टाइट जींस उतारकर लेटी बहन की चुदाई

Bahan Bhai Sex Story: मेरा नाम रोहन है। अब २५ का हो गया हूँ, शहर में अपनी छोटी सी मार्केटिंग की जॉब करता हूँ, शाम को घर आकर थककर गिर जाता हूँ। लेकिन वो एक दिन… वो पल जब रिया ने जैसे ही अपनी टाइट जींस उतारकर लेटी, तभी उसका भाई… मतलब मैं… बस बेकाबू हो गया। आज भी याद करता हूँ तो बदन में एक अजीब सी कंपकंपी दौड़ जाती है, जैसे फिर वही गर्मी महसूस हो रही हो। रिया मेरी छोटी बहन है, उम्र २० की, कॉलेज में सेकंड ईयर। बॉडी उसकी ऐसी कि लड़के पीछे पड़ जाते हैं – गोरी जैसे कोई विदेशी मॉडल, बाल घने काले जो कंधों से नीचे लहराते हैं, चूचियाँ भरी हुईं लेकिन टाइट, कमर इतनी पतली कि हाथ में आ जाए, और गांड… यार गांड तो उसकी जानलेवा है, गोल-गोल, टाइट कपड़ों में हिलती तो लगता है रुक जाऊँ और देखता रहूँ। हम दोनों घर में बहुत क्लोज़ थे हमेशा से। मम्मी-पापा दोनों बैंक में जॉब करते हैं, सुबह निकल जाते, शाम सात-आठ बजे आते। घर पर दिन भर मैं और रिया। वो मुझे भैया कहकर चिढ़ाती, मैं उसे प्यार से गले लगाता या गोद में उठाता। लेकिन पिछले साल से कुछ अजीब सा होने लगा था। रिया बड़ी हो रही थी, उसके कपड़े छोटे होते जा रहे थे। घर में शॉर्ट्स पहनती, टॉप इतने टाइट कि निप्पल्स की शेप दिख जाती। मैं देखता तो लंड खड़ा हो जाता। रात को उसके कमरे के बाहर से गुजरता तो सोचता – अंदर क्या कर रही होगी। गिल्ट होता था भाई, बहन है आखिर, लेकिन वो आकर्षण… वो रोकता नहीं था।

वो दिन था पिछले अगस्त का। बारिश का मौसम, लेकिन उस दिन गर्मी इतनी कि एसी भी कम लग रहा था। मम्मी-पापा ऑफिस गए थे, मैं छुट्टी पर था। रिया कॉलेज से आई तो पूरी पसीने से तर। उसने नीली टाइट जींस पहनी थी, जो उसकी गांड पर इतनी चिपकी हुई कि हर कर्व साफ दिख रहा था, ऊपर व्हाइट क्रॉप टॉप – पेट बाहर, नाभि गहरी। चूचियाँ टॉप में दबी हुईं, लेकिन उछाल मार रही थीं चलते वक्त। वो आई तो बोली, “भैया, मर गई यार गर्मी से। कुछ ठंडा पी लाओ ना।” मैं किचन से कोल्ड ड्रिंक लेकर आया। वो सोफे पर बैठी थी, पैर ऊपर करके। जींस इतनी टाइट कि जाँघें फट जाएँ लग रही थीं। मैंने ग्लास दिया, बैठ गया पास। बातें होने लगीं – कॉलेज की, उसके फ्रेंड्स की। वो हँस रही थी, बालों को कान के पीछे कर रही थी। मेरी नजर उसके पेट पर, नाभि पर अटक गई। लंड पैंट में हल्का सा टाइट होने लगा।

फिर वो उठी, बोली, “भैया, मैं नहा लेती हूँ। बहुत पसीना आ रहा है।” मैंने कहा, “जा।” लेकिन मन में कुछ और था। वो अपने कमरे में गई। मैं टीवी देखने लगा, लेकिन दिमाग नहीं लग रहा था। थोड़ी देर बाद मैं उठा, चुपके से उसके कमरे की तरफ गया। दरवाजा थोड़ा सा खुला था – वो कभी पूरा बंद नहीं करती थी घर में। मैं बाहर खड़ा झाँकने लगा। दिल की धड़कन तेज हो गई। रिया ने जैसे ही अपनी टाइट जींस उतारकर लेटी… वो नजारा मेरी जिंदगी का सबसे गरम पल था। वो खड़ी थी पहले, जींस की बटन खोल रही थी। जींस नीचे सरका रही थी धीरे-धीरे। गांड ऊपर उठी, लाल पैंटी में पूरी गोलाई दिख रही थी। पैंटी थोड़ी सी गांड के बीच में घुसी हुई थी। जाँघें मोटी, चिकनी। जींस पैरों से निकालकर फेंकी, फिर बेड पर लेट गई। पैर फैलाए, हाथ से पेट पर पसीना पोंछ रही थी। टॉप अभी पहने था, लेकिन पसीने से चिपक गया था, निप्पल्स साफ उभर आए थे। पैंटी गीली हो रही थी पसीने से, चूत की गहरी लाइन दिख रही थी। वो आँखें बंद करके साँस ले रही थी, जैसे राहत मिल रही हो।

मैं बाहर खड़ा सब देख रहा था। साँसें तेज, लंड पूरा खड़ा। हाथ अपने आप पैंट पर गया। सोचा – यार रोक, बहन है। लेकिन बदन कंट्रोल में नहीं था। मैंने दरवाजा धीरे से और खोला, अंदर चला गया। रिया की आँखें खुलीं। वो चौंकी, जल्दी से पैर जोड़े, टॉप नीचे खींचा। बोली, “भैया… तू? कब आया?” उसकी आवाज में घबराहट थी, लेकिन आँखें कुछ और कह रही थीं। मैं पास गया, बेड के किनारे बैठ गया। बोला, “रिया… तू… इतनी हॉट कैसे हो गई यार।” वो शर्मा गई, चेहरा लाल। बोली, “भैया… क्या बोल रहे हो? बाहर जाओ ना।” लेकिन आवाज में वो दम नहीं था। मैंने उसकी जाँघ पर हाथ रखा। गर्म त्वचा, चिकनी। वो सिहर गई, लेकिन पैर नहीं हटाया। बोली, “भैया… नहीं… हम भाई-बहन हैं।”

मैंने कहा, “पता है रिया। लेकिन कितने टाइम से तुझे देखता हूँ। रोक नहीं पाता।” मैं करीब सरका, उसका चेहरा हाथ में लिया। उसकी साँसें मेरे मुँह पर लग रही थीं। मैंने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहले हल्के से टच। रिया रुकी, लेकिन फिर उसने भी दबाया। किस शुरू हो गया। गहरा, जीभ से जीभ मिली। उसका स्वाद… मीठा, गरम। मेरे हाथ उसके टॉप के नीचे गए। ब्रा नहीं थी, सीधे चूचियाँ हाथ में आईं। इतनी नरम, इतनी गरम। मैं दबाने लगा। निप्पल्स उँगलियों में चुटकी ली। रिया कराही, “आह भैया… धीरे… दर्द हो रहा है…” लेकिन मुझे और जोश आ गया। मैंने टॉप ऊपर किया, उतारा। चूचियाँ बाहर – बड़े, गोल, गुलाबी निप्पल्स सख्त। मैंने एक मुँह में लिया, चूसा जोर से। रिया की कमर उठ गई, “भैया… आह… मजा आ रहा है… चूसो…”

उसका हाथ मेरी पैंट पर गया। जिप खोली, लंड बाहर निकाला। बोली, “भैया… कितना बड़ा है तेरा… गरम लग रहा है।” सहलाने लगी। मैं पागल हो रहा था। मैं नीचे सरका, उसकी पैंटी पर किस किया। पसीने और उसकी खुशबू की मिली-जुली स्मेल। पैंटी नीचे की। रिया की चूत… गुलाबी, हल्के बाल, पूरी गीली। मैंने जीभ फेरी। क्लिट पर चूसी। रिया तड़प उठी, पैर मेरे कंधों पर रख लिए। “भैया… चाट… आह… तेरी जीभ कमाल है… अंदर डाल…” मैं चाटता रहा, उँगलियाँ अंदर। दो उँगलियाँ आसानी से घुसीं, इतनी तर थी। रिया की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो झड़ गई, रस मेरे मुँह पर। बोली, “भैया… पहली बार ऐसा लगा…”

फिर वो मुझे खींचकर ऊपर लाई। पैर फैलाए, बोली, “भैया… अब डाल… तेरी बहन को चोद…” मैंने लंड सेट किया। टिप चूत पर रगड़ा। रिया कराही, “डाल ना… सह नहीं जा रही…” मैंने धीरे धक्का दिया। चूत टाइट थी, लेकिन गीली। आधा गया। रिया चीखी, “आह… भैया… दर्द… लेकिन रुक मत…” मैंने पूरा एक झटका। पूरा लंड अंदर। रिया की आँखें बंद, नाखून मेरी पीठ में गड़ गए। मैं रुका, फिर धीरे मूव करने लगा। रिया की चूत गरम थी, दीवारें लंड को दबा रही थीं। मजा अलग लेवल का। मैं तेज हुआ। धक्के मारने लगा जोर के। बेड हिल रहा था। रिया बोली, “भैया… जोर से… चोद मुझे… फाड़ दे अपनी बहन की चूत…” मैंने उसे पकड़कर ऊपर-नीचे किया। चूचियाँ मेरे मुँह में।

फिर मैंने उसे पलटा। कुत्ते की तरह। गांड ऊपर की। लाल पैंटी साइड में पड़ी थी। मैंने गांड पर किस किया, थप्पड़ मारा। रिया बोली, “भैया… पीछे से डाल…” मैंने लंड डाला। इस बार और गहरा गया। जोर-जोर से मारा। गांड की थाप-थाप आवाज। रिया तकिया में मुँह दबाकर चिल्ला रही थी, “हाँ भैया… मार… तेरी हूं मैं…” मैंने बाल पकड़े, खींचे। आखिर में झड़ने लगा। बोला, “रिया… अंदर डालूँ?” वो बोली, “हाँ भैया… भर दे मुझे…” मैं अंदर झड़ा। गर्मी फैल गई। रिया भी काँपकर झड़ी। हम गिर पड़े बेड पर, पसीने से तर।

बाद में हम चुप लेटे रहे। रिया मेरे सीने पर सिर रखकर बोली, “भैया… ये सपना तो नहीं ना?” मैंने उसे किस किया, बोला, “नहीं रिया… हकीकत है। और अब रोज होगा।” वो शर्मा गई, लेकिन मुस्कुराई। उस दिन हम तीन बार और किए। एक बार शावर में – पानी के नीचे मैंने उसे दीवार से टिकाकर चोदा, उसकी चूत पानी में और फिसलन वाली हो गई। दूसरी बार किचन में – वो जूस बना रही थी, मैं पीछे से आया, जींस नहीं थी उसने, सिर्फ शॉर्ट्स। शॉर्ट्स नीचे करके डाला। रिया सहारा लेकर खड़ी रही, सिसकारियाँ लेती रही।

उसके बाद तो जैसे आदत पड़ गई। मम्मी-पापा बाहर हों तो हम पूरे दिन एक-दूसरे में खोए रहते। रिया अब जानबूझकर टाइट कपड़े पहनती, मुझे इशारे करती। एक बार रात को मेरे कमरे में आई, पूरी नंगी। बोली, “भैया… आज गांड मारो।” मैंने पहले ऑयल लगाया, धीरे से डाला। रिया दर्द से रोई, लेकिन बोली रुक मत। बाद में मजा आने लगा। वो खुद पीछे धक्के मारने लगी। हमारी जिंदगी बदल गई। गिल्ट होता है कभी – समाज क्या कहेगा, लेकिन वो प्यार, वो हवस… रिया की वो टाइट जींस उतारने वाला पल हमेशा याद रहेगा। अब भी जब वो घर आती है, नजरें मिलती हैं तो समझ जाते हैं – आज रात फिर वही होगा।