मैं 22 साल की एक जवान, गोरी और सेक्सी लड़की हूँ। मेरी मम्मी, शालिनी, 38 साल की हैं और अभी भी इतनी खूबसूरत कि कोई उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकता। उनके लंबे काले बाल, भरे हुए चूचे और पतली कमर किसी को भी दीवाना बना सकते हैं। मेरे पापा का देहांत चार साल पहले हो गया था, और मम्मी ने दो साल पहले दूसरी शादी कर ली थी। मेरा सौतेला बाप, अजय, 42 साल का एक मज़बूत और आकर्षक मर्द है। उसकी गहरी आवाज़, चौड़ी छाती और भारी-भरकम शरीर को देखकर कोई भी औरत उसकी तरफ खींची चली जाए। लेकिन मेरे लिए, ये आकर्षण एक खतरनाक और नशीला जुनून बन गया।
हम दिल्ली के एक पॉश इलाके में रहते थे। मम्मी एक स्कूल टीचर थीं और सुबह से शाम तक स्कूल में व्यस्त रहती थीं। अजय एक बिज़नेसमैन थे, और उनका ज़्यादातर समय घर पर ही बीतता था। मैं कॉलेज में पढ़ती थी, और जब से अजय हमारे घर आए, मैंने उनकी नज़रों को अपने ऊपर महसूस किया। उनकी आँखें मेरे टाइट टॉप्स, शॉर्ट स्कर्ट्स और गोरी जाँघों पर बार-बार ठहरती थीं। शुरू-शुरू में मुझे ये अजीब लगता था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी वो भूखी नज़रें मुझे उत्तेजित करने लगीं। मैं जानबूझकर उनके सामने टाइट कपड़े पहनने लगी, और कभी-कभी झुककर अपनी क्लीवेज दिखा देती।
एक दिन दोपहर को मम्मी स्कूल गई थीं, और मैं घर पर अकेली थी। गर्मी की वजह से मैंने एक पतला सा टैंक टॉप और शॉर्ट्स पहने थे, जो मेरे चूतड़ और चूचों को और उभार रहे थे। अजय लिविंग रूम में बैठकर लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे। मैंने जानबूझकर उनके सामने से बार-बार गुजरना शुरू किया, कभी पानी लेने तो कभी कुछ और बहाने से। उनकी नज़रें मेरी जाँघों पर टिक रही थीं, और मैंने देखा कि उनकी साँसें भारी हो रही थीं। “क्या बात है, बेटी? आज कुछ ज़्यादा ही चक्कर काट रही हो,” अजय ने अपनी गहरी आवाज़ में कहा, और उनकी आँखों में एक शरारती चमक थी।
मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “क्या करूँ, अजय जी, गर्मी इतनी है कि कुछ सूझ ही नहीं रहा।” मैंने जानबूझकर उनके सामने झुककर टेबल पर रखा ग्लास उठाया, ताकि मेरे चूचे उनके सामने और उभरें। अजय की साँसें और तेज़ हो गईं। “तू इतनी हॉट लग रही है कि मेरे लंड को भी गर्मी चढ़ रही है,” उन्होंने बेशर्मी से कहा। मेरी धड़कनें बढ़ गईं, और मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी होने लगी। मैंने उनकी आँखों में देखा और फुसफुसाया, “तो फिर इस गर्मी को बुझा दो, अजय जी।”
अजय ने लैपटॉप बंद किया और मेरे करीब आ गए। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “तू सचमुच ये चाहती है?” उन्होंने मेरी कमर पकड़ते हुए पूछा। मैंने जवाब देने की बजाय अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए। हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। मेरी जीभ उनकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी टी-शर्ट के नीचे चले गए। उनकी मज़बूत छाती और गर्म त्वचा मुझे पागल कर रही थी। “अजय जी, मुझे तेरे लंड की सैर चाहिए… आज मेरी चूत को चोद दे,” मैंने बिनधास्त कहा, मेरी आँखों में एक जंगली भूख थी।
अजय ने मेरी टैंक टॉप को एक झटके में उतार दिया। मेरी काली ब्रा में कैद चूचे उनके सामने थे, और उन्होंने बिना देर किए मेरी ब्रा खींचकर फेंक दी। मेरे सख्त निप्पल अब उनके मुँह में थे, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… अजय जी, मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे।” उन्होंने मेरी शॉर्ट्स और पैंटी को एक साथ नीचे सरकाया, और मेरी चिकनी, गीली चूत उनके सामने थी। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसलने लगीं, और मेरा रस उनके हाथों पर चिपक गया। “तेरी चूत तो पहले से ही टपक रही है,” उन्होंने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर रख दी।
मैं चीख पड़ी, “आह… चाट ले इसे… और ज़ोर से!” उनकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में थी, और मेरा शरीर हर चाट पर कांप रहा था। मैंने उनके बाल पकड़ लिए और उन्हें और गहराई में दबाया। उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी टाइट गांड में डाल दी, और मैं सिसकारी, “अजय जी… मेरी गांड भी चोद दे!” उन्होंने अपनी जीन्स उतारी, और उनका मोटा, तना हुआ लंड मेरे सामने था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और उसके टोपे को चाटने लगी। उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “तेरा मुँह तो जन्नत है।”
मैंने उन्हें सोफे पर धकेला और उनकी गोद में बैठ गई। मैंने उनका लंड अपनी चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे उसे अंदर लिया। “आह… अजय जी, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है,” मैं कराहते हुए बोली। उन्होंने मेरी चूतड़ पकड़ लिए और मुझे ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे करने लगे। हर धक्के के साथ मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। उन्होंने मेरे निप्पल को अपने दाँतों से हल्के से काटा, और मैं चीख पड़ी, “और ज़ोर से… मेरी चूत को रगड़ दे!”
उन्होंने मुझे पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। मेरी गांड उनके सामने थी, और उन्होंने उस पर एक चपत मारी। “तेरी ये सेक्सी गांड… इसे भी चोदना है,” उन्होंने कहा। मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “तो चोद ना… मेरी गांड तेरी है।” उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के रस से गीली कीं और मेरी टाइट गांड में डालीं। मैं सिसकारी, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला। उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा लंड मेरी गांड को चीर रहा है!” मैं चीखी, लेकिन उस दर्द में सुख था।
उनकी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी, और उनका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मेरी चूतड़ उनकी जांघों से टकरा रही थीं। उन्होंने मुझे फिर से पलटाया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। उनका लंड मेरी चूत में फिर से घुसा, और वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। “तेरी चूत इतनी टाइट है… मैं झड़ने वाला हूँ,” उन्होंने कराहते हुए कहा। मैंने अपनी चूत को और सिकोड़ा और बोली, “मेरे अंदर झड़… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”
उनके धक्के अब और तेज़ हो गए। मेरी चूत और गांड दोनों उनके लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आख़िरकार, उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका गर्म रस मेरी चूत में भर गया। मैं भी उसी पल झड़ गई, और मेरी चूत का रस उनके लंड पर बहने लगा। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उनकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हँसी, “अजय जी, तुमने मेरी चूत को तो बुझा दिया, लेकिन मेरी गर्मी और बढ़ गई।”
उस रात के बाद, अजय और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी मम्मी घर पर नहीं होती थीं, अजय की नज़रें मुझे ढूंढने लगती थीं। उनकी मज़बूत बाहें और मोटा लंड मेरे लिए एक नशा बन गया था। एक बार मम्मी के स्कूल से लौटने से पहले, अजय ने मुझे किचन में पकड़ लिया। “तेरी चूत की गर्मी तो मम्मी से ज़्यादा है,” उन्होंने फुसफुसाया और मुझे काउंटर पर झुकाकर फिर से चोदना शुरू कर दिया। मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी, और मेरी सिसकारियाँ किचन में गूँज रही थीं।
हमारी चुदाई अब एक रूटीन बन गई थी। हर बार जब मम्मी बाहर होतीं, अजय मुझे अपने कमरे में खींच लेते। कभी बाथरूम में, कभी लिविंग रूम में, और कभी मेरे बेडरूम में, उनकी चुदाई मेरी चूत और गांड को रगड़ देती थी। एक बार तो रात के अंधेरे में, जब मम्मी गहरी नींद में थीं, अजय मेरे कमरे में आए और मुझे चोदने लगे। “तेरी मम्मी को नहीं, तुझे चोदने में मज़ा आता है,” उन्होंने मेरी चूत में लंड डालते हुए कहा। मैंने उनकी कमर पकड़ ली और उन्हें और गहराई में खींचा।
इस गुप्त रिश्ते ने मेरे और अजय के बीच एक ऐसी आग जला दी थी, जो बुझने का नाम नहीं ले रही थी। मम्मी को कभी शक नहीं हुआ, क्योंकि अजय उनके सामने एकदम नॉर्मल रहते थे। लेकिन मेरे लिए, उनकी हर नज़र, हर स्पर्श एक जुनून था। मेरी चूत और गांड अब उनके लंड की आदी हो चुकी थीं। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटती, उनकी चुदाई की यादें मुझे फिर से गीला कर देती थीं।
उस रात की चुदाई हमारे बीच का एक अनकहा राज़ बन गई। अजय का मोटा लंड और मेरी टाइट चूत एक-दूसरे के लिए बने थे। हर बार जब मम्मी घर से बाहर जातीं, हमारी साँसें फिर से गर्म हो उठती थीं। मेरे लिए, अजय अब सिर्फ़ सौतेले बाप नहीं थे, बल्कि वो मर्द थे, जिन्होंने मेरी चूत को जन्नत का मज़ा दिया।