मेरा भाई जंगल में पिकनिक के बहाने ले गया फिर क्या हुआ जानिए

Bhai Bahan Ki Chudai: ये है एक गरम और बोल्ड कहानी जहाँ मेरा भाई मुझे जंगल में पिकनिक के बहाने ले गया और फिर शुरू हुआ भाई बहन की चुदाई का खेल। मेरी चूत और गांड की प्यास और उसके मोटे लंड की चुदाई से भरा ये रोमांच आपको पागल कर देगा। तैयार हो जाइए एक सेक्सी और उत्तेजक सफर के लिए!

गर्मियों का मौसम था। मैं, रिया, 22 साल की थी, और मेरा भाई रवि, 25 का, मुझे बोला, “चल, जंगल में पिकनिक मनाते हैं।” मैंने सोचा, मज़ा आएगा। हम दोनों बाइक पर निकल पड़े। जंगल में पहुँचते ही सन्नाटा था, सिर्फ़ पंछियों की आवाज़ गूँज रही थी। रवि ने एक सुनसान जगह पर बाइक रोकी और बोला, “यहाँ रुकते हैं।” उसकी आँखों में कुछ शरारत थी। मैंने अपनी चुन्नी ठीक की, लेकिन मेरे टाइट कुर्ते में मेरे चूचे उभर रहे थे। रवि की नज़र मेरी कमर और चूत की तरफ़ थी। “क्या देख रहा है, भैया?” मैंने हँसते हुए पूछा। “तेरी चूत को, बहन, ये तो लंड माँग रही है,” उसने गरम लहजे में कहा।

मेरा दिल धड़क उठा। “ये क्या बोल रहा है?” मैंने सोचा, लेकिन मेरी चूत में भी एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी। रवि ने मुझे पेड़ के पास खींचा और मेरी चुन्नी छीन ली। “आज तुझे पिकनिक का असली मज़ा दूँगा,” उसने कहा और मेरे कुर्ते को फाड़ दिया। मेरे चूचे ब्रा में क़ैद थे, और मेरी नंगी कमर चमक रही थी। “भैया, ये ग़लत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज़ में मज़ा था। रवि ने मेरी ब्रा खींची और मेरे चूचों को आज़ाद कर दिया। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, भैया, चूसो, मेरी चूत गीली हो रही है!” मैं सिसक उठी।

रवि ने मुझे घास पर लिटाया। मेरी सलवार नीचे सरक गई, और मेरी चूत नंगी होकर हवा में चमकने लगी। “तेरी चूत तो रस से भरी है, साली,” उसने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “चाट ले मेरी चूत, भैया, इसे चूस डाल!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उसके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा लंड बाहर निकला, जो सख्त होकर तन रहा था। मैंने उसे देखा और बोली, “ये तो मेरी चूत फाड़ देगा, भैया, डाल दे इसे अंदर!” उसने मेरा हाथ पकड़ा और लंड को सहलाने को कहा।

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रवि ने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी गांड हवा में उठ गई। “अब तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीख जंगल में गूँज उठी। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है, बहन,” रवि ने कहा और मुझे कुतिया बनाकर पेलने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं चिल्लाई, “और गहरा डाल, मेरी चूत को फाड़ डाल!”

रवि ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी टाँगें अपनी कमर पर लपेटीं और लंड को मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, भैया, मेरी चूत चीर डाल, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए, “चोद मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। हवा में घास की खुशबू और हमारी चुदाई की गर्मी मिल रही थी। “तेरी चूत की प्यास बुझाऊँगा,” रवि ने चीखा।

चुदाई का खेल अब और गरम हो गया। रवि ने मुझे उठाया और एक पेड़ से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी गांड की बारी है,” उसने कहा और मेरी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दे, भैया, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें जंगल में फैल गईं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और गांड रवि के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

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रवि ने मुझे फिर से घास पर लिटाया और मेरे होंठों को चूसना शुरू किया। “तेरे होंठ तो शहद हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” उसने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। मेरी गांड थप-थप की आवाज कर रही थी, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “चोद मुझे, भैया, मेरी चूत की आग बुझा दे!” मैं चिल्लाई। उसने तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चीखें आसमान तक पहुँच गईं।

रवि ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब तू मेरे लंड को चूस,” उसने कहा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, भैया, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। रवि ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “तेरे लंड का रस मेरे मुँह में डाल दे,” मैंने फुसफुसाया। उसका लंड मेरे मुँह में फटने को तैयार था।

आख़िर में रवि का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, भैया, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए घास पर गिर पड़े। “रिया, तू तो रंडी है,” रवि ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। मेरी चूत अभी भी उसे ललकार रही थी। “अगली बार जंगल में और चोदना,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” उसने वादा किया।

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सूरज ढलने लगा था। हम दोनों ने कपड़े पहने, लेकिन मेरी चूत में अभी भी वो गुदगुदी बाक़ी थी। “भैया, ये पिकनिक तो मज़ेदार थी,” मैंने हँसते हुए कहा। रवि ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा, “अगली बार और मज़ा दूँगा,” उसने कहा। जंगल की हवा में हमारी चुदाई की गर्मी बसी थी। घर लौटते वक़्त मेरी चूत फिर से लंड माँग रही थी, और रवि की आँखों में वही शरारत चमक रही थी। पिकनिक का बहाना बन गया था हमारी चुदाई का राज़।

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