मेरे पापा की करतूत जानकर आप हैरान होंगे

मैं, 22 साल का एक जवान और फिट लड़का, दिल्ली के एक पॉश इलाके में अपने मम्मी-पापा के साथ रहता था। मेरा नाम अर्जुन है, और मेरी मम्मी, रीता, 40 साल की एक खूबसूरत औरत थीं, जिनकी गोरी त्वचा, भरे हुए चूचे, और कसी हुई कमर किसी को भी दीवाना बना सकती थी। मेरे पापा, राकेश, 45 साल के एक मज़बूत और हैंडसम बिजनेसमैन थे, जिनकी गहरी आवाज़ और भारी-भरकम शख्सियत हर किसी को प्रभावित करती थी। लेकिन पापा की एक ऐसी करतूत थी, जिसे जानकर मैं हैरान रह गया—और वो करतूत थी उनकी पड़ोस की जवान लड़की, नेहा, के साथ गुप्त चुदाई। ये कहानी उस रात की है, जब मैंने पापा की इस वासना को अपनी आँखों से देखा और खुद भी उस आग में जल उठा।

उस रात मम्मी अपने मायके गई थीं, और मैं अपने दोस्त के घर से देर रात लौटा था। घर में सन्नाटा था, और मैंने सोचा कि पापा सो गए होंगे। लेकिन जैसे ही मैं अपने कमरे की ओर बढ़ा, मुझे पापा के बेडरूम से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं—किसी की सिसकारियां और बिस्तर की चरमराहट। मैंने धीरे से दरवाजे की झिरी से झांका, और जो देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। पापा पूरी तरह नंगे थे, और उनके नीचे नेहा, 20 साल की हमारी पड़ोसन, अपनी टांगें फैलाए सिसक रही थी। नेहा की टाइट चूत में पापा का मोटा लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और नेहा की चीखें कमरे में गूंज रही थीं, “आह… अंकल, और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो!” पापा नेहा के चूचों को जोर-जोर से दबा रहे थे, और उनकी रफ्तार इतनी तेज थी कि बिस्तर हिल रहा था।

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मैं स्तब्ध था, लेकिन मेरे लंड ने मुझे धोखा दे दिया। वो तनकर खड़ा हो गया, और मेरी सांसें भारी होने लगीं। नेहा की गोरी देह, उसके उछलते चूचे, और पापा का मर्दाना शरीर मुझे उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया, लेकिन तभी पापा की नजर मुझ पर पड़ी। मैं डर गया, लेकिन पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अर्जुन, इधर आ… देख क्या रहा है, आजा और मज़ा ले।” मैं हक्का-बक्का रह गया। नेहा ने भी मुझे देखा और कातरते हुए बोली, “अर्जुन, आ जा… तेरे पापा का लंड तो स्वर्ग है, तेरा लंड भी आज़माऊंगी।”

मैं बिना कुछ सोचे कमरे में घुस गया। पापा ने नेहा को छोड़ा और मुझे बुलाया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और मेरा तना हुआ लंड नेहा के सामने था। नेहा ने मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और उसे चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर नाच रही थी, और मैं सिसक उठा, “आह… नेहा, तेरा मुंह तो जादू है।” पापा नेहा की गांड पर चपत मारते हुए बोले, “ये रंडी की चूत और गांड दोनों स्वर्ग हैं, बेटा।” मैंने नेहा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ा।

नेहा की चूत पहले से ही पापा के रस से गीली थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक उतर गया। “आह… अर्जुन, तेरा लंड तो तेरे पापा से भी मोटा है!” नेहा चीखी। मैंने उसकी चूत को जोर-जोर से चोदना शुरू किया, और पापा नेहा के मुंह में अपना लंड ठूंस दिया। नेहा एक साथ मेरे लंड की चुदाई और पापा के लंड की चूसाई कर रही थी। कमरे में सिर्फ हमारी सिसकारियां और चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं। मैंने नेहा के चूचों को दबाया, और उसके निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा।

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पापा ने नेहा को पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया और उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया। “आह… अंकल, मेरी गांड फट जाएगी!” नेहा चीखी, लेकिन उसकी आवाज में सुख की लहर थी। मैंने नेहा के सामने घुटनों पर बैठकर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया। उसकी जीभ मेरे लंड को चाट रही थी, और पापा उसकी गांड को जोर-जोर से चोद रहे थे। मैंने नेहा के बाल पकड़ लिए और उसके मुंह को और गहराई में धकेला। “नेहा, तेरा मुंह और चूत दोनों मेरे लंड के लिए बने हैं,” मैं सिसकते हुए बोला।

चुदाई की वो रात घंटों चली। नेहा की चूत और गांड को हम दोनों ने बारी-बारी से चोदा। मैंने उसकी चूत में दो बार रस छोड़ा, और पापा ने उसकी गांड को अपने रस से भर दिया। नेहा की सिसकारियां कमरे में गूंजती रहीं, और हम तीनों पसीने और रस से भीग गए। आखिरकार, हम थककर बिस्तर पर गिर पड़े। नेहा ने मेरी छाती पर सिर रखा और हंसते हुए बोली, “अर्जुन, तेरे पापा और तू दोनों मेरी चूत के राजा हो।” पापा ने हंसते हुए कहा, “बेटा, ये रंडी हमारी गुलाम है, जब मन करे चोद लेना।”

उस रात के बाद, पापा की करतूत मेरे लिए कोई राज़ नहीं रही। नेहा अब हमारे घर की नियमित मेहमान बन गई। जब भी मम्मी घर से बाहर होतीं, नेहा हमारे बिस्तर पर होती। पापा और मैं मिलकर उसकी चूत और गांड की प्यास बुझाते। एक बार तो पापा ने नेहा को किचन में चोदा, जबकि मैंने उसके मुंह में अपना लंड डाला। नेहा की चीखें और हमारी सिसकारियां घर में गूंजती थीं।

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हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। नेहा की चूत और गांड अब मेरे और पापा के लंड की आदी हो चुकी थी। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, नेहा की नंगी देह मेरे दिमाग में घूमने लगती। पापा की वो करतूत, जो पहले मुझे हैरान करती थी, अब मेरे लिए एक नशा बन चुकी थी।

अगली सुबह, जब मैं नाश्ता कर रहा था, नेहा फिर से हमारे घर आई। “अर्जुन, तेरे पापा कहां हैं?” उसने शरारती अंदाज में पूछा। मैंने हंसते हुए कहा, “दीदी, पापा तो ऑफिस गए हैं, लेकिन तेरा भाई तो यहीं है।” नेहा ने मेरी तरफ देखा और बोली, “तो फिर मेरी चूत की प्यास बुझा दे, भाई।” मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया, और हम फिर से चुदाई की उस आग में जल उठे।