, दिल्ली की एक मॉडर्न लड़की, अपने गाँव की छुट्टियों में खेतों की सैर करने निकली थी। मेरी टाइट जीन्स और शॉर्ट टॉप में उभरती चूचियाँ और मटकती गांड हर मर्द की नज़रों को खींच रही थी। गाँव के खेतों में हवा की सरसराहट और धूप की गर्मी मेरे जिस्म को बेकरार कर रही थी। तभी एक किसान, रमेश, 30 साल का, मज़बूत जिस्म और काली आँखों वाला, मुझे खेत में मिला। उसकी शरारती नज़रों ने मेरी चूत में आग लगा दी, और उसने मुझे खेत में चोदकर मेरी हवस तृप्त कर दी।

उस दोपहर खेत सुनसान थे। मैं एक पेड़ की छाँव में बैठी थी, जब रमेश अपने कंधे पर फावड़ा लिए मेरे पास आया। “मेमसाहब, खेत में अकेले क्या कर रही हो?” उसने शरारत से पूछा। मैंने होंठ चाटे और जवाब दिया, “रमेश, मेरी चूत की गर्मी बुझाने वाला चाहिए।” मेरी बोल्ड बात सुनकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने फावड़ा फेंका और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूम लिया। उसका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी साँसें रुक गईं। उसकी जीभ मेरे होंठों से खेल रही थी, और मैंने उसकी कमीज पकड़कर उसे और करीब खींच लिया।

रमेश ने मेरे टॉप के बटन खोले, और मेरी लाल ब्रा में कैद चूचियाँ सामने आईं। उसने ब्रा का हुक खोला, और मेरे भरे हुए बूब्स आज़ाद हो गए। “मेमसाहब, तेरी चूचियाँ तो रस से भरी हैं,” उसने कराहते हुए कहा। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। मेरी सिसकियाँ खेत में गूंजने लगीं। मैंने अपनी जीन्स का बटन खोला, और रमेश ने उसे नीचे खींचकर मेरी लाल पैंटी देखी। मेरी चूत पहले ही गीली थी, और उसने पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया। “रमेश, मेरी चूत को चोद दे,” मैंने सिसकते हुए कहा।

उसने मेरी पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, धीरे-धीरे रगड़ते हुए। “तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए तड़प रही है,” उसने फुसफुसाया। मैंने कराहते हुए जवाब दिया, “रमेश, अपने लंड से मेरी चूत चोद दे।” उसने मुझे गेहूँ के ढेर पर लिटाया और मेरी जांघें चौड़ी कीं। उसने अपनी धोती उतारी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था, 8 इंच का, सख्त और गर्म। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, और मैं सिसकियाँ लेने लगी। फिर उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मेरी ज़ोरदार चीख निकली।

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उसका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था। “रमेश, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। दर्द मज़े में बदल गया, और मेरी सिसकियाँ कामुक कराह में तब्दील हो गईं। रमेश ने रफ्तार बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई को छू रहा था। “तेरी चूत चोदने का मज़ा ही अलग है,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “रमेश, मेरी चूत को और चोद, इसे तृप्त कर दे।” उसने मेरी चूचियाँ फिर से चूसीं, और मेरी चूत और गीली हो गई।

रमेश ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड को सहलाया। “मेमसाहब, तेरी गांड भी चोदूँगा,” उसने शरारत से कहा। मैंने सिसकते हुए जवाब दिया, “रमेश, मेरी गांड भी ले ले, बस मेरी हवस मिटा दे।” उसने अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। मेरी ज़ोरदार चीख निकली, “धीरे, मेरी गांड फट जाएगी।” उसने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और मेरी गांड उसके लंड को निगल रही थी। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मैं सिसकियाँ ले रही थी, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं।

तभी रमेश का दोस्त, सुरेश, 32 साल का, मज़बूत और शरारती, खेत में आया। उसने हमें देखा और हँसते हुए बोला, “रमेश, मेमसाहब का मज़ा ले रहा है, मुझे भी शामिल कर।” मैंने बोल्ड अंदाज़ में कहा, “आ जा, सुरेश, मेरे मुँह में जगह है।” रमेश ने सुरेश को पास बुलाया, और उसने अपनी धोती उतारी। उसका मोटा लंड मेरे सामने था। उसने मेरे मुँह में लंड डाला, और मैं उसे चूसने लगी। मेरी जीभ उसके सिरे पर नाच रही थी, और उसकी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। रमेश मेरी गांड चोद रहा था, और मेरा जिस्म दो लंडों से भरा था।

रमेश ने मेरी गांड में और तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चीखें खेत में गूंज रही थीं। सुरेश ने मेरे मुँह में अपने लंड को और गहरे तक डाला, और मैं सिसकते हुए उसे चूस रही थी। “मेमसाहब, तू तो लंड की दीवानी है,” सुरेश ने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “हाँ, मैं तुम दोनों के लंड की गुलाम हूँ।” रमेश ने मेरी चूचियाँ कस के दबाईं, और मेरी गांड उसके लंड को निचोड़ रही थी। मैंने कराहते हुए कहा, “रमेश, मेरी चूत में फिर से चोद।” उसने मुझे पलटा और मेरी चूत में लंड डाल दिया, ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।

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सुरेश ने मेरी गांड में अपना लंड डाला, और मेरी चीखें और तेज़ हो गईं। “सुरेश, मेरी गांड को चोद दे,” मैंने सिसकते हुए कहा। अब मेरे जिस्म में दो लंड थे—रमेश की चूत में और सुरेश की गांड में। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैंने दोनों को कस के पकड़ लिया। रमेश ने मेरे होंठों को चूमा, मेरी जीभ को चूसते हुए, और सुरेश ने मेरी चूचियाँ दबाईं। मेरा जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था। खेत की मिट्टी की खुशबू और हमारी सिसकियाँ माहौल को और कामुक बना रही थीं।

रमेश की चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरा जिस्म थरथरा रहा था। सुरेश का लंड मेरी गांड को गहरे तक चोद रहा था, और मेरी सिसकियाँ चीखों में बदल गई थीं। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” मैंने चीखते हुए कहा। रमेश ने मेरी चूत में और तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “मेमसाहब, मेरी चूत में छोड़ दूँ?” रमेश ने पूछा। मैंने कराहते हुए कहा, “हाँ, मेरी चूत में छोड़ दे।” उसने मेरी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी, और सुरेश ने मेरी गांड में अपने रस बिखेरे।

दोनों ने मुझे गेहूँ के ढेर पर लिटाया, और रमेश ने मेरी चूचियाँ फिर से चूसीं। “मेमसाहब, तेरी चूत और गांड ने हमें दीवाना कर दिया,” उसने कहा। मैंने सिसकते हुए जवाब दिया, “रमेश, तुमने मेरी हवस तृप्त कर दी।” सुरेश ने मेरे मुँह में फिर से लंड डाला, और मैंने उसे चूसकर साफ किया। हमारी चुदाई सूरज ढलने तक चली। रमेश और सुरेश ने बारी-बारी से मेरी चूत और गांड को चोदा, और मेरी चूचियाँ उनके दाँतों और हाथों से लाल हो गईं।

सूरज ढलने के बाद हमने कपड़े ठीक किए। मेरे जिस्म पर चुदाई के निशान थे—मेरी चूचियों पर रमेश के दाँतों के निशान और मेरी गांड पर सुरेश के थप्पड़ों के लाल निशान। रमेश ने मुझे एक शरारती मुस्कान दी और बोला, “मेमसाहब, फिर खेत में आना।” मैंने हँसकर जवाब दिया, “रमेश, मेरी चूत और गांड तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई।” मैंने खेत छोड़ा, लेकिन मेरी चूत फिर से रमेश के लंड के लिए तड़प रही थी।

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अगले दिन मैं फिर खेत गई। रमेश अकेला था, और उसने मुझे एक गन्ने के खेत में खींच लिया। उसने मेरी स्कर्ट ऊपर उठाई और मेरी चूत में उंगलियाँ डालीं। “मेमसाहब, तेरी चूत अभी भी गीली है,” उसने फुसफुसाया। मैंने कराहते हुए कहा, “रमेश, मेरी चूत को फिर चोद।” उसने मुझे गन्ने के बीच लिटाया और मेरी चूत में लंड डाल दिया। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरी सिसकियाँ खेत में गूंजने लगीं। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं और मेरी चूत में फिर से अपनी गर्मी छोड़ दी।

रमेश के साथ मेरी चुदाई का सिलसिला हर दिन चला। उसका मोटा लंड मेरी चूत और गांड को तृप्त करता था। मेरे जिस्म पर चुदाई के निशान—मेरी चूचियों पर उसके दाँतों के निशान और मेरी गांड पर उसके थप्पड़ों के लाल निशान—हमारी हवस की कहानी बयान करते थे। एक दिन सुरेश फिर से आया, और दोनों ने मिलकर मेरी चूत और गांड को चोदा। “मेमसाहब, तू हमारी रानी है,” रमेश ने कहा। मैंने जवाब दिया, “रमेश, मेरी चूत और गांड तुम दोनों के लंड की गुलाम हैं।”

मेरी गाँव की छुट्टियाँ खत्म होने तक रमेश और सुरेश ने मुझे हर खेत में चोदा। उनकी चुदाई ने मेरी हवस को नई ऊँचाइयाँ दीं। मैं दिल्ली लौटी, लेकिन मेरी चूत और गांड रमेश के मोटे लंड की तड़प में रहती थी। मैं जानती थी कि अगली छुट्टियों में मैं फिर खेत जाऊँगी, और रमेश का लंड मेरी चूत को फिर से तृप्त करेगा।

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