नॉनवेज सेक्स स्टोरी डॉट कॉम के सभी दोस्तों को नमस्कार, भाई लोग, मेरा नाम राहुल है। मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, उम्र 25 साल, इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। घर में सब कुछ नॉर्मल था – पापा की छोटी सी दुकान, मम्मी घर संभालतीं, और मेरी छोटी बहन रिया, जो 21 साल की हो चुकी थी। रिया को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो मेरी सगी बहन है। लंबी कद-काठी, गोरा रंग, फिगर 34-28-36 का – चुचियाँ भारी और उभरी हुईं, कमर पतली, और गांड ऐसी कि चलते हुए मटकती। कॉलेज में लड़के उसके पीछे पागल थे, लेकिन वो हमेशा मुझसे चिपकी रहती। “भैया, तू मेरा हीरो है,” कहकर गले लग जाती। मैं भी उसे बहुत प्यार करता था, लेकिन कभी गंदी नज़र से नहीं देखा। या शायद देखा था, लेकिन खुद को रोकता था। लेकिन वो एक रात… सब बदल गई। ये कहानी मेरी जिंदगी का वो राज़ है, जो दर्द और मजा दोनों देता है।
बात पिछले साल दिसंबर की है। घर में मेरी चचेरी बहन की शादी थी। पूरा घर सजा हुआ, मेहमानों की भीड़। रिया को नई लाल साड़ी मिली थी, जो उस पर फिट होकर उसकी बॉडी को और हॉट बना रही थी। ब्लाउज़ डीप नेक का, जिसमें से उसकी चुचियों की क्लीवेज साफ दिख रही थी। शाम को पार्टी थी, लेकिन रात 9 बजे अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई। बिजली चली गई, घर में अंधेरा। मम्मी-पापा मेहमानों को संभालने बाहर गए, और घर में सिर्फ़ मैं और रिया। वो बालकनी में खड़ी बारिश देख रही थी। साड़ी भीग गई, चिपक गई उसकी त्वचा से। पानी की बूँदें उसके गले से नीचे लुढ़क रही थीं, ब्लाउज़ गीला होकर ट्रांसपेरेंट हो गया। निप्पल सख्त होकर उभरे हुए, जैसे चूसने को बुला रहे। मैं किचन से पानी लेने आया, तो उसे देखा। दिल धक् से रह गया। “रिया, अंदर आ जा यार, सर्दी लग जाएगी,” मैंने कहा, लेकिन आवाज़ काँप गई।
वो मुड़ी, बाल भीगे हुए, चेहरे पर पानी की बूँदें। “भैया, बारिश में भीगने का मजा ही अलग है। तू भी आजा न, साथ में एंजॉय करें।” उसकी आँखों में वो शरारत… जैसे कुछ कह रही हो। मैं हिचकिचाया, लेकिन पैर खुद चले। बालकनी में खड़े हुए, बारिश हमें भिगो रही थी। वो मेरे पास आई, कंधा छुआ। “भैया, तू तो गीला हो गया।” उसका हाथ मेरी छाती पर फिसला। मैंने अनजाने में उसकी कमर पकड़ी। नरम, गर्म। “रिया, ये क्या कर रही है?” मैंने पूछा, लेकिन वो हँसी। “कुछ नहीं भैया, बस फील कर रही हूँ।” साड़ी का पल्लू सरका, कंधा नंगा। मैंने वहाँ चूम लिया, हल्के से। वो सिहर उठी, “आह भैया… ठंडा लग रहा।” मेरा लंड पैंट में तन गया, 7 इंच का, मोटा। मैंने उसे दीवार से सटा दिया, होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहला किस – गहरा, जंगली। जीभ अंदर डाली, उसकी जीभ से खेला। वो साँसें तेज़ कर रही थी, “भैया, ये गलत है… लेकिन रुक मत।”
मैंने ब्लाउज़ के हुक खोले, ब्रा उतारी। चुचियाँ बाहर – बड़े, गोल, निप्पल गुलाबी और सख्त। मैंने चूसा, एक को मुंह में लिया, जीभ से घुमाया। “आह भैया, जोर से चूसो! दांत लगा दो!” वो चीखी, बाल पकड़कर दबाने लगी। मेरे हाथ साड़ी में घुसे, पैंटी पर पहुँचे। चूत गीली, रस टपक रहा। उँगली डाली, क्लिट रगड़ा। “भैया, तेरी उँगली मेरी चूत में कितनी अच्छी लग रही!” वो हाँफ रही थी। मैंने पैंट खोली, लंड बाहर। वो घुटनों पर बैठी, मुंह में लिया। चूसने लगी, गले तक। सलाइवा टपक रहा, “मम्म… भैया का लंड स्वादिष्ट है, नमकीन।” मैंने उसके मुंह को चोदा, धक्के मारे। फिर उसे उठाया, बालकनी की रेलिंग पर झुकाया। साड़ी ऊपर की, पैंटी नीचे। लंड चूत पर रगड़ा, धक्का मारा। अंदर गया पूरा, टाइट चूत ने जकड़ लिया। “आह्ह्ह! भैया, फाड़ दिया तूने मेरी चूत!” मैंने स्पीड पकड़ी, कमर पकड़कर पेला। थप्पड़ मारे गांड पर, लाल हो गई। चुचियाँ पीछे से दबाईं, निप्पल खींचे। बारिश की बूँदें हमारी बॉडी पर गिर रही, चुदाई की आवाज़ें – प्लच प्लच। “जोर से चोदो भैया, तेरी बहन रंडी है तेरी!” वो चिल्लाई। मैंने बाल खींचे, स्पैंक किया। आखिर में झड़ गया अंदर, गर्म वीर्य चूत भर दिया। वो भी काँपी, ऑर्गेज्म से चूत सिकुड़ गई। हम गिर पड़े, भीगे हुए, साँसें हाँफतीं। “भैया, ये राज़ रहेगा,” वो बोली, चूमते हुए।
उस रात के बाद सब बदल गया। अगली सुबह मम्मी-पापा घर में थे, लेकिन हमारी नज़रें मिलतीं। रिया की मुस्कान में वो राज़ छिपा था। दिन भर कॉलेज में मैं उसकी याद में लंड हिलाता। शाम को घर लौटा, तो रिया किचन में थी। मम्मी बाज़ार गईं, पापा दुकान पर। वो झुककर सब्जी काट रही, गांड ऊपर। मैं पीछे से चिपका, लंड साड़ी पर रगड़ा। “भैया, अभी नहीं… कोई आ जाएगा,” वो हँसी, लेकिन कमर हिलाई। मैंने साड़ी ऊपर की, पैंटी नीचे। उँगली चूत में डाली, चाटा। “रिया, तेरी चूत अभी भी गीली है।” वो मोड़कर काउंटर पर टेक लगाई। लंड अंदर, क्विक चुदाई। “आह भैया, तेरी स्पीड अच्छी है। और जोर से!” 10 मिनट में झड़े दोनों। साफ किया, चूम लिया। “रात को इंतज़ार कर,” वो बोली।
रात को, सब सो गए। रिया चुपके से मेरे कमरे में। दरवाज़ा लॉक किया, लाइट ऑफ। वो मेरे ऊपर चढ़ गई, नाइटि उतारी। नंगी बॉडी – परफेक्ट, चूत शेव्ड, चमकती। “भैया, आज फुल मजा लें।” मैंने चुचियाँ चूसी, काटी। दांत गड़े, निशान पड़े। “आह, मार्क कर दो, अपना ब्रांड।” 69 में गए। मैं चूत चाटा, क्लिट चूसा, रस पिया। वो लंड गले तक, गैगिंग। “फक माय माउथ भैया!” फिर मिशनरी। लंड चूत में, धीरे-धीरे। आँखों में देखा, चूमा। “रिया, तू मेरी दुल्हन है आज।” वो बोली, “चोदो मुझे, प्यार चुदाई में है।” जोर-जोर धक्के, बेड हिला। पोज़िशन्स बदले – काउगर्ल, वो ऊपर उछली, चुचियाँ मेरे मुंह में। “हाँ, चूसो!” डॉगी में गांड चोदी, उँगली चूत में। डबल। वो चिल्लाई, “कमिंग… झड़ रही हूँ!” मैंने भी झाड़ा, चूत भर। रात भर चुदाई, ब्रेक में पानी पिया, फिर फिर। सुबह थकान, लेकिन संतुष्ट।
अगले दिन शादी की पार्टी। रिया दुल्हन की तरह सजी, लेकिन मेरी आँखों में वो मेरी थी। पार्टी में हम छिपकर मिले, बाथरूम में। “भैया, क्विक एक,” वो बोली। दरवाज़ा बंद, साड़ी ऊपर, लंड चूत में। खड़े-खड़े चोदा, सिसकारियाँ दबी। “तेरी चूत की दीवानी हूँ भैया!” झड़े जल्दी। लेकिन शाम को डर लगा। मम्मी ने देख लिया हमारी नज़रें। “क्या चल रहा है?” पूछा। हमने बहाना बनाया। लेकिन रिया उदास हो गई। “भैया, ये जारी नहीं रह सकता।”
कुछ दिन बाद, रिया का पीरियड मिस हुआ। टेस्ट – प्रेग्नेंट। मेरा बच्चा। हम रोए। डॉक्टर के पास चुपके गए, गर्भपात करवाया। दर्द हुआ, लेकिन रिया बोली, “भैया, वो रातें भूलूँगी नहीं।” अब रिया की शादी हो गई, लेकिन कभी फोन पर कहती, “भैया, तेरी याद आती है।” मैं भी हिलाता हूँ रातों में, उसकी चूत, चुचियों की याद में। वो एक रात की दुल्हन, मेरी बहन, मेरा पाप। लेकिन मजा… वो कभी नहीं भूलता।
(समाप्त। ये कहानी मेरी डायरी से है, असली जिंदगी का टुकड़ा। अगर और डिटेल्स चाहिए, कमेंट करो भाई। नॉनवेज स्टोरी पर हॉट और सेक्सी कहानी के मैं भी रोजाना इस वेबसाइट पर आता हूँ)